बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद वहां पर हर तरफ अशांति फैली हुई। मुस्लिम चरमपंथी न केवल हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं, बल्कि वो आपस में ही लड़ रहे हैं। ताजा मामला मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतिम सरकार का है, जहां मुहम्मद यूनुस ने तीन सलाहकारों की नियुक्ति की। इस पर विवाद खड़ा हो गया है। भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन में शामिल ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने यूनुस सरकार के ही खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर मनमानी जारी रही तो नई सरकार बनाने में वक्त नहीं लगेगा।
इन छात्रों ने मुहम्मद यूनुस के द्वारा नियुक्त किए गए व्यवसायी शेख बशीरउद्दीन, विशेष सहायक मोहम्मद महफूज आलम और फिल्म निर्माता फारुकी की नियुक्ति की विरोध किया है। प्रदर्शनकारियों आरोप है कि फारुकी फासीवादी है। अंतरिम सरकार ने उनसे सलाह मशविरा किए बिना ही ये नियुक्ति कैसे कर दी।
मामला कुछ यूं है कि बीते रविवार को मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के अपने कैबिनेट का विस्तार किया। उन्होंने बशीर को वाणिज्य, जूट और कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी, फारुकी को संस्कृति मंत्रालय की जिम्मेदारी दी। इसी के बाद से मुहम्मद यूनुस का विरोध शुरू हो गया। इस विरोध की अगुवाई भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन का समन्वयक हसनत अब्दुल्ला कर रहा है। कई नेताओं के साथ मिलकर प्रदर्शन करते हुए अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि ये लंबे वक्त तक नहीं चल सकता है।
हसनत का कहना है कि आंदोलन के दौरान क्रांति लाने के लिए हम सभी ने अपना खून बहाया है और हम फासीवाद के इन सहयोगियों को किसी भी रूप में पुनर्वासित नहीं होने दे सकते हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब भी आप (मुहम्मद यूनुस) खुद को मुसीबतों से घिरा पाएंगे तो हमसे आप सड़कों पर उतरने के लिए कहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए तीनों ही लोगों के इतिहास की जानकारी साझा करने की मांग की है। क्योंकि अगर ये कोई समझौता है तो आप लोगों, श्रमिकों और छात्रों की पीठ में छूरा घोंप रहे हैं।
रूप में नियुक्त किए गए लोगों का इतिहास और फासीवादियों के खिलाफ उनकी लड़ाई जानना चाहते हैं। अगर उनकी नियुक्तियां किसी समझौते पर आधारित हैं, तो आप छात्रों और जनता को धोखा दे रहे हैं।” आंदोलन की संयोजक समिति के सदस्य सचिव आरिफ सोहेल ने कहा: “क्रांति के बाद, हमने एक क्रांतिकारी सरकार की बात की। हालांकि, हमें देश की स्थिरता के लिए संवैधानिक निरंतरता बनाए रखने के लिए कहा गया था।” “हमें इन फासीवादी सहयोगियों की नियुक्ति के बारे में सूचित नहीं किया गया था। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमें इस सरकार को उखाड़ कर नई सरकार बनाने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगेगा।
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