कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जिन्हें खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का झूठा आरोप भारत पर मढ़ने को लेकर विवादों का सामना करना पड़ रहा है, अब अपनी ही पार्टी के सांसदों के गुस्से का शिकार हो रहे हैं। बुधवार को पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक में ट्रूडो से इस्तीफे की मांग की गई। यह बंद कमरे की बैठक लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा के सांसदों के बीच हुई, जिसमें जस्टिन ट्रूडो भी मौजूद थे।
कनाडा के प्रमुख समाचार पत्र नेशनल पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैठक के दौरान एक पत्र वितरित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री ट्रूडो से शीघ्र इस्तीफा देने और पार्टी के नए नेतृत्व के लिए प्रक्रिया शुरू करने की अपील की गई। बैठक में शामिल दो सांसदों ने इस बात की पुष्टि की।
बैठक का माहौल और सांसदों का रुख
बैठक के दौरान ट्रूडो ने बहुत कम बोला। बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी एकजुट और मजबूत है। बैठक से बाहर आने वाले कुछ सांसदों ने इसे रचनात्मक बताया और कहा कि वे ज्यादा विवरण साझा नहीं करेंगे। वहीं न्यू ब्रंसविक के सांसद वेन लॉन्ग ने खुले तौर पर प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि बैठक में बहुत अच्छी चर्चा हुई और यह नौ वर्षों में पहली बार था कि सांसदों के बीच इतनी ईमानदार और स्पष्ट बातचीत हुई। लॉन्ग ने यह भी कहा कि कनाडा की भलाई के लिए ट्रूडो का पद छोड़ना आवश्यक है।
बैठक में शामिल टोरंटो के सांसद नथानिएल एर्स्किन स्मिथ ने कहा कि इस्तीफे की मांग रखने वाले सांसदों का रुख दोतरफा था, वहीं ओंटारियो के सांसद चार्ल्स सूसा ने कहा कि ट्रूडो खुद जानते हैं कि उनके सामने बड़ी चुनौतियां हैं। वहीं ट्रूडो के सहयोगी यवन बेकर ने बैठक में जो कहा गया, उसे साझा करने से इंकार किया।
वहीं, कैलगरी के सांसद जॉर्ज चहल ने कहा कि ट्रूडो उनके नेता हैं और आगे भी रहेंगे। वित्तमंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड ने बैठक को शानदार बताया और ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कटौती पर विचार करने का सुझाव दिया। गुप्त मतदान की मांग रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी समर्थकों को “कोड रेड पिटीशन” भेजी गई है, जिसमें उनसे तत्काल गुप्त मतदान का अनुरोध किया गया है। इस पिटीशन में पूछा गया है कि ट्रूडो को पद पर बने रहना चाहिए या इस्तीफा देना चाहिए।
उदारवादी रणनीतिकार एंड्रयू पेरेज का कहना है कि सांसदों की मांग को पार्टी नेतृत्व को गंभीरता से लेना चाहिए। यह संकट ट्रूडो के लिए एक बड़ी चुनौती है, खासकर जब पार्टी के भीतर से ही इस्तीफे की मांग हो रही है।
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