नई दिल्ली, (हि.स.)। इजराइल और लेबनान के हिजबुल्ला समूह के बीच में अमेरिका की मध्यस्थता से एक सीजफायर समझौता हुआ है, जो आज सुबह से लागू हो गया है। इस समझौते के तहत 60 दिनों का युद्ध विराम रहेगा और हिजबुल्ला दक्षिण लेबनान से पीछे हटेगा। दोनों के बीच सालभर से अधिक समय तक संघर्ष चला। युद्ध विराम की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वाशिंगटन में की।
भारत ने इजराइल और लेबनान के बीच में संघर्ष विराम का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हम हमेशा से तनातनी खत्म करने, संयम बरतने और बातचीत तथा राजनयिक कूटनीति अपनाने पर बल देते रहे हैं। हमें लगता है कि इस घटनाक्रम से क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी।
इजराइल और लेबनान के बीच युद्ध विराम आधिकारिक तौर पर बुधवार तड़के चार बजे से प्रभावी हो गया। इसी के साथ लेबनान से विस्थापित हजारों लोग स्वदेश लौटने के लिए तैयार हो गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस के संयुक्त बयान में युद्ध विराम लागू होने की पुष्टि की गई है। दक्षिणी बेरूत के दहिया में पुनर्निर्माण का काम शुरू हो गया। हिजबुल्लाह का मुख्यालय दहिया में ही है। कभी घनी आबादी वाले दहिया में इस समय इक्का-दुक्का लोग ही रह रहे हैं। यहां से अक्टूबर में 52 वर्षीय मोहम्मद अवादा अपने दो बच्चों के साथ उत्तरी लेबनान के शहर त्रिपोली भाग गए थे। हमले में उनका अपार्टमेंट नष्ट हो गया था। युद्ध विराम की भनक मिलते ही उन्होंने कहा कि वह दहिया लौटेंगे और वहां नए सिरे जीवन शुरू करेंगे।
लेबनान की सेना ने विस्थापित नागरिकों से दक्षिणी लेबनान के कस्बों और गांवों में लौटने से पहले इजराइली सैनिकों के हटने का इंतजार करने का आह्वान किया है। साथ ही आयुध के खतरों के बारे में भी चेताया है। लेबनान में इस समय संयुक्त राष्ट्र अंतरिम शांति सेना के 10 हजार जवान मौजूद हैं।
3800 लोग मारे गए, दस लाख विस्थापित
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजराइली सेना की बमबारी और जमीनी कार्रवाई में लगभग 3,800 लोग मारे गए हैं। दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
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