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चिन्मय दास की गिरफ्तारी को शेख हसीना ने बताया अन्यायपूर्ण, कहा- यूनुस सरकार विफल, अराजकता की स्थिति में पहुंचा देश

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SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्कॉन धर्माचार्य चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण करार देते हुए उनकी तुरंत रिहाई की मांग की है। अवामी लीग पार्टी के आधिकारिक बयान में उन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों पर गहरी चिंता जताई। शेख हसीना ने बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार को विफल करार देते हुए कहा कि वहां हर क्षेत्र में अराजकता फैली हुई है।

क्या कहा शेख हसीना ने..? 

शेख हसीना ने कहा- “सनातन धर्म समुदाय के शीर्ष नेता चिन्मय कृष्ण दास को अन्यायपूर्वक गिरफ्तार किया गया है। यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन है। मैं सरकार से उनकी तुरंत रिहाई सुनिश्चित करने की मांग करती हूं।”

शेख हसीना ने चटगांव में एक मंदिर जलाने और अहमदिया समुदाय की मस्जिदों, चर्चों, मठों और धर्मस्थलों पर हो रहे हमलों को लेकर भी उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हर धार्मिक समुदाय को स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार है, जिसे बांग्लादेश सरकार सुनिश्चित करने में विफल रही है।

शेख हसीना ने बांग्लादेश में सत्ता पलट के बाद बनी मोहम्मद यूनुस सरकार को हर क्षेत्र में विफल करार दिया। उन्होंने कहा कि आम लोगों की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और जीवनयापन की मूलभूत जरूरतों को सरकार पूरा करने में असफल हो रही है। उन्होंने कहा- “दैनिक आवश्यक वस्तुओं की कीमतें अनियंत्रित हो चुकी हैं। अवामी लीग के नेताओं, कार्यकर्ताओं और छात्रों को दमन का सामना करना पड़ रहा है। कानून व्यवस्था में लगे लोगों की हत्या और उत्पीड़न से देश अराजकता की स्थिति में पहुंच चुका है।”

मानवाधिकार उल्लंघन और सजा की मांग

चटगांव में एक वकील की हत्या पर विरोध जताते हुए शेख हसीना ने कहा- सरकार अगर आतंकियों को सजा देने और मानवाधिकारों की रक्षा करने में विफल रहती है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।

भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहीं हैं शेख हसीना

गौरतलब है कि तख्तापलट के बाद शेख हसीना शरणार्थी के रूप में भारत में रह रही हैं। उन्होंने भारतीय सरकार और जनता का आभार व्यक्त करते हुए बांग्लादेश में लोकतंत्र और मानवाधिकार बहाल करने की अपील की।

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