केरल

केरल: वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ कोच्चि में सड़क पर उतरे लोग, 610 परिवार वाले गांव को बताया था अपना

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Kuldeep singh

वक्फ बोर्ड की मनमानियां हैं कि थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। कर्नाटक की ही तरह वक्फ बोर्ड ने केरल के कोच्चि के पास एक गांव पर अपना दावा ठोंक दिया था। इसके चलते 610 परिवारों की 464 संपत्तियों पर खतरा मंडरा है। अपनी संपत्तियां जाती देख अब पीड़ित परिवारों के 600 से अधिक लोग सड़क पर उतर गए हैं। लोगों ने अपने अधिकार की लड़ाई शुरू कर दी है।

चूंकि केरल के वायनाड में उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में इन पीड़ितों को उम्मीद है कि उनकी बात सुनी जाएगी। असल में केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी एलडीएफ और कांग्रेस के बीच गठबंधन है और ये दोनों ही पार्टियां वक्फ बोर्ड का समर्थन कर रही हैं। कांग्रेस और वामपंथी लगातार केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक-2024 का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, चुनाव के चलते लोगों को अब आस जगी है कि हो सकता है कि चुनावी दबाव के कारण उनकी बात सुनी जाए।

पीड़ितों का कहना है कि जिस जमीन को वक्फ बोर्ड अपना बता रहा है असल में वह उसकी है ही नहीं। दूसरी तरफ अपनी जमीन खोने के डर से परेशान ईसाई गांव के लोग स्थानीय चर्चों की मदद से लगातार विरोध कर रहे हैं।

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क्या है पूरा मामला

केरल की व्यावसायिक राजधानी कोच्चि की भीड़-भाड़ से दूर मुनंबम उपनगर में स्थित चेराई गांव, मछुआरों का एक खूबसूरत गांव है। इसी गांव पर हाल ही में वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंक दिया था। वक्फ ने पूरे गांव को वक्फ की संपत्ति करार दे दिया था। ईसाई बहुल इस गांव में लगभग 610 परिवार रहते हैं।

क्या है विवाद

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1902 में त्रावणकोर के राजा ने गुजरात से केरल पहुंचे अब्दुल सत्तार मूसा पर दया दिखाते हुए 464 एकड़ जमीन दी थी। वो यहां मछली पकड़ने के लिए आया हुआ था। कहा जा रहा है कि 4 दशकों में समुद्री कटाव के कारण राजा की दी गई अधिकांश भूमि नष्ट हो गई। 1948 में सत्तार के उत्तराधिकारी सिद्दीकी सेठ ने जब जमीन की रजिस्ट्री की तो उसमें स्थानीय मछुआरों की जमीन भी शामिल थी।अब उसी जमीन पर वक्फ बोर्ड अपना दावा ठोंक रहा है।

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