कर्नाटक की कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार आखिरकार झुक गई है। अब सरकार ने फैसला किया है कि वक्फ बोर्ड द्वारा किसानों की 1500 एकड़ जमीन पर मनमाने तरीके से अपना दावा ठोंकने के बाद जारी किए गए नोटिस को वापस ले लेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड की मनमानी के खिलाफ लोगों के विरोध के बाद विजयपुर जिले के डिप्टी कमिश्नर ने सरकार की तरफ से इशारा मिलने के बाद किसानों को आश्वस्त किया है कि किसानों की जमीनों को वक्फ बोर्ड को सौंपने की कोई योजना नहीं है। वहीं कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने भी घोषणा की कि विजयपुरा जिले के किसानों को भेजे गए नोटिस वापस लिए जाएंगे।
पाटिल का कहना है कि जो भी गलतियां हुई हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए जारी किए गए नोटिस को वापस लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को इस मामले की जांच के लिए आदेश दे दिए गए हैं कि इस तरह की गलती क्यों हुई और इस जांच के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा। हालांकि, कांग्रेस सरकार के मंत्री ने कहा कि जिन किसानों को नोटिस जारी किया गया था, उनकी जमीनों को वापस करने की प्रक्रिया में कुछ वक्त लग सकता है।
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क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि कर्नाटक के विजयपुर जिले के टिकोटा तालुक स्थित होनवाड़ा गांव के करीब 41 किसानों को हाल ही में वक्फ बोर्ड की तरफ से एक नोटिस भेजा गया, जिसमें ये दावा किया गया कि उनकी 1500 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। किसानों को नोटिस भेजे गए, जिसमें कहा गया था कि यह जमीन शाह अमीनुद्दीन दरगाह के अधीन है और वक्फ संपत्ति के रूप में चिन्हित है। हालाँकि, किसानों का कहना था कि उनके गांव में इस नाम की कोई दरगाह नहीं है और यह जमीन उनके परिवारों की पुश्तैनी संपत्ति है।
बहरहाल, इस घटना के बाद लोगों ने जमकर इसका विरोध किया, जिसके बाद अब सिद्धारमैया सरकार बैकफुट पर आ गई है।
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