कनाडा में हाल ही में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा पर तलवार से किए गए हमले का खुलासा खुद वर्मा ने किया है। इस हमले में संजय कुमार वर्मा की पत्नी भी उनके साथ थीं, और यह घटना उनके जीवन का एक भयावह क्षण था, जिससे वे बाल-बाल बच गए। यह घटना कनाडा-भारत के तनावपूर्ण संबंधों के बीच खालिस्तानी समर्थकों की आक्रामकता को दर्शाती है और कनाडा में भारतीय समुदाय की सुरक्षा के प्रति बढ़ते चिंताओं को उजागर करती है।
वर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए इस खौफनाक घटना का विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि वह अल्बर्टा में भारतीय समुदाय के लोगों के साथ एक सांस्कृतिक और व्यापारिक आयोजन में शामिल थे, जहां कई व्यापारिक हस्तियां और भारतीय प्रवासी मौजूद थे। जैसे ही वे वहां से जाने के लिए बाहर निकले, तो खालिस्तान समर्थकों ने बाहर गेट के पास जमावड़ा बना लिया। उस भीड़ में करीब 150 लोग थे, जो खालिस्तानी नारेबाजी कर रहे थे और विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
वर्मा के अनुसार, जब वे अपनी पत्नी के साथ कन्वेंशन हॉल से बाहर निकल रहे थे, तभी खालिस्तानी समर्थकों में से किसी एक ने उन पर तलवार से हमला करने की कोशिश की। यह तलवार उनके शरीर से मात्र 2-2.5 इंच की दूरी से गुजरी, जो उनके लिए एक डरावनी और अप्रत्याशित घटना थी। इस हमले से वर्मा और उनकी पत्नी के जीवन पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया था।
वर्मा ने इस घटना के बाद कनाडा की रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) और स्थानीय पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वर्मा ने कहा कि स्थानीय पुलिस को स्थिति की जानकारी थी, लेकिन वे इस हद तक हिंसा को नहीं रोक पाए। उन्होंने चिंता जताई कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों का यह आक्रामक रवैया भारतीय समुदाय और राजनयिकों की सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है।
वर्मा ने इस हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शायद खालिस्तानियों को तलवार और खंजर में अंतर नहीं पता, लेकिन देशभक्त भारतीय वाहेगुरु की कृपा से इस फर्क को अच्छी तरह से समझते हैं। वर्मा का यह व्यंग्यात्मक बयान खालिस्तानी समर्थकों की हिंसक मंशा पर करारा प्रहार था, जिससे उनका साहस और आत्मविश्वास भी झलकता है। यह बयान भारतीयों की आस्था और देशभक्ति का प्रतीक है, जो हर मुश्किल घड़ी में मजबूती से खड़े रहने का संदेश देता है।
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