मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर को पूरी तरह से इस्लाम में तब्दील कर देने का ख्वाब रखने वालों के मंसूबे सामने आए हैं। एक नवंबर की दोपहर को ही यहां इस्लामिक अतिवादियों ने जमकर बवाल मचाया था। यहां के छत्रीपुरा थाना इलाका में नौ साल की बच्ची जब पटाखे फोड़ रही थी, तभी इन लोगों ने विवाद शुरू कर पथराव और आगजनी में उसे तब्दील कर दिया था, करीब एक दर्जन गाड़ियों पर पत्थर फेंककर उसके कांच फोड़ देने पर जब मन नहीं भरा तो पांच गाड़ियों को इन इस्लामिक अतिवादियों ने आग के झोंक दिया था। अब यहां एक नई घटना सामने आई है।
इंदौर के कागदीपुरा क्षेत्र की एक मस्जिद पर एक ऐसा पोस्टर लगा हुआ है, जो “गजवा-ए-हिंद” का संदेश फैलाता है और शहर की शांति व्यवस्था को चुनौती दे रहा है। इस संबंध में विधायक पुत्र और हिंद रक्षक संस्था के राष्ट्रीय संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है, जिसे देखकर साफ पता चल रहा है कि इंदौर में रह रहे इस्लामिक सोच को माननेवाले किस तरह से भारत में इस्लाम की सत्ता लाना चाहते हैं। इसे लेकर विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य गौड़ ने अब प्रशासन से अपील की है कि वह तत्काल इस पर एक्शन लें। गौड़ ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि इंदौर के कागदीपुरा क्षेत्र में एक मस्जिद पर लगाया गया गजवा-ए-हिंद के आतंक को दर्शाता एक पोस्टर प्रशासन की शांति व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है। प्रशासन से निवेदन है कि तत्काल संज्ञान में लेकर दोषियों के विरूद्द कठोरतम कार्रवाई करे।
पोस्टर में एक युद्ध का दृश्य दिखाया गया है, जिसमें भगवा झंडे लिए सैनिकों का चित्रण है। साथ ही सामने हरे झण्डे लिए बुर्के पहने महिलाओं की इस्लामिक सेना भगवा को चुनौती देने के लिए खड़ी है, जो सांकेतिक रूप से यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि भगवाधारियों से लड़ने और उन्हें पछाड़ने के लिए हमारी औरतें ही काफी हैं। यह संदेश इस पोस्टर में साफ दिखाई दे रहा है । भगवा सेना को पछाड़कर इस्लामिक साम्राज्य और सत्ता की स्थापना इसके जरिए दिखाने का प्रयास किया गया है । गौड़ कहते हैं कि यह पोस्टर सनातन धर्म को चेतावनी देने और जिहादी मानसिकता के मंसूबों को दर्शाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे पोस्टर लगाने की अनुमति किसने दी । उनका कहना है कि यह कोई मामूली घटना नहीं है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
एकलव्य सिंह गौड़ का कहना है कि इस्लाम दुनिया को “दारुल इस्लाम” और “दारुल हरब” इन दो नजरों से देखता है । जहां इस्लाम का शासन है वह “दारुल इस्लाम” है लेकिन जहां शासन इस्लाम का नहीं वह उसके लिए “दारुल हरब” है। ऐसे में वह भारत को इस्लाम के लिए युद्धरत जमीन के रूप में लेता है। उसके लिए “गजवा-ए-हिंद” का मतलब भारत में इस्लाम के शासन को स्थापित करने के लिए युद्ध करना है। हालांकि इस पोस्टर पर कुछ प्रतिक्रियाएं भी आई हैं, एक ने लिखा है कि ये पोस्टर करबला में इमामे हुसैन के मजार का है जिन्होंने शांति के खातिर अपने 72 लोगों के जान की बाजी लगी दी और भूखे प्यासे करबला में शहीद हो गए। पर बात यहां समाप्त इसलिए नहीं होती, क्योंकि यहां यह बड़ा प्रश्न खड़ा हो जाता है कि क्या युद्ध करनेवाले भगवा झंडे लेकर इमामे हुसैन से लड़ने आए थे, जो इस पोस्टर में भगवा झंडों को सामने से चुनौती देनेवालों के रूप में दिखाया गया है और उसमें भी जवाब देने के लिए महिलाओं का बुर्के में दिखाया जाना कई सवाल खड़े करता है ।
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