गीत क्या है ? जो भावनाओं को स्वर दे, एक ताल में पिरो दे। यही गाना है। और इस गाने को, गीत को जो आकार दे, जो इसकी रचना करे उसे गीतकार कहते हैं। सृष्टि भी तो गीत गाती है। इसमें संगीत है, राग है, ध्वनि है। भारत में तो गीत-संगीत की अधिष्ठात्री साक्षात वाग्देवी हैं। रुदन में गीत है, खुशी में गीत है। दुख में सुख में, हार में जीत में, हर जगह यह गीत ही तो है।
गीत और गीतकारों की इस कड़ी में बात करेंगे प्रदीप की। कवि प्रदीप। उनका असली नाम रामचंद्र नारायण द्विवेदी था। प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था।
पचास साल के अपने गीतों के सफर में कवि प्रदीप ने 70 से अधिक फिल्मों के लिए डेढ़ हजार से अधिक गीत लिखे। ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, लता मंगेशकर की आवाज में गाया गया यह गीत कवि प्रदीप ने ही लिखा था।
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के, आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की, तुनक तुनक बोले रे मेरा इकतारा, इंसान का इंसान से हो भाईचारा, चल अकेला चल अकेला, करती हूं तुम्हारा व्रत मैं, मैं तो आरती उतारूं, ऐ मेरे वतन के लोगों, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, चल चल रे नौजवान, दूर हटो ऐ दुनियावाले हिंदुस्तान हमारा है, जैसे कई यादगार गीत लिखे।
जब गिरफ्तारी का आदेश जारी हुआ
कवि प्रदीप के गीतों में देश प्रेम दिखता है। उन्होंने देश की भावनाों को सुंदर शब्दों में पिरोया। दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदुस्तान हमारा है, यह गीत किस्मत फिल्म का है। यह वर्ष 1943 में रिलीज हुई थी। इस गीत से ब्रिटिश सरकार आग बबूला हो गई थी। ब्रिटिश सरकार ने कवि प्रदीप को गिरफ्तार करने तक का आदेश जारी कर दिया था। कवि प्रदीप ने कई यादगार गीत लिखे। भारत सरकार ने 1997-98 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया था।
सुभद्रा बेन से विवाह
कवि प्रदीप इंदौर के शिवाजी राव हाई स्कूल में सातवीं तक पढ़ें। इसके बाद की शिक्षा के लिए प्रयागराज के दारागंज हाई स्कूल में दाखिला लिया। लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक किया। विवाह सुभद्रा बेन से हुआ।
कवि प्रदीप से गीतकार प्रदीप
कवि प्रदीप कवि सम्मेलनों में जाते थे। बंबई में एक कवि सम्मेलन में ‘बाम्बे टॉकीज स्टूडियो’ के मालिक हिंमाशु राय उनसे प्रभावित हुए। हिमांशु राय ने कवि प्रदीप को फिल्म ‘कंगन’ के गीत लिखने के लिए कहा। यह फिल्म 1939 में रिलीज हुई थी और इसके गीतों ने कवि प्रदीप को गीतकार प्रदीप बना दिया। इस फिल्म में लीला चिटनिस और अशोक कुमार मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म के डायरेक्टर थे फ्रैंज ओस्टेन। इसके गीत थे, हवा तुम धीरे बहो मेरे आते होंगे चितचोर, सूनी पड़ी रे सितार मेरे जीवन की।
भारत-चीन युद्ध के बाद गाया ये अमर गीत
भारत-चीन युद्ध के बाद भारतीय जांबाजों को श्रद्धांजलि के लिए कवि प्रदीप ने, ऐ मेरे वतन के लोगों, गीत की रचना की थी। यह गीत गाया था लता मंगेशकर ने। यह अमर गीत आज भी आंखों में आंसू ले आता है।
महाप्राण निराला ने कवि प्रदीप के बारे में क्या लिखा
भारतीय साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने साहित्यिक पत्रिका ‘माधुरी’ में कवि प्रदीप के बारे में लिखा था। निराला ने लिखा- आज जितने कवियों का प्रकाश हिन्दी जगत् में फैला हुआ है, उनमें ‘प्रदीप’ का अत्यंत उज्ज्वल और स्निग्ध है। हिंदी के हृदय से प्रदीप की दीपक रागिनी कोयल और पपीहे के स्वर को भी परास्त कर चुकी है। इधर 3-4 साल से अनेक कवि सम्मेलन प्रदीप की रचना और रागिनी से उद्भासित हो चुके हैं।
83 साल की उम्र में निधन
महान गीतकार प्रदीप का निधन 83 साल की उम्र में 11 दिसंबर 1998 को हुआ। वह अनंत यात्रा पर चले गए, लेकिन पीछे छोड़ गए यादगार गीत।
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