बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान में चल रही चीन की सीपीईसी परियोजना पर काम में बाधाएं आ रही हैं। चीन इसे सहने को कतई तैयार नहीं है। अपने लोगों और परियोजना की सुरक्षा को लेकर चीन के राजदूत ने सुरक्षा इंतजाम और चुस्त करने का नया दबाव बनाया है। शाहबाज सरकार को लगभग फटकारते हुए चीन ने एक प्रकार से अब चेतावनी दे डाली है। इस विषय को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि संबंधों में भी खटास आती दिख रही है।
पाकिस्तान में चीन के नागरिक बड़ी संख्या में वहां सीपीईसी परियोजनाओं के अंतर्गत काम पर जुटे हैं, लेकिन उनकी जिंदगी वहां सुरक्षित नहीं है। आएदिन उन पर बलूच विद्रोही गुट हमले करके उनकी जानें ले रहे हैं। इसे लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से लेकर वहां के अन्य कम्युनिस्ट नेता भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं। अब पाकिस्तान में चीन के राजदूत ने सीधे शब्दों में इस्लामबाद से फिर कहा है कि चीनियों की सुरक्षा में रत्ती भर कोताही बरती गई तो अंजाम बुरा होगा।
अपने यहां चीन के नागरिकों की सुरक्षा करने में असफल रही शाहबाज सरकार पर इस वक्त इस मुद्दे को लेकर भारी दबाव है। गत वर्ष तो स्थितियां इस हद तक बिगड़ गई थीं कि चीन सरकार वहां कार्यरत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपनी सैन्य टुकड़ी भेजने को आतुर हो गई थी। लेकिन तब भी पाकिस्तान के नेताओं किसी तरह समझाबुझा कर उस स्थिति को टाला था। लेकिन ये मुद्दा नए सिरे से गरमा गया है। चीन एक बार फिर तीखे तेवर दिखा रहा है।
इस बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान में चल रही चीन की सीपीईसी परियोजना पर काम में बाधाएं आ रही हैं। चीन इसे सहने को कतई तैयार नहीं है। अपने लोगों और परियोजना की सुरक्षा को लेकर चीन के राजदूत ने सुरक्षा इंतजाम और चुस्त करने का नया दबाव बनाया है। शाहबाज सरकार को लगभग फटकारते हुए चीन ने एक प्रकार से अब चेतावनी दे डाली है। इस विषय को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि संबंधों में भी खटास आती दिख रही है। चीन के राजदूत की खरीखोटी सुनकर पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय भी तैश में आकर तीखे बयान दे रहा है।
अब यह तनातनी कोई बंद कमरों में नहीं रह गई है, अब यह सार्वजनिक रूप से दिखने लगी है। इस्लामाबाद में बैठे चीनी राजदूत ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से व्यक्त की है। चीन के राजदूत ज्यांग ज्दोंग का कहना है कि पाकिस्तान में चीन के लोगों की सुरक्षा अभी चीन के लिए चिंता का सबसे बड़ा मुद्दा बनी हुई।
2014 में जब पाकिस्तान में सीपीईसी परियोजना की शुरुआत हुई थी, उसके बाद से इस परियोजना के तहत काम कर रहे 21 चीनी इंजीनियर पाकिस्तान में अपनी जान ऐसी ही हमलों में गंवा चुके हैं। इस साल अब तक 7 चीनी कामगार मारे जा चुके हैं।
चीन इस सीपीईसी परियोजना पर अभी तक लगभग 60 अरब डॉलर खर्च कर चुका है, लेकिन अभी भी चीनी इंजिनियरों और कामगारों की सुरक्षा को लेकर सशंकित है। चीन को सबसे ज्यादा विरोध उस बलूचिस्तान से झेलना पड़ रहा है जहां वह ग्वादर का नौसैनिक बेस बनाने में जुटा है। सीपीईसी के अंतर्गत बन रहे इस प्रोजेक्ट को लेकर बलूच लोगों में खासा रोष है और वे इसे खुलकर दिखाते आ रहे हैं।
दूसरी ओर बलूच विद्रोही गुट इसके विरोध में मौका लगने पर चीनी नागरिकों जानें ले रहे हैं। उनकी खुली धमकी है कि बलूचिस्तान में चीन की अगर अपने प्रोजेक्ट की आड़ में हमारे प्राकृतिक संसाधनों की लूट की जाती रही, तो वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि पाकिस्तान में विद्रोही गुटों और आतंकवादी गुटों के हमलों में अफगानिस्तान में तालिबानी राज कायम होने के बाद से तेजी आई है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने तालिबान को कुर्सी कब्जाने में हर तरह की सहायता दी थी। लेकिन आज वही तालिबान पाकिस्तान की नाक में दम किये हुए है। तालिबान ने टीटीपी नामक आतंकवादी गुट के जरिए पाकिस्तान का जीना हराम किया हुआ है।
चीन के राजदूत ने अपनी धमकी में यहां तक संकेत दिया है कि पाकिस्तान अगर सुरक्षा देने में असफल रहता है तो उनका देश अपनी सैन्य टुकड़ी को यहां जाकर तैनात कर देगा। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए बहुत लज्जास्पद होगी, इसलिए जिन्ना का देश नहीं चाहता कि नौबत यहां तक आए। लेकिन कुछ जानकारों को मानना है कि भले कम तादाद में ही सही, लेकिन चीन के सैनिक परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए तैनात हैं।
इसमें संदेह नहीं की कम्युनिस्ट ड्रैगन की जिन्ना के कंगाल देश के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। चीन इसकी कंगाली दूर करने की गरज से लगातार कर्ज देता आ रहा है। एक प्रकार से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चल ही चीन और अरब के कर्जे से रही है। इसीलिए चीन पाकिस्तान पर लगभग फरमान चलाने जैसा भाव रखता है। बीजिंग का नया फरमान यही है कि पाकिस्तान की सेना एक ऐसा सैन्य अभियान चलाए जिससे खैबर पख्तूनख्वा इलाके में उसके आर्थिक हितों को सुरक्षित रखा जा सके, सीपीईसी परियोजना निर्बाध चलती रहे। लेकिन बलूच विद्रोही गुटों का चीन और पाकिस्तान सरकार पर जबरदस्त खौफ साफ दिखाई दे रहा है।
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