संस्कृति

अलग होने की सोच भी नहीं सकते

Published by
मनीष चौहान

 

आज जहां अधिकतर शहरी लोग संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहते हैं और घर के बुजुर्गों को वृद्धाश्रम तक में छोड़ आते हैं, छोटी-छोटी बातों पर परिवार के लोगों में विवाद होता है और देखते ही देखते परिवार बिखर जाता है। वहीं देश में आज भी कुछ ऐसे परिवार हैं जो इकट्ठे रहना पसंद करते हैं।

ऐसा ही एक परिवार है मध्यप्रदेश में खरगोन जिले की ग्राम पंचायत देवाड़ा के हमीरपुरा गांव में, जिसमें एक ही छत के नीचे 90 लोग एक साथ प्रेम भाव से रहते हैं। घर का कोई भी सदस्य अलग रहने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि परिवार बहुत समृद्ध नहीं है, लेकिन बावजूद इसके आज तक किसी बात को लेकर आपस में कोई विवाद नहीं हुआ। इस परिवार का आपसी स्नेह लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है। पूरे क्षेत्र में परिवार का बड़ा मान है।

तीन पीढ़ियां एक साथ

इसी परिवार के कैलाश गांव के सरपंच हैं। वे बताते हैं, ‘‘उनके परिवार में कुल 90 लोग हैं। घर के सबसे बड़े सदस्य की उम्र करीब 102 साल है, जबकि सबसे छोटी बच्ची एक साल की है। पूरे परिवार में 35 पुरुष, 30 महिलाएं और 25 बच्चे हैं और सब साथ रहते हैं। कैलाश ने बताया,‘उनका परिवार करीब तीन पीढ़ियों से एक साथ रह रहा है। परिवार का कोई भी सदस्य अपने मुखिया को नहीं छोड़ना चाहता। इसी वजह से परिवार आज भी संयुक्त है और किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं होता।’’

साझा चूल्हा

इस परिवार के पास करीब 8 एकड़ जमीन है, जिस पर यह लोग खेती- बाड़ी करते हैं। लेकिन इतनी उपज नहीं होती कि परिवार का भरण पोषण हो सके। इसलिए कुछ लोग काम करने बाहर भी जाते हैं लेकिन शाम तक घर लौट आते हैं। घर में की एक ही रसोई मेंकरीब 30 चूल्हे जलाकर घर की महिलाएं एक साथ खाना बनाती हैं। परिवार के लोगों के लिए हर दिन करीब 40 किलो आटा, 25 किलो चावल और 35 किलो सब्जी बनती है। घर की सबसे बुजुर्ग महिला रेवलीबाई हैं, जो घर की महिलाओं को यह बताती हैं कि किसको, क्या काम करना है। वे ही घर की तमाम महिलाओं को काम बांटती हैं। परिवार की सभी महिलाएं उनके निर्देशों का सहजभाव से पालन करती हैं। वहीं रेवलीबाई पूरे परिवार की महिलाओं की जरूरत आदि का ध्यान रखती हैं।

17 लाड़ली बहनें

कैलाश ने बताया कि उनके परिवार में 17 महिलाओं को मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली बहना योजना का लाभ मिलता है। इस योजना के तहत लाभार्थी महिला को हर माह 1250 रुपए मिलते हैं। ऐसे ही करीब 12 लोगों को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि भी मिलती है। पीएम किसान निधि के तहत सालभर में 6 हजार रुपए और सीएम किसान निधि के तहत भी प्रदेश सरकार किसानों को हर साल 6 हजार रुपए देती है। इसके अलावा तालाब योजना में परिवार के अधिकांश सदस्य मछली पकड़ने का काम करते हैं। परिवार के बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन भी मिलती है। इससे परिवार की गुजर-बसर अच्छे से हो जाती है।

आपसी स्नेह की मिसाल

इस परिवार की बहुएं घर के कामकाज संभालने के साथ-साथ बाहर के कामों में भी हाथ बंटाती हैं। सुबह घर के बड़े लोग काम पर और बच्चे स्कूल चले जाते हैं। शाम को जब सब इकट्ठे होते हैं तो फिर से घर में चहल-पहल हो जाती है। परिवार के लोग सारे त्योहार मिल-जुलकर मनाते हैं।

कैलाश बताते हैं, ”अब घरों में बंटवारा आम हो गया है, परिवार तेजी से बिखर रहे हैं। फिर भी हमारा परिवार आज भी एकजुट है। इसके पीछे हमारे वासल्या भाई का योगदान है। उनका सपना था कि परिवार संयुक्त रहे। वे जब तक जीवित रहे, पूरे परिवार को एकजुट रखने की कोशिश करते रहे। कोरोना काल में उनका निधन हो गया। उस समय लगा कि आगे परिवार को एकजुट रख पाना संभव नहीं हो पाएगा, लेकिन परिवार के किसी भी सदस्य ने आज तक अलग होने की बात नहीं की, सब पहले की तरह एकजुट हैं।”

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