भारत का संविधान अब संस्कृत और मैथिली भाषा में भी पढ़ सकते हैं। संविधान को अंगीकार करने की 75वीं वर्षगांठ (संविधान दिवस) पर मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इन दो भाषाओं में संविधान की प्रतियों का विमोचन किया। संविधान दिवस पर एक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे संविधान के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें, अपने व्यवहार में लाएं। मौलिक कर्तव्यों का पालन करें। इसके साथ ही 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाएं। उन्होंने संविधान सदन में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि 75 साल पहले संवैधानिक परिषद ने एक नव स्वतंत्र देश के लिए संविधान बनाने का एक बड़ा कार्य पूरा किया था।
राष्ट्रपति मुर्मु ने संविधान निर्माताओं का स्मरण किया। संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों और अधिकारियों के योगदान को भी याद किया। उन्होंने महिला आरक्षण पर कानून को लोकतंत्र में महिला सशक्तिकरण के नए युग की शुरुआत बताया।
दो पुस्तकों का विमोचन
इस अवसर पर दो पुस्तकों “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।
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