कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव के उपरांत झटका पर झटका लग रहा है। कांग्रेस पार्टी लगातार दो लोकसभा चुनाव में बुरे प्रदर्शन के बाद नेता प्रतिपक्ष का पद अपने प्रदर्शन से प्राप्त करने में सफल हुयी थी, तो ऐसा लगा कि कांग्रेस का यह प्रदर्शन अब आगामी विधनसभा चुनावों में बरकरार रहेगा। मगर कांग्रेस पार्टी जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखण्ड विधानसभा चुनाव में भी असंतोषप्रद प्रदर्शन से पार्टी अपने लोकसभा के प्रदर्शन को बरकरार रखने में नाकाम रही। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिला मनोबल अब पूरी तरह धूल धूसिरत हो चुका है।
झारखण्ड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के साथ ही कई राज्यों में विधानसभा के उपचुनाव हुए जिसके परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए दिवास्वप्न की तरह ही रहा। हम शुरुआत पश्चिम बंगाल से करते हैं तो देखते हैं कि वहां छह सीटों पर उपचुनाव हुए। कांग्रेस पार्टी के लिए इस राज्य में परिणाम से बड़ा झटका चुनाव पूर्व गठबंधन को बनाए रखने में ही हुआ, जब कम्युनिस्ट पार्टी के सभी घटकों ने एक स्वर से कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इंकार कर दिया। छह सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को सभी सीटों पर चुनाव लड़कर महज 26579 मत प्राप्त हुए। इन छह सीटों में सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस पार्टी तीसरे पायदान पर आ सकी। यह उपचुनाव 2026 में होने वाले अगले राज्य विधानसभा चुनाव के लिए स्पष्ट कर दिया कि वहां चुनावी द्वन्द भाजपा और ममता बनर्जी की पार्टी के बीच ही होगा। कांग्रेस पार्टी को उम्मीद थी कि अधीर रंजन चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद ममता बनर्जी उसे राज्य की राजनीति में कुछ मदद करेंगी, मगर कांग्रेस की उम्मीदों पर ममता बनर्जी ने पानी फेर दिया।
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इन सात सीटों पर कांग्रेस पार्टी के पास चार सीटें थीं, जबकि तीन सीटें उसके सहयोगी दलों के पास थी। अकेले चुनावी मैदान में जाकर कांग्रेस पार्टी ने राज्य में अपनी राजनितिक हैसियत की हकीकत को बता दिया। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जिन सहयोगी दलों के कारण अच्छा प्रदर्शन किया था, उन्हीं दलों को छोड़ कर कांग्रेस ने अपने बूते सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की ठान ली। मगर कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी निम्नतर रहा। कांग्रेस पार्टी सिर्फ दौसा सीट ही महज 2300 मतों से भाजपा से जीत सकी। कांग्रेस पार्टी चार सीटों पर सीधे मुकाबले में भी नहीं आ सकी साथ ही इन सीटों पर कांग्रेस पार्टी की जमानत भी जब्त हो गई। राजस्थान का उपचुनाव कांग्रेस पार्टी को आइना दिखा गया कि लोकसभा चुनाव में उसका अच्छा प्रदर्शन अपने सहयोगियों के बल पर था ना की खुद उसके बल पर। इस बुरे प्रदर्शन के बाद सहयोगी दल भविष्य में ज्यादा सीटें लेकर कांग्रेस से गठबंधन करेंगे। इन विधानसभा उपचुनावों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि आगमी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की राह बहुत ही दुश्कर रहने वाली हैं।
असम राज्य में पांच सीटों पर हुआ उपचुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए जले पर नमक छिड़कने जैसा परिणाम लेकर आया हैं। ऐसे कांग्रेस पार्टी के पास इन पांच सीटों में महज एक सीट सामगुरी ही थी। इस सीट के विधायक रॉकीबुल हुसैन असम विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता होने के साथ राज्य की राजनीति में पार्टी का मुस्लिम चेहरा थे। रॉकीबुल हुसैन विगत पांच बार से इस सीट का प्रतिनिधत्व कर रहे थे। उन्होंने इस सीट पर राज्य के दो बार के मुख्यमंत्री प्रफुल कुमार महंता को पटखनी तक दी थी। इस बार के लोकसभा चुनाव में धुबरी लोकसभा सीट से उन्होंने देश में सबसे अधिक मतों से बदरुद्दीन अजमल को पराजित किया था। उनका पुत्र तंज़ील हुसैन इस सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, मगर इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भी भाजपा ने 24501 मतों से कांग्रेस पार्टी को पराजित कर दिया। यह भाजपा के लिए बड़ी जीत थी। धुबरी लोकसभा सीट विगत तीन लोकसभा चुनाव में 2014 में 88.36 , 2019 में 90.66 और 2024 में 92 08 फीसद के साथ देश में सबसे अधिक मतदान के लिया अपना रिकॉर्ड दर्ज़ करवाया है। इस सीट पर कांग्रेस की हार वो बीजेपी की जीत ना सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा सन्देश लेकर आया। 