कांग्रेस का EVM विरोध, मुस्लिम बहुल सीटों पर पड़ेगा असर
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

कांग्रेस का EVM विरोध, मुस्लिम बहुल सीटों पर पड़ेगा असर

कांग्रेस पार्टी ने लगातार दो लोकसभा  चुनाव 2004  और 2009  में ईवीएम से मतदान प्रक्रिया होने के बाद ही सरकार बनाई थी। यहाँ तक कि कांग्रेस पार्टी का 2009 में पिछले चुनाव के अपेक्षा 61  सीट बढ़कर 206 तक पहुंच जाता है। लेकिन फिर भी वह ईवीएम को कोस रही है।

by अभय कुमार
Nov 28, 2024, 12:21 pm IST
in विश्लेषण
Congress EVM

प्रतीकात्मक तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भारत में चुनाव के लिए केवल एक जरुरी ही नहीं है, बल्कि अत्यंत आवश्यक है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का भारत में सबसे पहले केरल में मई 1982 में पारवूर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में 50 मतदान केंद्रों पर परीक्षण किया गया था। यह तब हुआ था जब स्वर्गीय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। पारवूर विधानसभा सीट का भी अपना इतिहास रहा है। इस सीट पर कांग्रेस 1960 से लगातार पांच बार चुनाव जीतती है मगर 1982 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल के बाद इस सीट पर वह हार जाती है।

कांग्रेस पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बड़े पैमाने पर विरोध कर रही है। कांग्रेस यह कहकर कि उसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर विश्वास नहीं हैं अतएव उसे मतदान पत्र पर चुनाव वापस करवाना चाहिए। उसका तर्क है कि उसे हाल में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हुए मतदान में उन बूथों पर उतने भी मत नहीं मिले जितना कि उसके परिवार के सदस्य थे।

इसके वास्ते 1996 के तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में मोडकुरिची विधानसभा सीट का परिणाम गौर करना पड़ेगा, जहां 1033 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था। उस चुनाव में 88 उम्मीदवारों को एक भी मत नहीं प्राप्त हुआ यानी उन्होंने खुद को भी वोट नहीं दिया था। 158 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्हें सिर्फ एक वोट मिला था। इस सीट पर यहां पर प्रत्याशियों की संख्या 1088 थी, जिसमें से 42 के नामांकन रद्द हुए थे और 13 ने नाम वापस ले लिए। यह सीट तमिलनाडु ने इरोड जिले में है।     ईवीएम के प्रयोग से भारतीय राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है। इससे मतदान प्रक्रिया काफी आसान और सहज हुई है। पहले मतदाताओं को मतदान के लिए कतार में घंटों लम्बी लाइन में लगानी पड़ती थी। गर्मी के समय में घंटों कतार में लग कर मतदान करना खासकर महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण था। महिलाओं को घर का कामकाज छोटे-बच्चों की देखभाल सहित अन्य कामों से इतना समय निकालकर लम्बी कतारों में लगना दुष्कर था। बीमार और अस्वस्थ लोगों के लिए भी वोटिंग कतार में लगना एक विषम परिस्थिति होती थी।

मगर ईवीएम ने एक झटके में इन सभी समस्याओं का समाधान कर दिया। अब वोटिंग प्रक्रिया महज थोड़ी देर में ही संपन्न हो जाती है। इसमें महिलाओं, जिन पर घर के देखभाल की जिम्मेदारी होती है सहित अन्य अस्वस्थ लोग भी आसानी से मतदान प्रक्रिया में भाग लेते हैं। ईवीएम के प्रयोग के बाद चुनावी प्रक्रिया में सुधार भी देखा जा रहा है। बूथ कैप्चरिंग और चुनावी हिंसा अब अतीत की बात हो गई। 90 के दशक में ईवीएम के प्रयोग से पूर्व चुनावी प्रक्रिया में अंतिम चरण के चुनाव के बाद कुछ दिन इसलिए शेष रखा जाता था, जिससे कि चुनावी हिंसा के कारण कुछ केंद्र पर मतदान रद्द होने के कारण उस पर चुनाव के बाद ही मतदान होने के पश्चात चुनावी गणना हो। असम में एक बार एक बूथ पर हिंसा के कारण चौथे बार मतदान के बाद ही चुनाव सम्पन्न हुआ था।

2024  लोकसभा चुनाव से पूर्व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने समर्थकों से अधिक संख्या में नामांकन करने की अपील की थी, जिससे कि चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम का प्रयोग नहीं हो और मतपत्रों से ही चुनाव हो सके। कांग्रेस पार्टी को पता है कि ईवीएम से वोटिंग होने से बड़े पैमाने पर लोग मतदान में हिस्सा लेते हैं और कांग्रेस इन चुनावों में बुरी हार हारती है।  एक ईवीएम में अभी के समय में अधिकतम 383 और एक नोटा सहित 384 नाम हो सकते हैं। अतएव अभी अगर 384  या उससे अधिक उम्मीदवार हों तो चुनाव मतपत्रों से ही हो सकता है।

