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बांग्लादेश: मुहम्मद यूनुस ने रोहिंग्याओं के बहाने गाजा और लेबनान के मुस्लिमों का रोया रोना, हिन्दुओं पर साधी चुप्पी

Published by
Kuldeep singh

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र में ‘रोहिंग्या मुस्लिमों’ की समस्या के बहाने गाजा और लेबनान में मुसलमानों के मुद्दे को उठाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में रोहिंग्या संकट का जिक्र करते हुए दावा किया कि म्यांमार का रखाइन हो या गाजा या फिर हो लेबनान हर जगह मुस्लिमों को सताया जा रहा है। उनकी इस हालत को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। लेकिन मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में ही हो रहे हिन्दुओं के दमन पर चुप्पी साध ली।

मुहम्मद यूनुस ने रोहिंग्या संकट का स्थायी समाधान खोजने और रोहिंग्याओं की म्यांमार में सम्मानजनक वापसी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मांग की है। मुहम्मद यूनुस की पीड़ा है कि रोहिंग्या मुस्लिम पीड़ित हैं और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। वह गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र दिवस के मौके पर बोल रहे थे। यूनुस का कहना था कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार और भासन में 1.3 मिलियन से भी अधिक रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं। हाल ही में 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दिए जाने का दावा यूनुस ने किया है।

संयुक्त राष्ट्र में बड़ी-बड़ी बातें, लेकिन अलग ही कहानी कर रहे बयां

संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की वकालत करते हुए मुहम्मद यूनुस ने कहा कि शांति, न्याय और सभी को समानता का अधिकार ही बांग्लादेश का राष्ट्रीय लोकाचार है। हम बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्ध हैं, फिर चाहे जलवायु संकट से निपटने की चुनौती हो, सतत विकास हो या फिर छात्रों के नेतृत्व में हुआ तख्तापलट हो। मुहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र में बहुत ही लच्छेदार बातें की। उन्होंने मानवता जैसे बड़े और भारी शब्दों का इस्तेमाल किया।

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लेकिन, ये वही मुहम्मद यूनुस हैं, जिनकी अगुवाई में बांग्लादेश में सरकार बदलते ही 100 से भी अधिक हिन्दू पुलिस अधिकारियों को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन उन्हें इसका कारण नहीं बताया गया।

नवरात्र के दौरान चटगांव, ढाका समेत कई अन्य स्थानों पर दुर्गा पूजा पंडालों में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने जबरन घुसकर तोड़फोड़ की। खुलेआम हिन्दुओं पर इस्लामिक कन्वर्जन के लिए मजबूर करने की कोशिश की। लेकिन, कट्टरपंथियों के खिलाफ तब तक कार्रवाई नहीं की गई, जब तक कि उन्होंने इंसाफ की मांग के लिए जोरदार प्रदर्शन नहीं किया।

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