फैक्ट चेक के नाम पर अक्सर फेक न्यूज की फैक्ट्री चलाने वाले ऑल्ट न्यूज के को फाउंडर मोहम्मद जुबैर की कट्टरपंथी हरकतें उसी पर इस बार भारी पड़ गई हैं। उसे खिलाफ देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए खतरा माना है। उसके द्वारा किए जाने वाले सोशल मीडिया पोस्ट से सांप्रदायिक हिंसा फैलने का खतरा बढ़ गया है। जांच अधिकारियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया कि आरोपी के खिलाफ धारा 152 भी जोड़ी गई है।
मोहम्मद जुबैर फेक न्यूज को फैक्ट न्यूज बताकर अक्सर इस्लामी नरैटिव गढ़ने की कोशिशें करता है। इस बार मामला कुछ यूं है कि मोहम्मद जुबैर गाजियाबाद स्थित प्रसिद्ध डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक पुराना वीडियो शेयर करता है। इसमें वह उनके भाषण को अपमानजनक और नफरत फैलाने वाला बताता है। बाद उसी की पोस्ट से भड़के इस्लामिक कट्टरपंथियों ने यूपी, तेलंगाना और महाराष्ट्र में कई केस दर्ज करा दिया। इतना ही नहीं कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने डासना देवी मंदिर के बाहर प्रदर्शन कर वहां उत्पात मचाने की कोशिश की। ये सारा घटनाक्रम 3 अक्तूबर को जुबैर द्वारा की गई पोस्ट के बाद हुआ।
फिर क्या था जुबैर की इन्हीं हरकतों के खिलाफ यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने जुबैर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके साथ ही डासना देवी मंदिर में मुस्लिमों द्वारा की गई हिंसा की कोशिशों के मामले में भी अरशद मदनी, एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और मोहम्मद जुबैर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई। इन सभी के खिलाफ गाजियाबाद के कवि नगर पुलिस स्टेशन में धारा 228 (झूठे सबूत बनाना), 356 (3) मानहानि, 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 352 (2) और 196 (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को फैलाना) के तहत केस दर्ज किया गया।
बाद में ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस सिद्धार्थ और सुभाष चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने के मामले में धारा 152 और आईटी एक्ट की धारा 66 भी इसमें जोड़ दी गई है। इसके साथ ही कोर्ट अब इस मामले में 3 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि बीएनएस की धारा 152 उस व्यक्ति के खिलाफ लगाई जाती है, जिसने अपने कार्यों से किसी भी तरह से देश की एकता और अखंडता को चुनौती दी हो। यू अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होता है। इस मामले में पुलिस बिना किसी वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
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