देहरादून। विश्वविख्यात दून स्कूल से कई छात्र ऐसे निकले जो बड़े राजनेता और अधिकारी बने और उच्च पदों पर आसीन हैं। यहां की सुरक्षा व्यवस्था सख्त हैं फिर भी कैंपस में एक मजार बन गई। यह कैसे और किसकी अनुमति से बनाई जाती रही? इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार दून स्कूल की चकराता रोड वाली दीवार तोड़कर पीछे की गई। नई दीवार काफी ऊंची बनाई गई। कैंट एरिया की तरफ जाने वाले मोड़ पर दीवार की आड़ में मजार का निर्माण पिछले दो हफ्ते से चल रहा था। सवाल ये उठता है कि उक्त मजार को बनाने के लिए क्या स्कूल प्रबंधन ने कोई सहमति दी थी या वह खुद इसको किसी दबाव में बनवा रहे थे ?
सुप्रीम कोर्ट का ये निर्देश है कि किसी भी धार्मिक या मजहबी स्थल के निर्माण के लिए पहले जिला प्रशासन अथवा प्राधिकरण से अनुमति लेनी आवश्यक है तो क्या दून स्कूल प्रबंधन ने इस बारे में एमडीडीए या डीएम देहरादून से कोई लिखित अनुमति ली थी ? इस बारे में जब जिला प्रशासन से जानकारी मांगी गई तो वहां इस तरह की कोई अनुमति नहीं जारी किए जाने की बात सामने आई।
खबर है कि मजार निर्माण की सूचना जब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी तब प्रशासन भी हरकत में आया। उपजिलाधिकारी और पुलिस सीओ जांच के लिए मौके पर पहुंचे तब भी सुरक्षा गार्डों ने उन्हें भीतर जाने से रोका। प्रशासन ने जब अपने सख्त तेवर दिखाए तब उन्हे अंदर जाने दिया गया। प्रशासन के अधिकारियो ने जब वहां जाकर बनती मजार का नजारा देखा तो उनके भी होश उड़ गए। एसडीएम ने तुरंत काम रुकवाया और निर्माण संबंधी अनुमति दिखाने को कहा तो वहां मौजूद लोग नहीं दिखा पाए। अधिकारियो ने स्कूल प्रबंधन को मौके पर बुलाया लेकिन प्रबंधन का कोई भी अधिकारी नहीं आया। इसके बाद अधिकारियों ने मजार निर्माण कर रहे मजदूरों से उसे तुड़वा दिया। दून स्कूल प्रबंधकों से मिलने और उनका पक्ष जानने जा प्रयास किया गया तो पत्रकारों को गेट से भीतर ही जाने की अनुमति नहीं दी गई।
सूत्रों के अनुसार ये मजार दीवार बनाने वाले ठेकेदार द्वारा बनवाई जा रही थी। बताया जाता है उक्त ठेकेदार द्वारा ये बात फैलाई गई कि यहां पुरानी मजार थी, जबकि ऐसा कोई चिन्ह वहां नहीं था। यह अतिक्रमण का मामला दिखाई देता है। मजार ऐसे कोने में ऊपर की तरफ बनाई जा रही थी और वो भी कैंट एरिया की तरफ जाती सड़क पर मंदिर के ठीक सामने। ऐसा प्रतीत होता है कि मजार बन जाने के कुछ दिन बाद यहां से धंधा पानी शुरू होना था। बाहरी तरफ से स्कूल प्रबंधन पर एक सीढ़ी बनवाकर रास्ता देने का प्रस्ताव मंजूर करवाया जाना था। एक सवाल यह भी है कि कहीं यहां सजदा आदि कराने के नाम पर बच्चों के ब्रेनवॉश की साजिश तो नहीं थी।
हाल ही में दून घाटी में दर्जनों मजारें प्रशासन ने इसलिए ध्वस्त की हैं क्योंकि वे नशा, लव जिहाद जैसे मामलों के अड्डे बन रही थीं। ।
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