नैनीताल: सौंदर्य झील नगरी के बीचों बीच आलीशान जामा मस्जिद कैसे बन गई ? किस की अनुमति से बन गई ? इसका भूमि का स्वामित्व किसका था ? कितनी भूमि थी ? इन सभी की जानकारियां एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने मांगी है, जिसके बाद से नैनीताल जिला प्रशासन में इस से संबंधित दस्तावेजों को खंगालने के लिए ढूंढ मची हुई है। ऐसे में चर्चा है कि उक्त मस्जिद संबंधी रिकार्ड क्या गायब हो गए हैं ?
जानकारी के मुताबिक, नैनीताल जामा मस्जिद के बारे में एक आरटीआई 23.09.2024 को लगाई गई थी जिसमें डीएम नैनीताल से ये जानकारी मांगी गई है कि उक्त मस्जिद कब वक्फ बोर्ड में दर्ज हुई अथवा बोर्ड द्वारा उसका अधिग्रहण किया गया ? वक्फ बोर्ड से पूर्व उक्त मस्जिद के भूमि दस्तावेज किसके नाम पर दर्ज थे? मस्जिद परिसर का कितना क्षेत्रवाल रहा, ये भी जानकारी मांगी गई है कि जब मस्जिद का पुनर्निर्माण हुआ तब के समय के नक्शा की प्रति और अनापत्ति, वर्ष क्या था ? आरटीआई में नैनीताल के मल्लीताल स्थित रजा क्लब की संपत्ति किस वर्ष वक्फ बोर्ड में दर्ज हुई ?
एडवोकेट नितिन कार्की द्वारा ये सूचनाएं मांगी गई थी, किंतु एक माह बीत जाने के बाद भी उक्त सूचनाएं जिला प्रशासन उन्हें उपलब्ध नहीं करवा पाया है। जानकारी के मुताबिक, पूर्व में भी ऐसी जानकारियां मांगी गई थी किंतु तब भी प्रशासन के द्वारा उक्त जानकारियां नहीं दी गई थी।
ऐसी खबर है कि नगर पालिका परिषद की फाइलों से उक्त जानकारी गायब है, साथ ही राजस्व विभाग के रिकार्ड से भी जानकारियां गायब है। रहा सवाल प्राधिकरण के दस्तावेजों का वहां भी ऐसी कोई अनुमति संबंधी दस्तावेज नहीं दिखाई दे रहे हैं।
उधर आरटीआई एक्टिविस्ट श्री कार्की का कहना है कि जिला प्रशासन को सूचना के अधिकार के तहत उक्त जानकारियां देनी चाहिए और यदि वे नहीं देते तो उन्हें मजबूरन सूचना के अधिकार के लिए गठित आयोग में अपील करनी पड़ेगी। बहरहाल नैनीताल में आलीशान मस्जिद को लेकर ये बहस छिड़ गई है कि आखिर इस खूबसूरत हिल स्टेशन में कैसे इतनी बड़ी मस्जिद खड़ी कर दी गई ? जबकि नैना देवी, गुरुद्वारे और अन्य धार्मिक संस्थाओं को भवन विस्तार की अनुमति आज तक नहीं दी गई।
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