नई दिल्ली । गोधरा कांड की भयावह घटना आज भी लोगों के दिलों में गहरे घाव की तरह ताजा है। यह घटना 27 फरवरी 2002 की है, जब साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 में अयोध्या से लौट रहे रामभक्तों को गोधरा रेलवे स्टेशन पर मजहबी भीड़ ने घेर कर आग के हवाले कर दिया था। इस दर्दनाक घटना में 59 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, जिंदा जल गए थे। अब 15 नवंबर को इस घटना पर आधारित फिल्म “The Sabarmati Report” रिलीज हो रही है, जो एक रिपोर्टर के नजरिए से इस दिल दहला देने वाली घटना की जांच-पड़ताल करती है।
जनक भाई पंचाल : प्रत्यक्षदर्शी की आंखों देखी कहानी
गुजरात के अमदाबाद के निवासी जनक भाई पंचाल भी उसी कोच में थे, जिसमें उनके भाई शैलेश भी मौजूद थे। उन्होंने अपनी आंखों के सामने इस भयावह दृश्य को देखा और अपने भाई को खो दिया। जनक भाई पंचाल ने पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत में इस घटना को याद करते हुए कहा, “गोधरा स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी, तो कट्टरपंथियों की भीड़ ने अचानक से कोच एस-6 पर हमला कर दिया। उन्होंने ट्रेन के अंदर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। लोग अंदर से चिल्ला रहे थे, पर उनकी चीखें बाहर नहीं सुनाई दे रही थीं। यह दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने घूमता है, और मैं इसे कभी नहीं भूल सकता।”
उनकी गवाही ने इस केस को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 2011 में कोर्ट ने इस घटना के दोषी 31 लोगों को सजा सुनाई।
गोधरा कांड का सच : साजिश या हादसा?
गोधरा कांड पर लोगों के मन में वर्षों से एक सवाल बना हुआ है – क्या यह घटना एक हादसा थी या एक सोची-समझी साजिश? साबरमती एक्सप्रेस की घटना के पीछे कट्टरपंथियों की योजना और सांप्रदायिक हिंसा का इरादा बताया गया। रिपोर्ट के अनुसार, अयोध्या से लौट रहे रामभक्तों को निशाना बनाकर हमले की योजना बनाई गई थी। इस घटना के तुरंत बाद गुजरात में हिंसा की लहर दौड़ गई, और इसके परिणामस्वरूप प्रदेश में सांप्रदायिक संघर्ष भड़क गया।
The Sabarmati Report : फिल्म में गोधरा कांड की जांच
The Sabarmati Report फिल्म में इस पूरी घटना को एक रिपोर्टर के नजरिए से दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म दर्शाती है कि किस तरह से अयोध्या से लौटते समय रामभक्तों के खिलाफ इस घटना को अंजाम दिया गया। यह फिल्म उन सवालों को उठाती है, जो आज भी अनसुलझे हैं। इस फिल्म में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि कैसे इस घटना के पीछे के असली कारणों की तह तक जाने की जरूरत है और इसे एक साधारण हादसे के रूप में नहीं देखा जा सकता।
गोधरा कांड के बाद की स्थिति
गोधरा की इस घटना के बाद पूरे गुजरात में एक उबाल आ गया था। कई महीने तक प्रदेश में तनावपूर्ण माहौल रहा। इस घटना के बाद जिन लोगों को दोषी ठहराया गया, उनकी सजा ने राज्य में शांति स्थापित करने में कुछ हद तक मदद की। इस केस में अदालती कार्यवाही कई वर्षों तक चली और आखिरकार 2011 में न्यायालय ने आरोपियों को सजा सुनाई।
जनक भाई पंचाल का दर्द
जनक भाई पंचाल कहते हैं, “इस घटना को याद करके मैं हमेशा सहम जाता हूँ। मेरे भाई का चेहरा मेरी आँखों के सामने आता है। यह सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि हर उस परिवार के लिए दुखद घटना है, जिसने उस दिन अपने प्रियजनों को खोया था।” जनक भाई ने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिला था, तब तक उनका दिल शांत नहीं था, पर अब भी यह घटना उन्हें रातों को चैन से सोने नहीं देती।
गोधरा कांड की यादें और सबक
गोधरा कांड का इतिहास भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि सांप्रदायिकता और मजहबी कट्टरता का समाज पर कितना बुरा असर पड़ सकता है। जनक भाई जैसे प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही ने इस मामले में न्याय दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है, और इसने यह साबित किया कि सच को सामने लाने में समय लग सकता है, परंतु न्याय अवश्य होता है।
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Shivam Dixit started his career in journalism from 2015. He first worked as Special Correspondent in Mansukh Times (Weekly Newspaper) and later came to Delhi and worked as Digital Editor in Sanchar Times Media Group.
After this he joined the News Network of India (NNI) and held the post of Reporter Coordinator in India's paper here. After successfully launching India's Paper Project, Shivam Dixit started his new innings as Social Media In-charge at News1India, Dainik Hint and Niwan Times.
After working in various media organizations for many years, Shivam Dixit is currently working in the national weekly 'Panchjanya' continuously since 1948.
Talking about his achievements, he managed 500 websites of various newspapers of "India's Papers" as manager in NNI. Talking about the output of this project, this project was registered in Limca Book of Records.
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