हरियाणा के नूंह जिले में एक विवाहित जोड़े को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय से सुरक्षा की मांग करना महंगा पड़ा। इस मामले में कोर्ट ने न केवल उनकी याचिका खारिज की, बल्कि उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। आइए जानते हैं इस पूरे विवाद को-
नूंह के एक मुस्लिम दंपत्ति ने सुरक्षा की मांग करते हुए पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उन्हें और उनकी पत्नी को उनके परिवार के सदस्य जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। यह मामला तब सामने आया, जब दूल्हे ने 10 बच्चों का पिता होने के बावजूद एक ऐसी लड़की से निकाह किया, जो उससे 20 साल छोटी थी। इस पर दंपत्ति ने कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई, क्योंकि उन्हें अपने जीवन के खतरे की आशंका थी।
कोर्ट ने जुर्माना क्यों लगाया?
हालांकि, कोर्ट ने दंपत्ति की सुरक्षा की मांग को नकारते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कहा कि दंपत्ति ने जानबूझकर कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है और गलत तरीके से सुरक्षा की मांग की है। यह भी देखा गया कि याचिका में लड़की का आधार कार्ड पेश किया गया था, लेकिन आधार कार्ड की कॉपी इतनी धुंधली थी कि महिला की पहचान करना संभव नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह जानबूझकर किया गया प्रयास प्रतीत होता है, ताकि महिला की पहचान छिपाई जा सके।
कोर्ट का आदेश
पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने दंपत्ति को सुरक्षा देने से इंकार करते हुए यह निर्णय लिया कि याचिका में दिए गए तथ्यों में अनियमितताएं थीं, जिन्हें छिपाया गया था। इसके चलते कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए दंपत्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना पीजीआई पुअर फंड में जमा करने का आदेश दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने मेवात पुलिस को यह निर्देश दिया कि वह लड़की की सुरक्षा की पूरी तरह से निगरानी करें।
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