डोनाल्ड ट्रम्प के जीतने के साथ ही ‘बर्थ कंट्रोल’ गोली की बिक्री तेजी से बढ़ गई है। इतना ही नहीं, आपात स्थिति में ली जाने वालीं गर्भनिरोधक दवा भी धड़ल्ले से बिक रही हैं। ‘यूएसए टूडे’ समाचार पत्र ने रिपोर्ट छापी है कि गर्भनिरोधक दवा बना रही कंपनी ‘विस्प’ के अनुसार, गत 5—7 नवंबर के दौरान आपात स्थिति में ली जाने वाली दवा की बिक्री में 1000 प्रतिशत की बढ़त दिखी है। इन दवाओं की खरीदारी करने वाली महिलाओं की तादाद में भी 1650 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। गर्भपात की दवाएं भी पहले के मुकाबले 600 प्रतिशत अधिक खरीदी गई हैं।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से उन महिलाओं में खलबली मची है जो ‘उन्मुक्तता’ के नाम पर अनेक पुरुषों से संबंध बनाती हैं और गर्भ ठहरने पर गर्भपात कराती रहती हैं। ट्रंप की जीत से अब उन्हें लग रहा है कि उनको यह ‘उन्मुक्त’ अधिकार नहीं मिलेगा, इसलिए उस देश में एकाएक गर्भपात के साधनों की बिक्री में उछाल आया है।
ऐसी महिलाओं ने अब विरोध का एक अनोखी तरीका सोचा है और वह यह है कि वे अब पुरुषों से भी शादी के नाम पर दूरी बढ़ा लेंगी। खबर यह भी है कि वे अब इस ‘गर्भपात के अधिकार’ को पाने के लिए वैसा ही आंदोलन छेड़ेंगी जैसा कोरिया में छेड़ा गया था। ‘उन्मुक्तता’ में डूबीं ऐसी महिलाओं ने कहा है कि यदि देश के मर्द उनकी आजादी को सिर—माथे नहीं बिठाते तो वे भी ऐसे मर्दों के साथ कोई संबंध बनाने में भरोसा नहीं रखतीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प की प्रतितद्वंद्वी डेमोक्रेट कमला हैरिस के पास सबसे बड़ा मुद्दा इस गर्भपात को लेकर ही था। महिला आबादी को लग रहा था कि कमला जीतीं तो गर्भपात का उचित ठहराने वाला कानून बनाएंगी, इसलिए यह बात भी खूब उड़ी थी कि कमला की जीत इस कानून की गारंटी है। कमला ने भी अपने चुनावी भाषणों में इसका उल्लेख किया था।
लेकिन ट्रंप की जीत ऐसी ‘अत्याधुनिक सोच’ वाली महिलाओं को रास नहीं आई है। इसलिए अब उन्होंने गर्भपात का हक पाने के लिए आंदोलन की राह पकड़ने की ठानी है। अमेरिकी मीडिया चैनल सीएनएन की रिपोर्ट है कि अनेक महिलाओं का कहना है कि अब वे वैसा ही आंदोलन छेड़ेंगी जैसा कोरिया में 4B के नाम से चला था। यह बात उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्त भी करनी शुरू कर दी है। इंस्टाग्राम तथा टिक-टॉक पर इस तरफ संकेत करते वीडियो साझा होने लगे हैं।
मुद्दा यह है कि अमेरिका के सर्वोच्च् न्यायालय ने गर्भपात के अधिकार 2022 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समाप्त कर दिए थे। उस वक्त डोनाल्ड ट्रम्प ही थे जिन्होंने आगे आकर अदालत के उस निर्णय का पक्ष लिया था। अब उन्हीं ट्रम्प के पद पर आने की खबर से ही ‘उन्मुक्त’ महिलाओं में खलबली है कि अब ट्रंप जनवरी में कुर्सी पर आने के बाद गर्भपात के कानून को और कड़ा कर देंगे। ट्रम्प ने यह बात भी खुलकर कही थी कि अदालत के 2022 के उक्त निर्णय में उन्हीं तीन न्यायाधीशें की मुख्य भूमिका थी जिनकी नियुक्ति उन्होंने की थी।
अब चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के जीतने के साथ ही ‘बर्थ कंट्रोल’ गोली की बिक्री तेजी से बढ़ गई है। इतना ही नहीं, आपात स्थिति में ली जाने वालीं गर्भनिरोधक दवा भी धड़ल्ले से बिक रही हैं। ‘यूएसए टूडे’ समाचार पत्र ने रिपोर्ट छापी है कि गर्भनिरोधक दवा बना रही कंपनी ‘विस्प’ के अनुसार, गत 5—7 नवंबर के दौरान आपात स्थिति में ली जाने वाली दवा की बिक्री में 1000 प्रतिशत की बढ़त दिखी है। इन दवाओं की खरीदारी करने वाली महिलाओं की तादाद में भी 1650 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। गर्भपात की दवाएं भी पहले के मुकाबले 600 प्रतिशत अधिक खरीदी गई हैं।
यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सीएनएन ने जो एग्जिट पोल किया था उसका निष्कर्ष था कि 46 प्रतिशत महिलाओं ने ट्रंप को वोट डाला था, लेकिन कमला हैरिस को 54 प्रतिशत महिलाओं के वोट मिले थे। 56.5 प्रतिशत पुरुष ट्रम्प के पाले में रहे थे तो कमला हैरिस को सिर्फ 43.5 प्रतिशत पुरुषों के वोट मिले थे। इस बात पर लेकर ‘उन्मुक्त’ महिलाओं ने सोशल मीडिया पर अपने विचार रखते हुए ऐसे पुरुषों पर अपना गुस्सा उतारा था जो ट्रंप के पाले में रहे थे, क्योंकि ट्रंप जाहिर की कि पुरुषों ने एक ऐसे उम्मीदवार का समर्थन किया जो ‘उनके शरीर पर उनका अधिकार’ होने के पक्षधर नहीं हैं। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में गर्भपात पर रोक लगाई थी।
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