अयोध्या। भारत और नेपाल के बीच प्राचीन मैत्री की जड़ों को मजबूत करने के लिए शुरू की गई विश्व हिंदू परिषद की मुहिम दोनों देशों के सांस्कृतिक सम्बन्ध को मजबूत कर रही है। राम कथा के अनुसार त्रेतायुग में मुनि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा को गए राम और लक्ष्मण उनके साथ जनकपुर में आयोजित धनुष यज्ञ देखने पहुंचे थे। विदेहराज को उदास देख मुनि विश्वामित्र की आज्ञा पर श्रीराम ने “अजगव” का भंजन किया और सीता ने भगवान राम का वरण किया। तब से जनकपुर (नेपाल) में विवाह पंचमी पर श्रीराम विवाह का परम्परागत आयोजन होता चला आ रहा है।
प्राचीनतम समय से चले आ रहे सांस्कृतिक आध्यात्मिक कार्यक्रमों के आयोजन को नया कलेवर देने का निर्णय लिया गया। जनकपुर में विवाह पंचमी पर राम विवाह का आयोजन होता ही था। विश्व हिंदू परिषद ने इसी विरासत को और मजबूत करने का निर्णय लेकर वर्ष 2004 में पहली बार अयोध्या से श्रीराम बारात का आयोजन किया। तत्कालीन नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव ने उपस्थित होकर बारात का भव्य स्वागत किया था। तब से प्रत्येक 5वर्ष के अंतराल पर 2009, 2014, 2019 में लगातार श्रीराम बारात का भव्य आयोजन होता रहा। इन आयोजनो में तिलक की रस्म अदायगी के लिए 20 से 25 लोग जनकपुर से आकर इस परंपरा का निर्वहन करते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इस वर्ष वृहद स्तर पर तिलकोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह, जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने स्वयं मौजूद रहकर सांस्कृतिक एकता के सूत्र को मजबूत किया। दोनों देशों के बीच इन सांस्कृतिक आयोजनों की परंपरा ने हमारे रिश्तों को अधिक मजबूती प्रदान की।
तीर्थाटन परम्परा से समृद्ध होता है राष्ट्र: सतीश कुमार सिंह
नेपाल के मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह कहते हैं कि दोनों देशों के बीच बेजोड़ सांस्कृतिक तालमेल है। यह परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है, जिसे यह आयोजन और मजबूती दे रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों में मजबूती आई है। राम लला के दर्शन के बाद श्रद्धालु जनकपुर में जानकी माता के दर्शन करेंगे तब उनकी धार्मिक यात्रा पूर्ण होगी। इससे पर्यटन उद्योग विकसित होगा।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री व श्रीराम बारात के संयोजक राजेंद्र सिंह ‘पंकज’ ने बताया कि श्रीराम विवाह में शामिल होने वाले साधुओं और श्रद्धालुओं का पंजीकरण किया जा रहा है| कारसेवकपुरम परिसर से 26 नवंबर को बारात प्रस्थान करेगी। क्रमशः बक्सर, पटना, कांटी, सीतामढ़ी पुनौरा धाम, आदि स्थानों पर विश्राम लेते हुए 3 दिसंबर को बारात जनकपुर पहुंचेगी। 4 दिसंबर को समधी मिलन, 5 दिसंबर को मटकोर और 6 दिसंबर को राम जानकी मंदिर 12 छत बीघा मैदान में विवाह समारोह का आयोजन होगा।
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