2009 से इस सीट से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल प्रतिनिधत्व कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को उसकी हकीकत बताते हुए उसके सहयोगी दल समाजवादी पार्टी ने 9 सीटों के उपचुनाव में एक भी सीट नहीं दी। एक भी सीट नहीं मिलने से चुनाव पूर्व वो उसके बाद कांग्रेस पार्टी मन ही मन खुश हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में हार के दंश से बच गई। कांग्रेस पार्टी राज्य में सपा को मिली बुरी हार से भीतरी तौर पर काफी खुश है। गुजरात की वाव विधानसभा सीट पर उपचुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए राजस्थान की तरह ही दुखदायी रहा। गुजरात से 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली कांग्रेस पार्टी ने 2024 में बनासकांठा लोकसभा की सीट जीतने में सफल रही। वाव सीट के विधायक गेनीबेन ठाकोर ने कांग्रेस पार्टी के लिए 2024 चुनाव में राज्य से बड़ी खबर दिया मगर पार्टी के लिए यह अच्छी खबर अस्थायी रही। वाव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस पार्टी को हराकर 2024 में गुजरात में मिले एकलौते हार का बदला ले लिया।
पंजाब में चार सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए। इनमें तीन सीटें कांग्रेस वो एक सीट आम आदमी पार्टी के पास थी। मगर उपचुनाव ने चुनाव पूर्व समीकरण को पूरी तरह बदल दिया। कांग्रेस पार्टी के तीनों सीटों पर जहाँ आप ने कब्ज़ा जमा लिया वहीं आप के एकमात्र सीट पर कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज़ कर ली। कांग्रेस पार्टी का पंजाब में कमजोर होते जनाधार को इन उपचुनावों ने और भी सामने लाकर खड़ा कर दिया है। भाजपा ने चारों सीटों पर अच्छा प्रदर्शन कर आप को चेता दिया कि उसकी अगली लड़ाई अब कांग्रेस से नहीं बल्कि भाजपा से होगी। पंजाब के उपचुनावों में वहां के स्थानीय दलों के कमजोर प्रदर्शन से स्पष्ट है कि आने वाले समय में अब वहां की राजनीति में आप और भाजपा ही मुख्य दल रहेंगे।
बिहार में भी कांग्रेस पार्टी की सहयोगी दल राजद ने भी कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट नहीं दिया और ना ही उसे चुनाव प्रचार के लिए बुलाया इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी को 2025 के आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजद तवज्जो नहीं देने जा रही।
कर्नाटक और केरल में कांग्रेस पार्टी के लिए थोड़ी आशा देने वाला नतीजे देखने को मिला। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने जहाँ अपनी दो सीटें मामूली अंतर से बचाने में सफल रही। वहीं एक सीट भाजपा से अपने पाले में करने में सफल रही। भाजपा ने कर्नाटक में अपने प्रदर्शन में सुधार करके कांग्रेस को अपने बढ़ती ताकत का आभास भी करवा दिया। केरल की दो सीटों को कांग्रेस और माकपा अपने पाले में बनाये रखने में सफल रही। लेकिन भाजपा का दोनों सीटों पर प्रदर्शन काबिल ए तारीफ रहा जिससे कि पार्टी ने केरल में अपनी बढ़ती ताकत का एहसास करवा दिया है।
लोकसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने दोनों सीटों पर कब्ज़ा बनाये रखा मगर नांदेड़ सीट पर कांग्रेस के जीत का अंतर 59,442 मतों से घटकर महज 1457 मत पर आकर टिक गया। भाजपा इस सीट को जीतने से चूक गई। वायनाड लोकसभा सीट पर प्रियंका वाड्रा का राहुल गाँधी से भी ज्यादा मतों से जीतना कांग्रेस पार्टी के अंदर एक नया सत्ता संग्राम खड़ा कर सकता है। राहुल गाँधी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेस पार्टी का विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में दुर्गति यह दिखाता है कि अगले साल होने वाले दो विधानसभा चुनावों दिल्ली और बिहार में अगर कांग्रेस पार्टी का अच्छा प्रदर्शन नहीं होता है तो राहुल गाँधी को अपनी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी प्रियंका वाड्रा को सौपनी पड़ सकती है।
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