दिल्ली

AAP सरकार की मिलीभगत से चल रहा घाटे का खेल : बिजली वितरण कंपनियों के घाटे पर भाजपा ने उठाए सवाल

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SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली प्रदेश इकाई ने राजधानी में बिजली वितरण कर रही तीन में से दो कंपनियों पर जानबूझकर घाटा दिखाने का आरोप लगाया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और सांसद बांसुरी स्वराज ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और बिजली कंपनियों पर गंभीर सवाल उठाए। भाजपा का कहना है कि बिजली कंपनियाँ बीएसईएस और बीपीवाईएल जानबूझकर घाटा दिखा रही हैं, और दिल्ली सरकार इसे रोकने के बजाय इसे बढ़ावा दे रही है। इस कदम का अंततः असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

तीन में से दो कंपनियां घाटे में, एक कंपनी मुनाफे में

दिल्ली में तीन प्रमुख बिजली वितरण कंपनियाँ काम कर रही हैं: बीएसईएस, बीपीवाईएल, और एनडीपीएल। भाजपा नेताओं ने बताया कि इनमें से एनडीपीएल मुनाफे में है, जबकि बीएसईएस और बीपीवाईएल घाटे में हैं। भाजपा का दावा है कि ये दोनों कंपनियाँ लगभग 26 हजार करोड़ रुपये के घाटे का दावा कर रही हैं, जबकि दिल्ली सरकार इस आंकड़े को घटाकर 21 हजार करोड़ दिखा रही है।

वीरेंद्र सचदेवा ने इस संदर्भ में सवाल उठाया कि आखिर क्यों सरकार इस घाटे को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार बीएसईएस और बीपीवाईएल को लाइसेंस नियमों का उल्लंघन करने की छूट दे रही है, और इन कंपनियों की तरफ से घाटा दिखाकर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुँचाया जा रहा है।

लाइसेंस रद्द करने की मांग

भाजपा नेताओं का कहना है कि बीएसईएस और बीपीवाईएल कंपनियां लगातार घाटा दिखाकर दिल्ली के उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ डाल रही हैं। वीरेंद्र सचदेवा ने सुझाव दिया कि अगर ये कंपनियाँ लगातार घाटे में हैं और लाइसेंस नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, तो दिल्ली सरकार को चाहिए कि इनके लाइसेंस रद्द कर दे। सचदेवा ने उदाहरण दिया कि ओडिशा में सरकार ने घाटा दिखा रही बिजली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था।

भाजपा नेत्री बांसुरी स्वराज का बयान

भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा इन कंपनियों के “रेगुलेटरी असेट” और “सेट-ऑफ” को स्वीकार करना न केवल कानूनी, नैतिक और व्यावसायिक रूप से गलत है, बल्कि इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इन कंपनियों के घाटे को मान्यता दी, तो इसका बोझ सीधे दिल्ली के नागरिकों को उठाना पड़ेगा। बांसुरी स्वराज ने कहा कि सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ होगा और उन्हें आर्थिक रूप से प्रताड़ित करेगा।

भाजपा का आरोप : “दिल्ली सरकार की मिलीभगत”

भाजपा नेताओं ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर इन कंपनियों की अनियमितताओं पर आँखें मूँद रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से इन कंपनियों को मिलने वाली रिश्वत के कारण वे लगातार घाटा दिखाने का खेल कर रही हैं। सचदेवा ने सवाल उठाया कि अगर एक कंपनी मुनाफे में चल सकती है तो बाकी दो कंपनियों को घाटा क्यों हो रहा है? यह साफ है कि कंपनियां घाटा दिखाकर अपने फायदे के लिए खेल रही हैं और सरकार इसमें भागीदार है।

भाजपा की मांग : उपभोक्ताओं के हित में हो कार्रवाई

भाजपा ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह उपभोक्ताओं के हित में इन कंपनियों के लाइसेंस रद्द करे और ओडिशा सरकार के उदाहरण का पालन करे। पार्टी का मानना है कि अगर दिल्ली सरकार ने इस मामले में उचित कदम नहीं उठाए, तो आम उपभोक्ताओं पर इसका बड़ा वित्तीय असर पड़ेगा।

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