चंपावत: भारत की उत्तराखंड सरकार और नेपाल सरकार दोनों देशों के बीच अपने व्यापार संबंधों को और अधिक मजबूत करने जा रहे हैं। चंपावत जिले में करीब 32 करोड़ की लागत से महाकाली नदी पर एक लोहे का ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। अब दोनों तरफ एप्रोच रोड का काम चल रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा गृह क्षेत्र से एशियन हाइवे गुजर रहा है। जिसमें महाकाली नदी पर छारछुम के पास 110 मीटर लंबा टू लेन पुल बनकर तैयार हो चुका है और अब इस पुल की एप्रोच रोड बनाए जाने का काम प्रगति पर है। नेपाल की तरफ से रोड बन चुकी है, जबकि भारत की तरफ से रोड बनाने का काम चल रहा है फिर इसे हाइवे वे से जोड़ दिया जाएगा। इस पुल और रोड को बनाने का खर्च धामी सरकार वहन कर रही है।
इस पुल के बन जाने से नेपाल और भारत के 7 जिलों में व्यापार में वृद्धि की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। दो साल में बन कर पूरा हुए इस पुल को एशियन हाइवे से जोड़ने के लिए भी तैयारी पूरी कर ली गई है। यहां एशियन एलिफेंट कॉरिडोर के ऊपर से एक लंबा फ्लाई ओवर भी बनाया जा रहा है। ताकि जंगल के हाथियों के विचरने में कोई दिक्कत न आए।
जानकारी के अनुसार, एक पुल अभी नेपाल दार्चुला और कंचनपुर को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है, जो कि 800 मीटर, 187 करोड़ का बना रहा है।
चंपावत जिले के बनबसा के जगबुड़ा नदी के पास से चार किमी लंबे एशियन हाईवे बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। इस हाईवे के बीच शारदा कैनाल, रेलवे ओवर ब्रिज और इलिफेंट कॉरिडोर आ रहा है। प्रोजेक्ट पर 50% से अधिक का कार्य हो गया है। ये कार्य नेशनल हाइवे अथार्टी कर रहा है एशियन हाईवे के बीच में 750 मीटर का एलिफेंट कॉरिडोर बन गया है। हाथी-अन्य वन्यजीव हाईवे के नीचे से गुजरेंगे।
हाईवे नेपाल के मायापुरी वन क्षेत्र के पास जुड़ेगा जो भारत-नेपाल सीमा का पिलर नंबर 802 है। शारदा कैनाल पर सेतु के लिए एक पाया बन गया है, दूसरे का कार्य चल रहा है। एशियन हाईवे शुरू होने के बाद दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के उत्पादों को नेपाल के बाजारों में पहुंचाना आसान होगा,उत्तराखंड की 300 किमी से ज्यादा सीमा नेपाल से लगी है दोनों देशों के बीच रोटी बेटी के रिश्ते है साथ ही साथ भारत के उत्पादों का बड़ा बाजार नेपाल भी है।
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