भुवनेश्वर । भारतीय संस्कृति और परंपरा में गोसंपदा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। पुराण शास्त्रों के अनुसार गोमाता के शरीर में तैंतीस कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। इसलिए कहा गया है कि गोमाता की पूजा करने का अर्थ है देवी-देवताओं को प्रसन्न करना। गुरु गोविंद गोसेवाश्रम, ओडिशा गोसेवा समिति और हरिहरानंद गुरुकुलम द्वारा पुरी में आयोजित गो नवद्रात्री महोत्सव में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने यह बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर में गोवंश का एक विशेष महत्व है। प्राचीन काल में गोमाता का स्थान किसी भी रत्न से कम नहीं था। गोमाता, गंगा, गीता, गायत्री और गुरु हमारे सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान से यह सिद्ध हुआ है कि गाय का दूध, गोमूत्र और गोबर में औषधीय गुण होते हैं। हमारे इस अमूल्य संसाधन की सुरक्षा और महत्ता के बारे में जनसाधारण को जागरूक करने के उद्देश्य से श्रीक्षेत्र पुरी में आयोजित यह नवद्रात्री महोत्सव गोसेवा क्षेत्र में ओडिशा को और अधिक सक्रिय बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
गोपालन, गो-उपकरणों का उपयोग, गो संवर्धन, गो सुरक्षा और संरक्षण और गो आधारित जैविक कृषि आदि पर आधारित यह कार्यक्रम लोगों में जागरूकता फैला रहा है। परिणामस्वरूप आज हजारों लोग गोसेवा कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गोमाता और गोसंपदा का केवल सामाजिक और धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि इसका आर्थिक दृष्टिकोण भी अत्यंत प्रासंगिक है। हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में गोसंपदा का महत्वपूर्ण योगदान है।
उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी गोसंपदा के संरक्षण और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। हमारी सरकार भी इस दिशा में स्पष्टता के साथ कार्य कर रही है। गो सुरक्षा के लिए आवश्यक स्थानों पर कड़े कदम उठाए जाएंगे। राज्य के गोचर भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने फिर से कहा कि ओडिशा में दूध की मांग और दूध की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से हमारी सरकार “कामधेनु योजना” शुरू की है। केवल गोपालन नहीं, गो सुरक्षा भी हमारी सरकार की प्राथमिकता है। राज्य के विभिन्न स्थानों पर लगभग 100 गोशालाएं हैं और इन गोशालाओं में लावारिस गोसंपदाओं को बचाकर इलाज किया जा रहा है। इन खर्चों का अधिकांश भाग गोशालाएं स्वयं जुटाती हैं, साथ ही सरकारी सहायता भी दी जा रही है। हमें इस कार्यक्रम को और अधिक विस्तृत रूप से चलाना होगा। मुख्यमंत्री ने हरिहरानंद गुरुकुलम में स्थित एक गोशाला में गोमाता की सेवा के लिए एक वर्ष के गोखाद्य का व्यक्तिगत रूप से योगदान करने का ऐलान किया और सभी से अपील की कि वे एक-एक गोमाता को गोद लें और उनके खाद्य आपूर्ति में योगदान कर गोशालाओं को सहयोग करें।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आयोजित पूजा में भाग लिया और गोशाला का दौरा भी किया।
कार्यक्रम में राज्य के मत्स्य और पशुपालन मंत्री श्री गोकुलानंद मल्लीक ने कहा कि गोमाता के साथ हिंदू समाज का गहरा संबंध है। गो सेवा करने से पुण्य मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गोमाता की सुरक्षा, गोवंश का संरक्षण और गो हत्या पर प्रतिबंध के लिए राज्य सरकार कदम उठा रही है। ओडिशा में गोमाता के खाद्य के लिए प्रति गाय प्रतिदिन 54 रुपये दिए जा रहे हैं। राज्य की गोशालाओं को सहयोग के लिए 23 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
परमहंस प्रज्ञानंद महाराज ने कहा कि हमारे सभी हृदयों में गो सेवा को एक विशेष स्थान मिलना चाहिए। यदि गोमाता स्वस्थ रहेंगी तो पृथ्वी भी स्वस्थ रहेगी। ओडिशा गो सेवा समिति गोवंश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम में स्वामी दीनबंधु दास महाराज ने गो महिमा पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
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