ईवीएम वोटिंग से ही कई राज्यों में सरकार बनाने वाली कांग्रेस ईवीएम का ही विरोध कर रही

कांग्रेस पार्टी ने लगातार दो लोकसभा  चुनाव 2004  और 2009  में ईवीएम से मतदान प्रक्रिया होने के बाद ही सरकार बनाई थी। यहाँ तक कि कांग्रेस पार्टी का 2009 में पिछले चुनाव के अपेक्षा 61  सीट बढ़कर 206 तक पहुंच जाता है। कांग्रेस पार्टी हिमाचल प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर सरकार बनाती है। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूरे राज्य में भाजपा से महज 38000 अधिक मत मिला था। कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ ईवीएम से हुए मतदान में सरकार बनाने में सफल हुई थी। केरल में माकपा लगातार दो बार से पूर्ण बहुमत से ईवीएम के प्रयोग से सरकार बना रही है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में डीएमके और ममता बनर्जी स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बना रही हैं।

लोकसभा 2024 चुनाव के बाद तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुआ और इनमें केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पार्टी की सहयोगी नेशनल कांफ्रेंस ने अच्छे बहुमत के साथ सरकार बनाई। झारखंड में भी कांग्रेस पार्टी की सहयोगी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा अच्छे बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और झारखण्ड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा। क्या कांग्रेस पार्टी ईवीएम पर सवाल उठा कर अपने सहयोगियों की जीत पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना चाहती है ? इतना ही नहीं, बल्कि राहुल गाँधी द्वारा खाली किए गए वायनाड लोकसभा सीट पर उनकी बहन प्रियंका वाड्रा ने राहुल गाँधी से भी बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीता। लगातार दो लोकसभा  चुनाव में कमतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी ईवीएम के प्रयोग के बाद ही इस बार उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन करते हुए 99  सीट जीतते हुए नेता विपक्ष का पद भी हासिल किया।

बैलट पेपर से मतदान होने पर उसमें धांधली की पूरी संभावना रहती है। यहाँ तक कि डॉ. अंबेडकर भी इससे अछूते नहीं रहे थे।  डॉ. अंबेडकर के उत्तरी मुंबई में 1952 के आम चुनावों में हार के बाद चुनावी कदाचार के आरोप लगे थे। आरोप सामने आए कि कॉमरेड श्रीपाद अमृत डांगे के नेतृत्व में वामपंथी गुटों ने डॉ. अंबेडकर की चुनावी संभावनाओं को कमजोर करने के लिए धोखाधड़ी का अभियान चलाया। 78 हज़ार से ज़्यादा वोट रद्द होने के बाद डॉ आंबेडकर महज 14000  मतों से चुनाव हार गए थे। डॉ. अंबेडकर ने चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को चुनौती देते हुए और उनके ख़िलाफ़ झूठे प्रचार के आरोप लगाते हुए अदालत में मामला भी दायर किया था। ईवीएम के प्रयोग से चुनावी प्रक्रिया आसान होने के साथ ही परिणाम तुरंत आता है। मतदान कर्मियों को अपने काम करने में आसानी होती है।

ईवीएम के विरोध करने वाले को यह भी नहीं भूलना चाहिए की भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहाँ मतदान की गणना प्रक्रिया में अब जितने मतदाता हैं, हफ्तों का समय लग सकता है। मतपत्रों के प्रयोग से मतदान सहित वोटिंग वो मतगणना प्रक्रिया काफी कठिन होगा।

2008 परिसीमन के बाद ऐसा देखा गया है कि मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बड़े पैमाने पर मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है। विगत तीन लोकसभा चुनावों में असम के धुबरी लोकसभा सीट पर सबसे अधिक मतदान देखा गया है। 2014 में इस सीट पर 88.36 , 2019 में 90 .66  और 2024 में 92.08  प्रतिशत मतदान देखा गया हैं। कांग्रेस पार्टी ईवीएम का विरोध कर इन मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मतदान को कम करना चाहती है। ईवीएम हटाना इन सीटों पर मतदान कम होने की गारंटी की तरह है।

Topics: ईवीएमEVMMaharashtra Assembly Election Resultमहाराष्ट्र विधानसभा इलेक्शन रिजल्टCongressकांग्रेस ईवीएमCongress EVMकांग्रेसलोकतंत्रDemocracy
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

इंदिरा गांधी ने आपातकाल में की थी क्रूरता, संजय गांधी ने जबरन कराई थी नसबंदी: शशि थरूर

कांग्रेस

भारतीय राजनीति में कांग्रेसी रीति-नीति की छाया और बदलाव की चुनौतियां

Bihar election-2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: लालू यादव का कांग्रेस से मोहभंग, AIMIM के साथ नया गठबंधन?

संविधान, संशोधन और सवाल

Bihar Muslim Vote

AIMIM और कथित धर्मनिरपेक्ष दलों की जंग: बिहार में मुस्लिम वोटों की सियासत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies