स्मृतिशेष : धुन में मग्न संन्यासी जीवन
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम श्रद्धांजलि

स्मृतिशेष : धुन में मग्न संन्यासी जीवन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिले संस्कारों के साथ श्री दीनानाथ बत्रा ने एक तपस्वी सरीखा जीवन जिया और कालांतर में शिक्षा में आई विकृतियों को दूर करने के लिए अतुलनीय कार्य किया

by अतुल कोठारी
Nov 15, 2024, 12:15 pm IST
in श्रद्धांजलि
स्व. दीनानाथ बत्रा

स्व. दीनानाथ बत्रा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गीता निकेतन आवासीय विद्यालय, (कुरुक्षेत्र), विद्या भारती, शिक्षा बचाओ आंदोलन, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास— ये चारों नाम एक साथ लिए जाएं तो मन में जो तस्वीर उभरती है, वह श्री दीनानाथ बत्रा की है। वे अब हमारे बीच नहीं रहे। गत 7 नवंबर को 94 वर्ष की आयु में उनका देहावसान हो गया। उन्होंने हमेशा एक तपस्वी जैसा जीवन जिया। उनके पास जो भी आया, उन्होंने उसे हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया। उसका हाल-चाल पूछा। उनसे जो भी मिला, उनका हो गया।

अतुल कोठारी
राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास

ऐसे संवेदनशील व्यक्ति के लिए परिवार से अलग रहकर शिक्षा का अभियान चलाना आसान नहीं रहा होगा। इस अवधि में वे कई बार बीमार पड़े, लेकिन घर से दूर रहे। ऐसे समय में अपनी ही धुन में मग्न संन्यासी और उसका परिवार दोनों परीक्षा से ही गुजर रहे होते हैं। एक वह जो अपने संकल्प के रास्ते पर बहुत आगे निकल चुका है और बीच में वह सब छोड़कर लौटना नहीं चाहता। दूसरी तरफ वह परिवार जिसे अपने अभिभावक की चिंता है।

संघ की भूमिका

हर स्वयंसेवक की तरह उनके जीवन में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम भूमिका रही। वर्ष 1946 में फगवाड़ा (पंजाब) का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रथम वर्ष सरकारी महाविद्यालय डेरा गाजी खान में होना तय हुआ था। उनके पिता ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी तो उन्होंने घर में भूख हड़ताल कर दी और घर वालों को मनाने का प्रयास किया। पिताजी वर्ग में न जाने का कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बताते थे। जिस विद्यालय में शिक्षा ले रहे थे, उस विद्यालय के प्रधानाचार्य भी स्वयंसेवक थे। वर्ग से पहले प्रधानाचार्य जी पिताजी से मिलने घर पर आये। कहा कि आपका पुत्र संघ के वर्ग में अनुशासन, चरित्र निर्माण एवं राष्ट्रीयता का प्रशिक्षण लेने जाएगा। यह वर्ग उनको एक अच्छा पुत्र और देश का एक अच्छा नागरिक बनने में उसकी मदद करेगा। दोनों के समझाने के बाद उनके पिता उन्हें वर्ग में जाने देने के लिए सहमत हो गए।

मूल्यपरक शिक्षा की पुनर्स्थापना

श्री दीनानाथ बत्रा द्वारा सन् 2004 में प्रारंभ किए गए शिक्षा बचाओ आंदोलन के बाद ही देश में शिक्षा और पाठ्यक्रम समाज के बीच चर्चा का विषय बने। उन्होंने अपना पूरा जीवन मूल्यपरक शिक्षा की पुनर्स्थापना में लगा दिया क्योंकि वे वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन चाहते थे। उनसे जितना हो सका, न्यायालय के माध्यम से सुधार भी कराया। यह उनके नैतिक आत्मबल की शक्ति ही थी कि शिक्षा में सुधार की 12 बड़ी लड़ाइयां वे न्यायालय से जीते थे। उदाहरण के तौर पर इग्नू का पाठ्यक्रम। इसमें बहुत गंभीर त्रुटियां थीं। इसके लिए उन्होंने कुछ मीडिया संस्थानों को साक्षात्कार दिया, उसके बाद देश भर में आंदोलन प्रारंभ हो गए। कई संस्थानों का घेराव हुआ। प्रदर्शन हुए। पाठ्य्रक्रम के जिन हिस्सों पर बत्राजी ने आपत्ति दर्ज कराई थी, तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने संसद में खड़े होकर उस विवादित सामग्री को वापस लेने की घोषणा की। यह बड़ी जीत शिक्षा बचाओ आंदोलन को न्यायालय में गए बिना मिली थी।

विकृति के सामने मजबूत चट्टान

जब पाठ्य पुस्तकों में गलत और भ्रमित चीजें शामिल कर छात्रों को असत्य पढ़ाया जा रहा था तो तब उन्होंने इसके लिए आवाज उठाई थी। उनके नेतृत्व में जिम्मेदार नागरिकों और शिक्षाविदों ने संस्कारक्षम शिक्षा के लिए लड़ने का बीड़ा उठाया, जिसकी परिणति 2004 में शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के गठन के रूप में सामने आई। उन्हें बखूबी पता था कि सिर्फ तथ्यों को सामने रखने से बात नहीं बनेगी। पंडित भगवत दत्त ने आजाद भारत में लिखे जा रहे भारत विरोधी इतिहास पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। वे देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद से मिले भी थे, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। दीनानाथ जी इसे समझते थे। इसलिए उन्होंने शिक्षा में सुधार और पाठ्यक्रम के विषय को लेकर एक अकादमिक विमर्श तो प्रारंभ किया ही, सड़क पर उतर कर इसके लिए आंदोलन की पृष्ठभूमि भी तैयार की। न्यायालय का सहारा लिया। विधानसभा और देश की संसद में विषय उठवाए। इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा की याचिका समिति में कोई याचिका देते हैं और वह स्वीकार कर ली जाती है तो देश भर से सुझाव मांगे जाते हैं और फिर उन पर बहस होती है।

जब यौन-शिक्षा को अनिवार्य करने को लेकर देश भर में माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा था, उस समय उन्होंने इसी समिति का रास्ता अपनाया। वेंकैया नायडु उस समय समिति के अध्यक्ष हुआ करते थे। अलग अलग छह केन्द्रों पर यौन शिक्षा पर हुई सुनवाई के दौरान समिति को चालीस हजार से अधिक ज्ञापन एवं पत्र इस विषय पर मिले। उसमें 90 प्रतिशत से अधिक यौन शिक्षा देने के खिलाफ थे। इसके खिलाफ चले हस्ताक्षर अभियान में लाखों लोगों ने हस्ताक्षर किए। जब लोगों के हस्ताक्षरों को राष्ट्रपति के यहां गाड़ी में भरकर ले जाया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है। आप हस्ताक्षर की संख्या आदि जानकारी लिखकर ज्ञापन दे दीजिए।

नहीं बंद होने दिया विद्यालय

वे डेरा बस्सी (चंडीगढ़) स्थित डीएवी विद्यालय में नौकरी करते थे। उस समय कुरुक्षेत्र के गीता निकेतन आवासीय विद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं थी। विद्यालय को लेकर तीन लोगों की एक समिति बनी, जिसमें एक दीनानाथ जी भी थे। दो लोगों ने साफ तौर पर कह दिया कि यह विद्यालय अब नहीं चल सकता, इसे बंद कर देना चाहिए। लेकिन वे अड़ गए कि जिस विद्यालय का शिलान्यास पूजनीय गुरुजी ने किया है, वह कैसे बंद हो सकता है! उन्होंने उस विद्यालय की जिम्मेदारी ली और उनकी देखरेख में वह पूरे क्षेत्र का आदर्श विद्यालय बना। ऐसे हजारों पूर्व छात्र हैं जिन्होंने इसी विद्यालय से मिली शिक्षा और संस्कार के दम पर विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाई।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रशिक्षण शिविर की एक घटना बत्रा जी को सदैव स्मरण रहती थी। परम पूजनीय श्री गुरु जी वर्ग में पधारे थे, वर्ग में दिया उनका वक्तव्य उन्हें आजीवन स्मरण रहा। उस दौरान एक प्रचारक की सर्प काटने से मृत्यु हो गई। उस घटना के ठीक दो दिन के बाद श्री गुरु जी शिविर में आए थे। उनके साथ वसंतराव ओक जी भी आए थे। वर्ग में गुरुजी ने उक्त शोक समाचार सुनकर एक वाक्य कहा था कि ‘आज मेरी स्थिति उस कंजूस के समान है जो एक-एक पैसा जोड़ता है और अचानक उसका एक रुपया गुम हो जाता है। कार्यकर्ता एक-एक करके जुड़ते हैं। उनमें से सक्रिय जीवन समर्पित करने वाले कार्यकर्ता यदि यूं चले जाएं तो बहुत दुख होता है।’ यह संघ शिक्षा वर्ग की बहुत दु:ख भरी घटना थी। आज बत्रा जी के जाने के बाद शिक्षा जगत और हम सब कार्यकर्ता उसी पीड़ा से गुजर रहे हैं। भारतीय शिक्षा में सुधार के लिए संघर्षरत वह ‘रुपया’ गुम हो गया है। बत्रा जी ने जीवन में अपने लिए न कभी कुछ मांगा और ना कुछ किया। उन्होंने शिक्षा, समाज और राष्ट्र के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया।

‘शिक्षा को थे समर्पित’

गत 10 नवंबर को नई दिल्ली में वरिष्ठ शिक्षाविद् स्व. दीनानाथ बत्रा की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि बत्रा जी का व्यक्तित्व बहुत बड़ा था। उन्होंने लंबे समय तक सक्रियता, श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य किया। हिंदू धर्म में कहते हैं, ‘मैं और मेरा अज्ञान है, प्रभु तेरा और तुम्हारा ही ज्ञान है।’ यह वाक्य सुनने में तो छोटा है, लेकिन इसको जिया कैसे जाता है तो इसके लिए बत्रा जी को देखना पड़ेगा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि बत्रा जी के संपूर्ण जीवन में शिक्षा के अलावा कुछ नहीं था। उनका हर पल, हर क्षण, हर कण शिक्षा से जुड़ा था।

उन्होंने जीवन में अपने लिए कुछ नहीं मांगा, न स्वयं के लिए कुछ किया। बत्रा जी के सुपुत्र डॉ. दिनेश बत्रा ने कहा कि पिताजी 1947 में विभाजन के समय 17 वर्ष के थे। विभाजन के समय उन्होंने परिवार को सकुशल भारत छोड़ा और स्वयं के हाथ पर कोई मुस्लिम नाम लिख कर वापस अन्य लोगों को सुरक्षित भारत लाने के लिए पाकिस्तान चले गए। उन्होंने संपूर्ण समाज को अपना परिवार माना। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि बत्रा जी ने शिक्षा के माध्यम से देशभक्त, संस्कारित, श्रेष्ठ और अच्छे इंसान बनाने का कार्य किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि शिक्षा के लिए बोलने व लिखने वाले बहुत लोग हैं, लेकिन अपनी विचारधारा के लिये संघर्ष करना और किसी भी सीमा तक जाना, इसके लिए अंदर की ताकत चाहिए और वह बत्रा जी में बहुत थी।

श्रद्धांजलि सभा में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, श्री भूपेंद्र यादव, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर आदि के शोक संदेशों का वाचन हुआ। बत्रा जी की पुत्रवधू वंदना बत्रा ने उनके व्यक्तित्व पर लिखी कविता का पाठ किया। इस अवसर पर सह-सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख श्री रामलाल सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।

 

 

Topics: संस्कारक्षम शिक्षाशिक्षा और संस्कारSanskar-based educationEducation and Sanskarराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघRashtriya Swayamsevak Sanghदीनानाथ बत्राशिक्षा बचाओ आंदोलनDinanath BatraSave Education Movement
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को केशव कुंज कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के संबंध में जानकारी दी। साथ में  दिल्ली प्रांत के संघचालक अनिल अग्रवाल जी।

आरएसएस के 100 साल:  मंडलों और बस्तियों में हिंदू सम्मेलन का होगा आयोजन, हर घर तक पहुंचेगा संघ

भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर

राजनीति से परे राष्ट्र भाव

indian parliament panch parivartan

भारतीय संविधान और पंच परिवर्तन: सनातन चेतना से सामाजिक नवाचार तक

अतिथियों के साथ सम्मानित पत्रकार

सम्मानित हुए 12 पत्रकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बुमराह और आर्चर

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज: लॉर्ड्स में चरम पर होगा रोमांच

मौलाना छांगुर ने कराया 1500 से अधिक हिंदू महिलाओं का कन्वर्जन, बढ़ा रहा था मुस्लिम आबादी

Uttarakhand weather

उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट: 10 से 14 जुलाई तक मूसलाधार वर्षा की चेतावनी

Pratap Singh Bajwa complaint Against AAP leaders

केजरीवाल, भगवंत मान व आप अध्यक्ष अमन अरोड़ा के खिलाफ वीडियो से छेड़छाड़ की शिकायत

UP Operation Anti conversion

उत्तर प्रदेश में अवैध कन्वर्जन के खिलाफ सख्त कार्रवाई: 8 वर्षों में 16 आरोपियों को सजा

Uttarakhand Amit Shah

उत्तराखंड: अमित शाह के दौरे के साथ 1 लाख करोड़ की ग्राउंडिंग सेरेमनी, औद्योगिक प्रगति को नई दिशा

Shubman Gill

England vs India series 2025: शुभमन गिल की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को झुकाया

मुंबई: ‘सिंदूर ब्रिज’ का हुआ उद्घाटन, ट्रैफिक जाम से मिलेगी बड़ी राहत

ब्रिटेन में मुस्लिमों के लिए वेबसाइट, पुरुषों के लिए चार निकाह की वकालत, वर्जिन बीवी की मांग

Haridwar Guru Purnima

उत्तराखंड: गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पावन गंगा में आस्था की डुबकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies