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एनजीटी ने मालकानगिरी में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर इसलामनगर” बनाये जाने के मामले का लिया स्वतः संज्ञान

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मालकानगिरी जिले में वन भूमि पर अवैध रुप से कब्जा कर "इसलामनगर" बनाये जाने के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है।

by डॉ. समन्वय नंद
Nov 12, 2024, 02:40 pm IST
in भारत
एनजीटी

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मालकानगिरी जिले में वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर “इसलामनगर” बनाये जाने के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। 30 सितंबर 2024 को प्रकाशित एक समाचार लेख के आधार पर यह याचिका पंजीकृत की गई ।
इस मामले में एनजीटी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), वन विभाग, और मालकानगिरी जिले के कलेक्टर को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि कैसे विभिन्न सरकारी योजनाओं, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भी शामिल है, के फंड का उपयोग करके सड़कों, भवनों, तारबंदी और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया।

प्रतिवादियों को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले, कोलकाता के पूर्वी क्षेत्रीय पीठ के समक्ष शपथ पत्र के माध्यम से अपने उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। एनजीटी के नोटिफिकेशन के अनुसार, यदि कोई प्रतिवादी बिना अपने अधिवक्ता के माध्यम से सीधे उत्तर प्रस्तुत करता है, तो उसे आभासी रूप से प्राधिकरण की सहायता करने के लिए उपस्थित रहना होगा।

उल्लेखनीय है कि इस तरह के आरोप हैं कि वन भूमि अवैध कब्जा कर बड़े तालाब खोदे गए, गोदाम बनाए गए, और ट्रांसफार्मर लगाए गए, जिससे राज्य संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग हुआ। यह विकास वन संरक्षण अधिनियम 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन माना जा रहा है।

पूर्वी क्षेत्रीय पीठ, कोलकाता के अधिकार क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, मामले को संबंधित पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया है, और एनजीटी ने कार्यालय को निर्देश दिया है कि वह मूल रिकॉर्ड को पूर्वी क्षेत्रीय पीठ में स्थानांतरित करे। सुनवाई 3 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है।

उल्लेखनीय है कि सितंबर में मालकानगिरी जिले के मोटु क्षेत्र में लगभग 100 एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्जा किये जाने की बात सामने आयी थी । इस कब्जे पर इसलामनगर का निर्माण किया गया है। इस मामले ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के संदेह को जन्म दिया है। घटना बीजद की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुई, जिससे संभावित मिलीभगत और सत्ता के दुरुपयोग किये जाने की बात सामने आयी थी ।

इसलामनगर को वन भूमि पर अवैध रूप से नेशनल हाइवे 326 से 2-3 किमी दूर, सबरी नदी के किनारे घने जंगलों के बीच में स्थापित किया गया है। निर्माण प्रक्रिया में एक कच्ची सड़क बनाना और तार की बाड़ लगाना शामिल था।

मोहम्मद मसूम खान इस विवाद के केंद्र में है, जिस पर लगभग 100 एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्जा कर इसलामनगर स्थापित करने का आरोप है। खान पर आरोप है कि उसने एक विशाल साम्राज्य अवैध रूप से स्थापित किया है, और ऐसा कहा जा रहा है कि उसे पूर्व बीजेडी सरकार से संरक्षण और प्रोत्साहन मिला।

स्थानीय भाजपा नेताओं ने इसे “भूमि जिहाद” करार दिया था। उन्होंने कहा था कि 100 एकड़ वन भूमि पर कब्जा करना, पेड़ों की कटाई करना और ऊँची इमारतें बनाना बिना राजनीतिक समर्थन के संभव नहीं है। इसके अलावा, मनरेगा योजना के तहत सड़क का निर्माण, कृषि और मत्स्य पालन विभाग से फंड लेकर एक बड़े जलाशय का निर्माण, और बिजली विभाग द्वारा एक बड़ा ट्रांसफार्मर लगाना भी राजनीतिक समर्थन के बिना संभव नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह व्यापक अवैध गतिविधि पूरी तरह से बीजू जनता दल, विशेषकर पूर्व सांसद प्रदीप माझी के संरक्षण और प्रोत्साहन से हुई है। राजनीतिक कारणों से, प्रशासन ने इन कार्यों को नजरअंदाज करते हुए इस अवैध गतिविधि में सहयोग और समर्थन दिया है।

 

 

Topics: NGTillegal occupation of forest landराष्ट्रीय हरित प्राधिकरणवन भूमि पर अवैध कब्जामहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगारइसलामनगर
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