हाल ही में भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गहराई से तनाव उत्पन्न हुआ है। इस तनाव का मुख्य कारण कनाडा की सरकार द्वारा खालिस्तानी तत्वों को शरण देने और उनके बचाव में उठाए गए कदम हैं। भारत ने इस स्थिति के मद्देनजर अपने मुख्य राजनयिक संजय कुमार वर्मा समेत छह राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया है। लौटने के बाद संजय कुमार वर्मा ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर वोट बैंक के लिए खालिस्तानी तत्वों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जो इस मुद्दे को और अधिक गंभीर बनाता है।
कनाडाई सरकार पर आरोप
संजय कुमार वर्मा ने एएनआई को दिए साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि कनाडाई सरकार खालिस्तानी तत्वों को शरण देकर अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “अगर कनाडा को खालिस्तानी तत्वों से इतना प्यार है, तो क्यों न वे अपने देश के एक हिस्से को खालिस्तान घोषित कर दें? कनाडा एक बड़ा देश है, और यह संभव है।” यह टिप्पणी न केवल कनाडा की राजनीति पर सवाल उठाती है, बल्कि भारत के प्रति कनाडा के रवैये को भी स्पष्ट करती है।
संजय वर्मा ने बताया कि कनाडाई सरकार को खालिस्तानी तत्वों से समर्थन, धन और वोट मिलते हैं। वे चुनावों में इन तत्वों के माध्यम से लाभ उठाने के लिए नरम रुख अपनाने को मजबूर हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कनाडाई सरकार अपनी राजनीति के लिए भारत के खिलाफ एक खतरनाक खेल खेल रही है।
संजय कुमार वर्मा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कनाडा में खालिस्तानी तत्वों ने उन्हें तलवार से हमले का सामना करना पड़ा था, जिससे भारत सरकार की चिंता बढ़ी है। भारत ने अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिसके परिणामस्वरूप छह राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, भारत सरकार ने कुछ कनाडाई राजनयिकों को भी लौटने का आदेश दिया है।
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