पाकिस्तान की अवाम इस अजीब से फतवे के विरुद्ध मुखर हुई, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है कि क्या शाहबाज सरकार सच में बौरा गई है! अब उस देश में नया कायदा बना दिया गया है जिसके तहत वीपीएन पर रोक लगाकर उसके इस्तेमाल को फतवे की जद में लाया गया है।
मंगल पर जा पहुंचे भारत के पड़ोस में जिन्ना का जिहादी देश वीपीएन पर फतवा जारी करे तो समझा जा सकता है कि उस जिहादी सोच के देश की हालत क्या है। वहां की सरकार के अंतर्गत काम करने वाली मजहबी मामलों की सबसे बड़ी संस्था ने वीपीएन को इस्लाम विरोधी करार देते हुए, उसका प्रयोग करने वालों पर फतवे की तलवार लटका दी है। वीपीएन का प्रयोग अब उस देश में ‘हराम’ हो गया है।
पाकिस्तान की अवाम इस अजीब से फतवे के विरुद्ध मुखर हुई, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है कि क्या शाहबाज सरकार सच में बौरा गई है! अब उस देश में नया कायदा बना दिया गया है जिसके तहत वीपीएन पर रोक लगाकर उसके इस्तेमाल को फतवे की जद में लाया गया है।
VPN अथवा वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क को इस्लाती शरिया के विरुद्ध मानते हुए लोगों से कहा गया है कि उस देश में जिस सामग्री पर प्रतिबंध है उसे इसके माध्यम से देखने की कोशिश न करें। जो इस फरमान को नहीं मानेगा उसके विरुद्ध कार्रवाई करने का भी प्रावधान किया गया है।
नए कानून के तहत वीपीएन का प्रयोग करने के इच्छुक लोगों को वह नेटवर्क पाकिस्तान टेलिकॉम अथॉरिटी में रजिस्टर कराना होगा। इसे कराए बिना अगर कोई VPN को प्रयोग करता मिला तो उस पर कार्रवाई का खतरा बना रहेगा। जिन्ना के देश की सबसे बड़ी मजहबी संस्था के इस फतवे को सरकार की मंजूरी दी जा चुकी है। लेकिन अब सरकार सोशल मीडिया पर लोगों का इसके विरुद्ध गुस्सा देखकर हैरान है।
जिन्ना के देश की सबसे बड़ी मजहबी मामलों की वह संस्था है ‘काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी’। इसका कहना है कि टेक्नोलॉजी अपनी जगह है लेकिन इसका प्रयोग किसी गैरकानूनी या नैतिकता विरोधी चीजों के लिए किया जाता है तो वह गैर इस्लामी माना जाएगा।
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द डॉन की रिपोर्ट है कि शीर्ष मजहबी संस्था के अध्यक्ष रागिब नईमी का कहना है कि अनैतिक अथवा गैरकानूनी सामग्री देखने या उसे खोलने के लिए वीपीएन को प्रयोग करने से इस्लामी शरिया का उल्लंघन होता है। नईमी का यह भी कहना है कि वीपीएन के जरिए गलत जानकारी फैलाकर सोसाइटी में अराजकता पैदा करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह अस्वीकार्य है। मजहबी नजरिए से वीपीएन एक मायने में समाज की ताकत को कम करने का हथियार जैसा बनने लगा है।
पाकिस्तान का नया फतवा पूरे देश में लागू करने के साथ ही उसकी हर जगह भर्त्सना हो रही है। अनेक इस्लामी समझ रखने वालों में भी इसके विरुद्ध मत जताया है। मौलाना तारिक जमील का कहना है कि अगर ‘एडल्ट कंटेंट’ या ब्लास्फेमी से जुड़े कंटेंट को देखने की बात पर वीपीएन इस्लामी विरोधी ठहराया गया है तो पहले मोबाइल फोन को भी इस्लामी विरोधी ठहराया जाता।
सोशल मीडिया पर ऐसा विरोध देखकर सरकारी अफसर अब इस फतवे को साइबर सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई की सफाइयां देकर ढकने का प्रयास कर रहे हैं। अफसरों ने यह कहना शुरू किया है कि दरअसल वीपीएन को आतंकवादी हरकतों को अंजाम देने, वित्तीय अपराध करने तथा पोर्नोग्राफी के लिए प्रयोग किया जा रहा था। यह ‘राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय’ है। इसलिए सरकार ने वीपीएन पर रोक लगाने का फैसला किया है।
दूसरी तरफ आम लोग इसे सेंसरशिप मान रहे हैं। वे कह रहे हैं कि यह उनकी निजी आजादी को छीनने की कोशिश है।
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