गप्पू के बापू से...पोते के पप्पू तक
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

गप्पू के बापू से…पोते के पप्पू तक

तुलसी को जलार्पण के माध्यम से फेविकॉल के विज्ञापन ने दिखाई संयुक्त परिवार की भीनी सी झलक

by Alok Goswami
Oct 30, 2024, 08:50 am IST
in भारत
विज्ञापन के एक दृश्य में संयुक्त परिवार

विज्ञापन के एक दृश्य में संयुक्त परिवार

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बढ़ते शहरीकरण के कारण बदलते पारिवारिक समीकरण आज हमारे समाज को कहां से कहां ले आए हैं! एक वक्त था जब ‘बड़े परिवार’ या ‘संयुक्त परिवार’ ही दिखाई देते थे। समाज में बड़े परिवारों के सुरक्षा कवच तले सब बढ़िया चलता था। बालक कब बड़े होकर सयाने हो जाते थे, पता ही नहीं चलता था। घर में बुजुर्ग माता-पिता की स्नेह​मयी छाया में कई भाई, कई भाभियां, कई बहनें, कई बहनोई, कई भतीजे, कई भतीजियां, कई मामा, कई मामियां, कई भानजे, कई भानजियां, मौसा, मौसियां, फूफा, बुआएं, साले, सालियां, ननद-बहनोईं, भतीज बहुएं….हुआ करती थीं। रसोई एक, चूल्हा एक, भोजन एक व जल का कुंभ एक, बर्तन एक, भात एक, दाल एक, साग एक, हलवा और रायता एक…!

लेकिन आज क्या स्थिति है? प्रचलित तर्क यह है कि नौकरी-पेशों की विविधता और नियुक्तियों की वजह से परिवार बिखरने को मजबूर हुए। गांव खाली हैं, घर में बचे हैं तो बस उम्रदराज बुजुर्ग, जो अपने छोटे-मोटे खेतों पर बंटाई मजदूरों की चौकसी भर कर रहे हैं या सफर नहीं कर सकते इसलिए गांव का घर ‘संभाले’ हैं। अब पापा-मम्मी और शायद एक ही बेटा या बेटी वाले परिवार रह गए हैं शहरों में। पड़ोस के नाम पर बचा है तो बस, अपार्टमेंट के सामने वाले घर का ताला बंद दरवाजा। उसमें कौन रहता है, कितने बालक हैं उसके, वह करता क्या है आदि बातें बेमानी हो चली हैं। कौन पूछे, किससे पूछे, क्यों पूछे! ‘प्राइवेसी’ की दुहाई जो दी जाती है।

इस ‘खुश्की’ भरे नए चलन में सावन के झोंके सा आया था एक विज्ञापन! पिडिलाइट कंपनी के ‘जोड़ लगाने में माहिर’ उत्पाद फेवीकॉल का टेलीविजन पर खूब चला वह विज्ञापन। गजब की संकल्पना थी उसमें। विज्ञापन के केन्द्र्र में था एक संयुक्त परिवार, एक छत के नीचे! विज्ञापन में दर्शाए गए राजस्थान के उस संयुक्त परिवार को देखकर मन पुलकित हुए बिना नहीं रहता। नई पीढ़ी तो भौंचक रह गई थी उस विज्ञापन में दिखाए गए परिवारिक संबंधों की गरिमा और आपसी प्यार को देखकर।

तुलसी के पौधे को पानी देने के लिए घर का एक दसेक वर्षीय बालक कलसे में पानी भरकर पौधे तक पहुंचा है, लेकिन पहले यह पक्का कर लेना चाहता है कि किसी ने उसे अभी पानी तो नहीं दिया न। वह आवाज लगाता है-‘मम्मी, तुलसी में पानी दे दिया क्या?’ मां मना करती है, कहती है, सासू जी ने दिया होगा। उधर यह सुनकर सासू जी कहती हैं, मैंने नहीं दिया, गप्पू के बापू से पूछ लो….! फिर बापू आगे बुआ के लड़के का नाम लेते हैं, वह आगे मामा का नाम लेता है, मामा मौसी की बेटी का, मौसी की बेटी ताऊ जी का, ताऊ जी जीजा जी के भाई का…..करते-करते करीब सौ लोगों के परिवार के बच्चे, बूढ़े, जवान अपने-अपने झरोखों से झांकते हुए हवेली के पहले, दूसरे और तीसरे तल से नीचे आंगन में तुलसी के पौधे के सामने पानी का कलसा लिए खड़े उस बालक को निहारते हैं।

इतने सारे परिवारीजनों से ना सुनने के बाद असमंजस में पड़े उस बालक को बस एक ही रास्ता सूझता है और वह कहता है-‘कोई बात नहीं, मैं फिर से डाल देता हूं।’ वह फेवीकॉल के प्लास्टिक के जैरीकेन में लगे तुलसी के पौधे में कलसी का पानी उड़ेल देता है।

विज्ञापन कंपनी ने ‘मजबूत जोड़’ का दावा करने वाले ‘फेवीकॉल’ के बहाने गाहे-बगाहे एक संयुक्त परिवार का भी बढ़िया जोड़ दिखाया है जो मन को राहत पहुंचाता है। ​पीयूष पांडे की इस विज्ञापन की संकल्पना गजब की है। इसमें भारतीय मानस में बसे रिश्तों की गर्मजोशी का एहसास झलकता है।

Topics: संयुक्त परिवारपाञ्चजन्य विशेषबड़े परिवार‘Large family’ or ‘Joint family’
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

Voter ID Card: जानें घर बैठे ऑनलाइन वोटर आईडी कार्ड बनवाने का प्रोसेस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies