इस्लामिक देश ईरान में आजकल वहां की मसूद पजेशकियान की अगुवाई वाली इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार महिलाओं की आजादी छीनने के लिए नए-नए कानून बनाने में लगी हुई है। महिलाओं को हिजाब में रखने के लिए सरकार ने हिजाब न पहनने वाली महिलाओं के क्लीनिक खोलने का फैसला किया है। लेकिन, जीवन के रक्षण के लिए आवश्यक खाद्य सामग्रियों की महंगाई वहां आसमान छू रही है। ईरान में महंगाई दर 40 प्रतिशत से ऊपर चली गई है।
ईरान चैम्बर ऑफ कॉमर्स रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2022 तक ईरान की तकरीबन 32 मिलियन यानि की एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीने के लिए मजबूर थी। लेकिन अब हालात और अधिक बुरे हो गए हैं। नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ज्यादातर ईरानी नागरिक जबर्दस्त खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। ईरान में इस वर्ष महंगाई ने सारे रिक़ॉर्ड तोड़ते हुए 40 फीसदी से अधिक हो गई है। दावा किया जा रहा है कि जिस प्रकार के हालात ईरान में हैं, उनमें आर्थिक विकास की बात, निवेश और गरीबी हटाने की बातें अब दिखावे की तरह प्रतीत होने लगी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान की अर्थव्यवस्था की ये दुर्गति अमेरिका द्वारा वर्ष 2018 में लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण है। ईरान का रियाल यूएस डॉलर की तुलना में 15 फीसदी तक गिर चुका है। सबसे अहम बात ये कि ईरान में खाद्य गरीबी 2017 के 18 मिलियन से बढ़कर 26 मिलियन तक पहुंच गई है। सीधे शब्दों में कहा जाय तो ईरान की 2.5 करोड़ जनता भुखमरी का सामना करने के लिए मजबूर है। हालांकि, इन सब हालातों के बाद भी इन सभी पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय कट्टरपंथी सरकार महिलाओं को हिजाब में कैद रखकर उनकी आजादी को छीनने में लगी हुई है।
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यही कारण है कि ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने हिजाब विरोधी महिलाओं के लिए ‘हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लीनिक’ खोल रही है। इन क्लीनिक्स में इलाज कम और टॉर्चर अधिक होगा, ऐसी आशंकाएं कई मानवाधिकार संगठन जता चुके हैं।
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