नई दिल्ली । भारत सरकार ने विकिपीडिया को एक आधिकारिक नोटिस भेजते हुए प्लेटफ़ॉर्म पर पक्षपाती जानकारी और असत्य सामग्री प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी इस नोटिस में विकिपीडिया को अपने प्लेटफॉर्म की सामग्री पर नियंत्रण रखने वाले छोटे समूह का हवाला देते हुए प्रश्न उठाया गया है कि उसे एक “मध्यस्थ” के बजाय “प्रकाशक” क्यों नहीं माना जाना चाहिए।
यह नोटिस दिल्ली हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले के बाद आया है, जिसमें विकिपीडिया के खुले संपादन फीचर को संवेदनशील सूचनाओं के लिए खतरनाक बताया गया था। हाईकोर्ट ने बिना किसी नियंत्रण के संपादन की प्रक्रिया पर चिंता जताई थी, खासकर कुछ लोगों और संगठनों की संवेदनशील जानकारी के संदर्भ में। अदालत के इस निर्णय के बाद सरकार ने विकिपीडिया के संपादकीय नियंत्रण और उसकी सामग्री की सत्यता पर संज्ञान लिया है।
विकिपीडिया पर ‘छोटे समूह’ का नियंत्रण
विकिपीडिया के संबंध में तैयार किए गए एक डोजियर में यह दावा किया गया है कि प्लेटफ़ॉर्म का नियंत्रण केवल कुछ चुनिंदा संपादकों और प्रशासकों के हाथ में है, जिनके पास सामग्री को जोड़ने, हटाने और संपादित करने के बड़े अधिकार हैं। डोजियर में बताया गया कि विकिपीडिया के पास वैश्विक स्तर पर केवल 435 सक्रिय प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर्स) हैं, जो सामग्री को नियंत्रित करने, संपादन को रोकने, विवाद सुलझाने और पृष्ठों को लॉक करने जैसी कार्यवाही में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि विकिमीडिया फाउंडेशन (विकिपीडिया का संचालनकर्ता) इन प्रशासकों और संपादकों को “एडिटर रिटेंशन प्रोग्राम” के तहत आर्थिक सहायता प्रदान करता है और उन्हें प्रोजेक्ट्स के नाम पर ग्रांट्स भी मिलते हैं। इस प्रकार, विकिपीडिया का संपादकीय ढांचा एक छोटे से समूह द्वारा नियंत्रित होता है जो कि इसे एक “मध्यस्थ” से अधिक “प्रकाशक” के रूप में प्रस्तुत करता है।
विकिपीडिया और वैश्विक कंपनियों का सहयोग
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विकिमीडिया फाउंडेशन को दुनियाभर से भारी अनुदान और दान मिलते हैं, जिनमें प्रमुख वैश्विक कंपनियों और फंडिंग संगठनों के नाम शामिल हैं। डोजियर में अमेज़न, गूगल, फेसबुक और अन्य प्रमुख संस्थानों का उल्लेख किया गया है, जो विकिपीडिया को आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। इस सहयोग के कारण विकिपीडिया कई सर्च इंजनों के लिए जानकारी का प्रमुख स्रोत बन गया है, जिससे यह प्लेटफॉर्म आम लोगों और संस्थानों के बारे में तथ्यों का मुख्य जरिया बन गया है।
भारत में विकिपीडिया के मुद्दों पर सरकार की चिंता
भारत में कई बार विकिपीडिया पर भारत-विरोधी और पक्षपाती सामग्री की शिकायतें मिली हैं। कई सार्वजनिक व्यक्तियों और संस्थानों से जुड़े पृष्ठों पर गलत जानकारी की शिकायतें की गई हैं। कई बार इन पृष्ठों को लॉक कर दिया जाता है ताकि केवल चुनिंदा संपादक ही इसे संपादित कर सकें। यदि कोई उपयोगकर्ता पृष्ठ पर मौजूद गलत जानकारी को ठीक करने की कोशिश करता है, तो उसे संपादन से रोक दिया जाता है और कभी-कभी संपादक को ही प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
यह स्थिति तब और भी चिंता का विषय बन जाती है, जब विकिपीडिया की पक्षपाती जानकारी सर्च इंजनों पर प्रमुखता से दिखाई देती है, जिससे गलत जानकारी को वास्तविक समझने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
डोजियर के आधार पर सरकार को कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनमें से प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:
- विकिमीडिया को मध्यस्थ के बजाय एक प्रकाशक घोषित किया जाए क्योंकि इसमें संपादकीय नियंत्रण है और एक विशिष्ट संपादकीय नीति का पालन किया जाता है।
- विकिमीडिया फाउंडेशन के वित्तीय लेन-देन की जांच होनी चाहिए, क्योंकि इसकी भारत में भौतिक उपस्थिति नहीं होने के बावजूद, यह भारत में कई संगठनों को फंडिंग प्रदान करता है।
- विकिमीडिया को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के अंतर्गत लाने पर विचार किया जाए ताकि इसकी व्यापारिक गतिविधियों का सही ढंग से मूल्यांकन किया जा सके।
- एक ब्राउज़र एक्सटेंशन का निर्माण हो जो विकिपीडिया के लेखों में पक्षपाती जानकारी को पहचान सके। इस एक्सटेंशन से खासकर भारत से जुड़ी जानकारी में किसी भी प्रकार की गलत, असत्य या पक्षपाती जानकारी की पहचान की जा सकेगी।
भारत में विकिपीडिया की भूमिका पर सवाल
भारत सरकार द्वारा विकिपीडिया को जारी किया गया नोटिस यह स्पष्ट करता है कि सरकार को विकिपीडिया पर सामग्री की गुणवत्ता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंता है। विकिमीडिया फाउंडेशन का संपादकीय नियंत्रण और चुनिंदा संपादकों द्वारा प्लेटफ़ॉर्म पर जानकारी को नियंत्रित करने की नीति एक स्वतंत्र और निष्पक्ष ज्ञानकोष के सिद्धांतों के खिलाफ है।
विकिपीडिया का भारत के लिए प्रमुख जानकारी स्रोत होने के नाते, यह आवश्यक है कि इसमें दी गई जानकारी निष्पक्ष, सत्यापित और बिना किसी पक्षपात के प्रस्तुत की जाए। इसके लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम महत्वपूर्ण हैं और समय की मांग है कि इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
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