कर्नाटक में वक्फ बोर्ड द्वारा किसानों की जमीन पर किए जा रहे दावों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। विशेष रूप से विजयपुर जिले में यह विवाद बढ़ता जा रहा है, जहां किसानों ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर अपनी आवाज उठाई। उनका आरोप है कि जमीनों के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेजों में पहले ही बदलाव कर दिया गया है, जिससे उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों का संघर्ष
किसानों का कहना है कि वक्फ बोर्ड के दावों के कारण वे बैंक से ऋण नहीं ले पा रहे हैं और अपनी जमीन को बेचने में भी असमर्थ हैं। स्वामी विवेकानंद सेना के अध्यक्ष अन्निगेरी ने बताया कि वक्फ मंत्री जमीर अहमद खान ने हाल ही में एक बैठक में वक्फ भूमि का सर्वेक्षण कराने की अंतिम तिथि दी थी, जिसके तहत प्राधिकरण ने किसानों के आरटीसी (रेवेन्यू टाइटल सर्टिफिकेट) दस्तावेजों में पहले ही उल्लेख कर दिया है कि यह भूमि वक्फ बोर्ड की है।
किसान नेता अरविंद कुलकर्णी का कहना है कि जब वक्फ मंत्री विजयपुर आए थे, तो उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन जमीनों को अपने कब्जे में ले लें, जिन पर वक्फ बोर्ड का दावा है। इस स्थिति ने किसानों में भय और असंतोष पैदा किया है।
इस मामले में भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने एक पोस्ट के जरिए आरोप लगाया कि एक प्रभावशाली कांग्रेस नेता ने वक्फ के नाम पर जमीन पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, वक्फ और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमीर अहमद खान ने सूर्या की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। उनका कहना है कि राज्य में कुल 1,12,000 एकड़ वक्फ भूमि है, लेकिन केवल 23,000 एकड़ भूमि ही वक्फ के नियंत्रण में है।
सरकार की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने किसानों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार मामले की समीक्षा करेगी। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग इस मामले की जांच करेगा और पुराने दस्तावेजों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन खाली करने की समय सीमा तय करने का कोई मतलब नहीं है और इस मुद्दे को सुलझाया जाएगा।
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