बाबा बागेश्वर धाम पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सनातन पहचान और हिन्दुओं की एकता को बनाए रखने के उद्देश्य से सनातन हिन्दू एकता यात्रा निकाल रहे हैं। लेकिन उनकी ये यात्रा कुछ लोगों, खास तौर पर विपक्षी पार्टियों को रास नहीं आ रही है। इन्हीं लोगों में से एक हैं कांग्रेस समर्थक स्वामी अविमुक्तेश्वरांद सरस्वती। वो इतना भड़के हुए हैं कि उन्होंने बाबा बागेश्वर धाम को सरकार का एजेंट करार दे दिया।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तश्वरानंद सरस्वती ने बाबा बागेश्वर धाम की पद यात्रा पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि धीरेंद्र शास्त्री नेताओं के मोहरे हैं, उससे अधिक कुछ नहीं। अविमुक्तेश्वरानंद आगे कहते हैं कि लवोगों को जातियों के आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए और लोग एकमुश्कत वोट हमें देते रहें, यही यहां के नेताओं की भावना है, जिसे लोगों तक पहुंचाने का काम धीरेंद्र शास्त्री कर रहे हैं। अपनी खीज जाहिर करते हुए अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन यात्रा में धीरेंद्र शास्त्री ‘जात-पात की करो विदाई, हिन्दू-हिन्दू भाई-भाई’ नारा लगा रहे हैं, जो कि एक राजनीतिक खेल है, जिसका सनातन धर्म से कुछ भी लेना देना नहीं है।
इंडिया हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, बंटोगे तो कटोगे नारे को लेकर भी अविमुक्तश्वरानंद ने बयानबाजी की। उनके अनुसार हिन्दुओं को जातियों में नहीं बांटना चाहिए और एकमुश्त वोट देते रहना चाहिए। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि जाति ही हिन्दुओं की पहचान है। अगर हमने जातिवाद को खत्म कर दिया तो हमारी खुद की पहचान खत्म हो जाएगी।
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गौरतलब है कि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर हमेशा से कांग्रेस समर्थक होने के आरोप लगते रहे हैं। करीब चार माह पहले स्वामी गोविंदाचार्य सरस्वती ने उन्हें फर्जी बाबा करार दिया था। उस वक्त वाराणसी कोर्ट का आदेश दिखाते हुए उन्होंने कहा था कि वाराणसी कोर्ट ने तो अविमुक्तेश्वरानंद को भगोड़ा घोषित किया था। अक्तूबर 2022 में उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ नए शंकराचार्य के तौर पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ताजपोशी पर सुप्रीम कोर्ट ने ही रोक लगा दी थी। दरअसल, शीर्ष अदालत एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अविमुक्तश्वरानंद ने खुद को दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती का उत्तराधिकारी होने का झूठा दावा पेश किया था।
स्वामी गोविंदानंद का कहना था कि उन्हें तो कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 13 सितंबर 2022 को शंकराचार्य कहकर संबोधित किया था। उल्लेखनीय है कि अविमुक्तेश्वरानंद ने राम मंदिर के उद्घाटन के समय भी विरोध किया था।
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