पाकिस्तान का एक अर्थविद् कहता है कि भारत में टाटा से कुछ सीखना चाहिए। टाटा ने एयर इंडिया को अपने हाथ में लिया। टाटा समूह का अच्छा—खासा नाम है, उद्योग में वह मशहूर है, दुनिया उसे जानती है। लेकिन पीआईए के लिए इकलौता बोली लगाने वाला आया भी तो वह एक प्रॉपर्टी डीलर निकला। उसके विरुद्ध 200 से अधिक आरोप दर्ज हैं। इस फर्क से बहुत कुछ समझा जा सकता है।
जिन्ना के देश ने बड़ी छाती ठोककर घोषणा की थी कि वह घाटे में चल रही अपनी सरकारी एयरलाइन्स पीआईए को नीलाम करेगा और वह भी टेलीविजन पर सबके सामने। लेकिन जब ये नीलामी हुई तो खरीददार आया बस एक और उसने भी सरकारी बोली से सिर्फ 12 फीसदी ज्यादा कीमत पर 60 फीसदी हिस्सेदारी की बात की। इससे शाहबाज सरकार की खूब फजीहत हो रही है और लोग भारत के टाटा से कुछ सीखने की सलाहें दे रहे हैं।
हुआ यूं कि कंगाल देश की शाहबाज सरकार ने पीआईए की नीलामी के लिए सरकारी बोली 85 अरब रुपये रखी थी। टेलीविजन पर इसका सीधा प्रसारण इस गरज से किया जा रहा था कि पारदर्शिता रहे। लेकिन बोली में सिर्फ इकलौता खरीददार सामने आया और उसने भी 10 अरब रुपये ही चुकाने की बात की। इससे पाकिस्तान की कंगाल सरकार की भद्द पिटनी ही थी। यानी सरकारी बोली तक भी जाने को कोई राजी न हुआ।
इस तरह जिन्ना के देश की कंगाल सरकार की सरकारी एयरलाइंस की बोली लगवाने की योजना धरी रह गई है। सरकार चाहती थी कि सरकारी एयरलाइंस को वह तो चला नहीं पा रही है इसलिए इसे किसी निजी कंपनी के हवाले कर दिया जाए। पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को खरीदने की हिम्मत दिखाने वाली इकलौती कंपनी थी ब्लू वर्ल्ड सिटी, लेकिन उसने भी 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी के लिए हां की और सिर्फ 10 अरब रुपये देने की पेशकश की।
यह राशि सरकार की तरफ से पेश की गई न्यूनतम कीमत की सिर्फ 12 प्रतिश थी। सरकार ने बोली की शुरुआत ही 85.03 अरब रुपये से करने का सोचा था। उसे लगा था कि प्रस्तावित खरीदार इससे आगे की बोली लगाएंगे। लेकिन आगे तो छोड़िए, इसके भी सिर्फ 12 प्रतिशत पैसे पर सिर्फ 60 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने की बात की जाने लगी और वह भी सिर्फ एक कंपनी की तरफ से।
दिलचस्प बात यह है कि जो इकलौती ब्लू वर्ल्ड सिटी कंपनी आगे आई थी तो उसके मालिक ही दागदार निकले। बताते हैं, उन पर कई गंभीर मामलों में मुकदमे चल रहे हैं। बोली योजना की इस किरकिरी के बाद लोगों ने पाकिस्तान सरकार की सोच को लताड़ लगाते हुए भारत से सबक लेने की सलाहें दी हैं।
पाकिस्तान का एक अर्थविद् कहता है कि भारत में टाटा से कुछ सीखना चाहिए। टाटा ने एयर इंडिया को अपने हाथ में लिया। टाटा समूह का अच्छा—खासा नाम है, उद्योग में वह मशहूर है, दुनिया उसे जानती है। लेकिन पीआईए के लिए इकलौता बोली लगाने वाला आया भी तो वह एक प्रॉपर्टी डीलर निकला। उसके विरुद्ध 200 से अधिक आरोप दर्ज हैं। इस फर्क से बहुत कुछ समझा जा सकता है।
दरअसल, ब्लू वर्ल्ड सिटी कंपनी रावलपिंडी तथा इस्लामाबाद की एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट है। कहते हैं कि इस कंपनी के स्वामियों पर हत्या, अवैध हथियार रखने, लोगों को जख्मी करने तथा जमीनों पर नाजायज कब्जों जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं और कम से कम 215 रिपोर्ट लिखित रूप से दर्ज हो चुकी हैं।
इससे भी दिलचस्प बात है कि पहले सरकारी बाबुओं ने रियल एस्टेट वाली कंपनी ब्लू वर्ल्ड सिटी को पीआईए की बोली के लिए गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन बोली लगाने के लिए सामने आईं छह कंपनियों में से सिर्फ उसी एक ने आखिरी बोली से पूर्व बयाने के पैसे भरे थे। यानी इस प्रकार सिर्फ ब्लू वर्ल्ड सिटी ही बोली की हकदार बनी।
ब्लू वर्ल्ड सिटी को चलाने वाले ही सुनो टीवी भी चलाते हैं। इस कंपनी ब्लू वर्ल्ड सिटी को चलाने वाले जो दो नाम सामने आए हैं वे हैं पाकिस्तान की सेना से रिटायर्ड जनरल आरिफ और सज्जाद रसूल। ये दोनों पहले पाकिस्तानी सेना की गुप्चतर संस्था आईएसआई में काम कर चुके हैं।
अब बात पीआईए की। पीआईए अपने देश की तरह ही कंगाल हालत में चल रही है। देश पर एक बोझ बन चुकी इस कंपनी ने पिछले साल 75 अरब रुपये से ज्यादा का घाटा उठाया था। इस एयरलाइन्स पर लगभग 800 अरब रुपये का कर्ज भी चढ़ा हुआ है। इसलिए शाहबाज सरकार इससे छुटकारा पाने की तरकीबें भिड़ाती आ रही थी और उसी में से एक थी इसे निजी हाथों में सौंप देना। लेकिन यह चाल भी उलटी पड़ी है और जिन्ना के देश की एक बार और किरकिरी करा कर ढह गई है।
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