विश्लेषण

पाकिस्तानी क्रिकेटरों और नेताओं के हिंदू और भारत विरोधी बयानों पर सवाल, चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान में कराने पर विवाद

Published by
सोनाली मिश्रा

इस बार चैंपियन ट्रॉफी का आयोजन पाकिस्तान में हो रहा है और बीसीसीआई ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान नहीं जाएगी। इसे लेकर अब पाकिस्तान में यह चर्चाएं हो रही हैं कि भारतीय टीम को पाकिस्तान आना चाहिए। वहाँ के खेल पत्रकार एवं क्रिकेट प्रेमी यह कह रहे हैं कि खेलों के बीच राजनीति नहीं आनी चाहिए और यह भी कह रहे हैं कि उनपर सुरक्षा का खतरा नहीं है।

जब इन दिनों ये चर्चाएं हो रही हैं और पाकिस्तान के खेल पत्रकार और कथित खिलाड़ी खेल मूल्यों का राग गा रहे हैं तो ऐसे में पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों के उन बयानों को याद करना चाहिए, जो भारत और हिन्दू विरोध में लगातार दिए जाते रहे थे।

अभी भी लोगों के दिमाग में वह क्षण बसा होगा जब वर्ष 2021 में टी-20 विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ने हराया था और रिजवान ने मैदान में नमाज पढ़ी थी, तो वकार यूनुस ने “जीत” के उत्साह में कहा था कि जिस तरह से बाबर और रिजवान ने बल्लेबाजी की, वह काबिलेतारीफ थी, मगर उसने हिंदुओं से घिरे मैदान पर नमाज अदा की, यह वास्तव में मेरे लिए बहुत खास बात थी।

हालांकि बाद में उन्होनें अफसोस जाहिर करते हुए कहा था कि वे भावनाओं में बह गए थे। मगर भारत के प्रति घृणा का यह इकलौता उदाहरण नहीं है। पाकिस्तान ने जब भारतीय क्रिकेट टीम को उस मैच में हराया था तो पाकिस्तान में उस समय के गृह मंत्री शेख रशीद ने इसे “मुस्लिम संसार की फतह” बताया था। रशीद ने तो यहाँ तक कहा था कि भारत के मुस्लिम भी पाकिस्तानी टीम के साथ थे। वह वीडियो अभी तक सोशल मीडिया पर मौजूद है।

यह तो वर्ष 2021 की बात थी। मगर ऐसा नहीं है कि हिंदुओं के प्रति घृणा अभी की है। कुछ उदाहरणों पर नजर डालते हैं जो यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों के दिल में भारत और हिंदुओं को लेकर घृणा कितनी अधिक है।

पाकिस्तानी खिलाड़ी शाहिद अफरीदी ने अपनी बेटी को आरती करते हुए देखकर टीवी तोड़ने का दावा किया था और अभी तक यह वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद है।

शोएब अख्तर ने कहा था कि गजवा ए हिन्द होगा। शोएब अख्तर का एक और इंटरव्यू वायरल हुआ था, जिसमें वे सचिन तेंडुलकर को जखमी करने के इरादे की बात कर रहे थे और बता रहे थे कि कैसे उन्होनें ऐसी गेंद फेंकी कि सचिन जख्मी हो जाएं।

इतना ही नहीं भारतीय क्रिकेट टीम पर पाकिस्तान में खेल के मैदान में पथराव भी हो चुका है। ऐसी तीन घटनाएं हुई है:

1-   वर्ष 1989 में श्रीकांत पर पाकिस्तानी दर्शक ने हमला कर दिया था।

2-   वर्ष 1997 में पूरी क्रिकेट टीम पर पत्थर फेंके गए थे। उस समय टीम के कप्तान सचिन तेंडुलकर थे और पाकिस्तानी पारी के दौरान 4 मौकों पर भारतीय फील्डरों पर पत्थर फेंके गए थे। उस समय टीम के कप्तान ने शिकायत की और फिर वे पूरी टीम के साथ बाहर चले गए थे।

3-   इरफान पठान ने भी एक बार बताया था कि उन पर पाकिस्तान में कील से हमला हुआ था।

4-   इसके साथ अजित अगरकर पर भी पाकिस्तानी दर्शकों ने हमला किया यथा।

5-   एक शो में शाहिद आफ़रीदी से पाकिस्तान की फील्डिंग पर सवाल पूछे जा रहे थे, तो शाहिद उस समय उसके बीच कश्मीर लेकर चले आए थे।

6-   बाबरी मस्जिद के लिए भी बैनर पाकिस्तान में क्रिकेट मैचों के दौरान देखने को मिले थे।

7-   पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर अब्दुल रज्जाक ने आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप 2024 पर बात करते हुए ऐश्वर्या राय पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। रज्जाक ने कहा था कि “अगर आपकी सोच है कि मैं ऐश्वर्या राय से शादी करूं और वहाँ से सदाचारी बच्चा पैदा हो जाए तो ये कभी नहीं हो सकता”. उन्होंने कहा था, “इसलिए आपको पहले नियत ठीक करनी होगी”

8-   जावेद मियांदाद तो अभी भारतीयों को काटने के लिए तलवार लहराते हुए दिखाई दिए हैं।

ऐसी एक नहीं तमाम घटनाएं हैं, जो यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि भारत और हिंदुओं के प्रति पाकिस्तान के दर्शकों और पाकिस्तानी क्रिकेटर्स के क्या विचार हैं। वे क्या सोचते हैं और कितनी नफरत करते हैं। इस समय पाकिस्तान के क्रिकेटर और खेल पत्रकार कह रहे हैं कि पाकिस्तान में जब सारे देश आ सकते हैं तो भारत क्यों नहीं? जबकि उनके खिलाड़ियों और प्रशंसकों द्वारा किये गए कामों से ही यह साफ हो जाता है कि क्यों भारतीय टीम को पाकिस्तान नहीं जाना चाहिए।

इसके साथ ही पाकिस्तान में वर्ष 2009 में श्रीलंका क्रिकेट टी पर हमला हो चुका है और साथ ही बेअदबी के नाम पर निर्दोष लोगों को मारना भी जारी है। ये तमाम बातें यह स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त हैं कि क्यों भारतीय टीम पाकिस्तान में खेलने नहीं जाती है और क्यों बीसीसीआई ने साफ मना कर दिया है।

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