सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब ने अकाली दल बादल के निवर्तमान अध्यक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को श्री हरि मंदिर साहिब के शौचालय साफ करने व लंगर की सेवा करने की सजा सुनाई है। इसके अतिरिक्त उनके दिवंगत पिता व पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल से उनका फख्र-ए-कौम पुरस्कार भी वापिस ले लिया गया है। यह सजा डेरा सच्चा सौदा के मुखी गुरमीत राम रहीम को माफी देने, बेअदबी की घटनाओं सहित अनेक कारणों के चलते सुनाई गई है।
श्री अकाल तख्त साहिब में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की अध्यक्षता में पांच सिख साहिबानों की बैठक हुई। बैठक में शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल के साथ 2007-2017 के दौरान उनकी सरकार में रहे मंत्रियों, पूर्व जत्थेदार, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया था। अकाली दल की सरकार में हुईं गलतियां सुखबीर बादल और उनके मंत्रियों की ओर से माने जाने पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सजा सुनाते हुए कहा कि उन्हें शौचायलों की एक घंटा सफाई के अलावा लंगर की सेवा करना होगा। सभी दोषी गले में पटियां डालकर सेवा करेंगे। सुखबीर बादल के पैर में प्लास्टर लगा होने की वजह से उन्हें व्हीलचेयर पर बैठकर मुख्य द्वार पर एक घंटे की सेवा और उसके बाद लंगर के बर्तन धोने की सेवा दी गई है।
अमृतसर डेरा मुखी को माफी मंगवाने पर सिंह साहिबान ने फखर-ए-कौम का खिताब वापस लेने की घोषणा की। इसके अलावा डेरा मुखी की माफी के लिए जो विज्ञापन दिया गया था, उसकी राशि व्याज सहित अकाउंट ब्रांच में जमा करवाने के भी निर्देश दिए हैं। ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल सहित कोर कमेटी सदस्य और साल 2015 कैबिनेट के सदस्य रहे नेता 3 दिसंबर को 12 बजे से लेकर एक बजे तक शौचालय साफ करेंगे। जिसके बाद नहाकर वह लंगर घर में सेवा करेंगे। बाद में श्री सुखमणि साहिब का पाठ करेंगे। सुखबीर बादल क प्लास्टर लगा होने की वजह से श्री हरि मंदिर साहिब के बाहर बरछा लेकर बैठेंगे। उन्हें गले में तख्ती पहननी होगी।
तत्कालीन एसजीपीसी सदस्यों ने मानी गलती
एसजीपीसी के सदस्यों को तलब किया था। इस दौरान करनैल सिंह ने कहा कि मैंने विरोध किया था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक के तत्कालीन अंतरिम कमेटी के सदस्यों ने माना कि कि उन्होंने डेरा मुखी को माफी देने के विज्ञापन का विरोध नहीं किया।
विक्रम मजीठिया ने मानी गलती
बीबी जागीर कौर ने कहा कि मैंने इन मामलों का विरोध किया था। बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि किसी भी कैबिनेट की मीटिंग में डेरा मुखी की माफी का मामला नहीं आया। जो भूल हुई उसे लेकर जो आवाज उठानी चाहिए थी, मैंने नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि मैं सरकार का हिस्सा था, इसलिए अपनी गलती मानता हूं।
सुखबीर बादल ने स्वीकार किए दोष
सुखबीर बादल ने अकाली सरकार के दौरान हुई भूलों को स्वीकार किया है। सुखबीर बादल ने कहा हमसे बहुत भूलें हुई हैं। सरकार में बेअदबी हुई, सजा देने में नाकाम रहे, बहबलकलां गोलीकांड हुआ, ये दोष भी सुखबीर ने स्वीकार किया।
जुलाई में तनखैया घोषित हुए थे सुखबीर बादल
बता दें कि सुखबीर को जुलाई महीने में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तनखैया करार देते हुए धार्मिक सजा सुनाई थी। सुखबीर बादल पर आरोप है कि उनकी सरकार के समय डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी दी गई, पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को नियुक्त किया गया, श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई नहीं की गई आदि आरोप है।
जिस पर श्री अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अकाली दल प्रधान और डिप्टी सीएम रहते हुए सुखबीर ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। उसके बाद बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा एक जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई चार गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई थी।
अकाली सरकार ने वापस लिया था राम रहीम पर मामला
इन गलतियों में उन्होंने माना था कि 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस समय इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।
सुखबीर बादल ने दिलवाई थी डेरामुखी को माफी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना प?ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया।
अकाली सरकार पर लगे थे ये भी आरोप
1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल की सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं।
डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की नियुक्ति सुखबीर बादल की चौथी गलती
चौथा आरोप अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया। अकाल तख्त के अनुसार, राज्य में कथित फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं (संदिग्ध आतंकियों) की कथित हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व डीजीपी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
ज्ञात रहे कि सिख परम्परा के अनुसार, धर्म की मर्यादा का उल्लंघन करने पर अकाल तख्त साहिब की ओर से सामुदायिक सजा सुनाई जाती है और इस सजा के बाद जिस सिख पर कोई आरोप हो तो वह मुक्त हो जाता है।
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