इस समय हर वह तत्व हिन्दू समाज को बांटने का प्रयास कर रहा है, जो भारत विरोध में ही अपना अस्तित्व देखता है। ऐसे तत्व जाति, छुआछूत, भाषा, प्रांत के नाम पर हिन्दू समाज को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। दुर्भाग्य से कुछ स्थानों पर इन तत्वों को सफलता मिल रही है। इसे देखते हुए विश्व हिंदू परिषद् (विहिप) ‘सामाजिक समरसता अभियान’ की देखरेख में पूरे देश में समरसता यात्राएं निकाल रही है। ये यात्राएं जनवरी, 2025 तक चलेंगी।
पहली यात्रा 15 नवंबर को भोपाल के पास स्थित राजगढ़ से शुरू हुई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधु-संतों के अलावा विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा भी उपस्थित रहे। इन सभी ने भगवा ध्वज दिखाकर यात्रा का श्रीगणेश किया। यात्रा में शामिल कार्यकर्ता संत पूरे सात दिन राजगढ़ अंचल के विभिन्न गांवों में गए। इन लोगों ने ग्रामीणों से यह निवेदन किया कि वे सामाजिक एकता और समरसता के लिए छोटे-छोटे मतभेदों से ऊपर उठें और किसी के साथ जाति, रंग, भाषा या प्रांत के आधार पर भेदभाव न करें। छुआछूत जैसे कुविचारों को त्यागें।
‘सामाजिक समरसता अभियान’ के प्रमुख देवजी भाई रावत ने बताया कि हर यात्रा सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ाने वाले किसी महापुरुष के नाम पर निकाली जाएगी। यात्रा के दौरान प्रत्येक दिन 5-6 छोटे-बड़े कार्यक्रम और नुक्कड़ सभाएं हो रही हैं। इस दौरान सेवा बस्तियों में समरसता भोज भी होता है। इनमें हर वर्ग और जाति के लोग भाग ले रहे हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि समाज में कोई न तो बड़ा है और न ही छोटा है। हम सब भारत माता की संतान हैं और इस नाते सबके साथ समान व्यवहार करना है। यह भी बताया जाता है कि भले ही हम सब अलग-अलग जातियों में जन्मे हैं, लेकिन हम एक हैं।
ये यात्राएं विश्व हिन्दू परिषद की सभी 70,000 इकाइयों के साथ लाखों गांवों तक जाएंगी।
श्री बालासाहब देवरस कहा करते थे, ‘‘छुआछूत पाप नहीं है, तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं है। अस्पृश्यता हिन्दू समाज पर कलंक है। इसे तुरंत दूर करना चाहिए।’’ वहीं श्री अशोक सिंहल कहते थे, ‘‘अनुसूचित जाति समाज एवं अनुसूचित जनजाति समाज के बंधु वीर, बलिदानी और क्षत्रिय हैं। इनके पूर्वजों ने जंगलों में रहना और गंदा काम करना स्वीकार किया, लेकिन हिन्दू धर्म को नहीं छोड़ा, ये लोग धर्मयोद्धा हैं। इन्हें हिन्दू समाज में सम्मान के साथ बराबरी और गौरवयुक्त स्थान मिले, इसका दायित्व पूरे हिन्दू समाज का है।’’
देवजी भाई कहते हैं, ‘‘अब हिन्दू समाज अपने मार्गदर्शकों द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण कर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा है। विश्वास है कि हिन्दू समाज एक होगा। इसी एकता में हमारी सुरक्षा है।’’
Leave a Comment