गत दिनों कर्णावती में दुर्गा वाहिनी ने अहिल्यादेवी होल्कर और रानी दुर्गावती के क्रमश: 300वें और 500वें जयंती वर्ष पर ‘मानवंदना यात्रा और सम्मेलन’ का आयोजन किया। तीन किलोमीटर लंबी यात्रा में अखाड़ा, नियुद्ध, तलवारबाजी और देशभक्ति के नारों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
इस अवसर पर दुर्गा वाहिनी की क्षेत्र संयोजिका डॉ. यज्ञाबेन जोशी, महापौर प्रतिभाबेन जैन, साध्वी सुप्रभानंद जी एवं समाजसेविका उषाबेन अग्रवाल उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और विहिप के केंद्रीय सह संगठन मंत्री विनायकराव देशपांडे ने कहा कि रानी दुर्गावती और अहिल्यादेवी होल्कर का स्मरण कर महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने अहिल्यादेवी को शिक्षित करने वाले उनके ससुर मल्हार राव होल्कर का उदाहरण देते हुए कहा कि ससुर के घर में शिक्षा देने की उत्कृष्ट प्रथा देश में 300 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। दोनों वीरांगनाओं का स्मरण कर महिलाएं विपरीत परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट कार्य कर सकती हैं, बस आवश्यकता है उन्हें अवसर देने की।
500 साल पहले रानी दुर्गावती ने जनजाति समाज के एक वीर राजा से शादी की और न केवल अपने पितृपक्ष के साम्राज्य को मजबूत किया, बल्कि देश से जातिगत भेदभाव को भी दूर किया। दोनों विभूतियों ने अनेक धार्मिक कार्य किए। रानी दुर्गावती ने मंदिरों के विकास के लिए 40 गांवों के कर की व्यवस्था की।
रानी अहिल्यादेवी ने नर्मदा और गंगा के तट पर कई घाट, धर्मशालाएं बनवाईं, अन्नक्षेत्र बनवाए और विधर्मियों द्वारा नष्ट किए गए कई मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया, जिनमें पवित्र ज्योतिर्लिंग भी शामिल थे। भारत माता की आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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