गत दिनों जयपुर में चतुर्थ हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित हुआ। इसका उद्देश्य था समाज के विभिन्न आध्यात्मिक और सामाजिक संगठनों, मठों, मंदिरों व संस्थाओं द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों को एक छत के नीचे लाना। बता दें कि इस तरह के मेले हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन (एच.ए.एस.एफ.) द्वारा देश में 2009 से आयोजित किए जा रहे हैं। इन मेलों के माध्यम से यह बताया जाता है कि सेवा कार्यों में जन-साधारण कैसे सहभागी बन सकता है। जयपुर के आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान में चतुर्थ सेवा मेला लगा। इसमें देश के 8 राज्यों की 117 सेवाभावी संस्थाओं ने अपने सेवाकार्यों को विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शित किया।
पांच दिवसीय इस मेले को लगभग 4 लाख लोगों ने प्रत्यक्ष आकर देखा, वहीं 30 लाख से अधिक लोगों ने आनलाइन (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) देखा। मेले के दौरान हैरिटेज गांव, दादी-नानी का घर, बौद्धि वृक्ष व गंगा मैया की झांकी और विज्ञान के आविष्कारों व भारत को जानें जैसी प्रदर्शनियों ने लोगों को आकृष्ट किया। राजस्थान में इस मेले की शुरुआत 2015 में हुई थी। उसके बाद 2016, 2017 और इस बार यह चौथा आयोजन था।
बीच के कालखंड में कोरोना महामारी के कारण यह आयोजन नहीं हो सका था। मेले का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया। इस अवसर पर जगद्गुरु निम्बार्काचार्य, श्री श्रीजी महाराज, दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज, डॉ. चिन्मय पंड्या जैसे गणमान्यजन लोगों की उपस्थिति रही। प्रदेश के 10,000 बच्चों ने उद्घाटन से पूर्व जयपुर के अल्बर्ट हॉल से साइकिल रैली निकाल कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इसी कड़ी में संत-समागम प्रबुद्धजन संगोष्ठी भी हुई। इसमें प्रदेश के महामंडलेश्वर, विभिन्न मठों के मठाधीश, विभिन्न व्यापार मंडलों के अध्यक्ष और सामाजिक संगठनों के प्रबुद्धजनों ने ‘हिंदुत्व’ पर अपने विचार साझा किए।
प्रतिदिन शाम को गंगा आरती : मां गंगा-गायत्री की प्रतिकृति के समक्ष प्रतिदिन सायंकाल हजारों लोगों द्वारा गंगा आरती के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, धरती मां, नदियों व प्रकृति का आभार व्यक्त किया गया। आरती के दौरान मातृशक्ति बड़ी संख्या में आई।
अहिल्याबाई नाटक का मंचन : लोक कल्याणकारी, समाजसेवी, धर्मनिष्ठ, न्यायप्रिय व आदर्श शासिका अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर बने नाटक का इंदौर से आए लगभग 100 कलाकारों ने मंचन किया।
आचार्य वंदन : जयपुर शहर के सरकारी और निजी विद्यालयों से आए छात्र-छात्राओं ने 4,000 से अधिक शिक्षकों का सम्मान/पूजन कर जीवन को दिशा देने वाले गुरुओं के प्रति आभार प्रकट किया गया।
प्रकृति वंदन : 2,000 से अधिक विद्यार्थियों और आम नागरिकों द्वारा गो, वृक्ष व तुलसी का वंदन कर प्रकृति का आभार व उसकी महत्ता को प्रकट किया गया।
मातृ-पितृ व अतिथि वंदन : पारिवारिक व मानवीय मूल्यों की अभिवृद्धि के उद्देश्य से यह कार्यक्रम माता-पिता, अपनों से बड़े तथा अतिथि सम्मान परंपरा की निरंतरता को दर्शाने हेतु आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 1,000 परिवारों की सहभागिता रही।
समरस भारत संगम : समाज में समरसता का वातावरण बने। इसी प्रयास में लगे हुए साधु-संतों, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों व जाति-बिरादरियों के प्रमुख बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
परमवीर वंदन : 5,000 से अधिक युवाओं द्वारा बलिदानी परमवीर चक्र विजेताओं का वंदन कर राष्ट्रभक्ति भाव का जागरण किया गया। इस दौरान राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री भैया जी जोशी, परमवीर चक्र विजेता और मानद कैप्टन योगेंद्र यादव, जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता, एच.ए.एस.एफ. फाउण्डेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री गुणवंत सिंह कोठारी व सचिव सोमकांत शर्मा भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि इस कार्यक्रम की सफलता तभी है जब हम अपने और अपने परिवार के अंदर देशभक्ति की भावना जगा पाएं। हम पैसा तो बहुत कमा लेते हैं, नाम भी बहुत कमा लेते हैं, परंतु राष्ट्र के प्रति हमारे जो कर्तव्य हैं, उन्हें नहीं निभाते। आज हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने बच्चों में बचपन से ही देशभक्ति भाव का जागरण करें।
हिंदू आध्यात्मिक सम्मेलन : हिंदू आध्यात्मिक सम्मेलन में भारतीय दर्शन एवं राष्ट्रीय एकता, कर्तव्य परायणता, हिंदुत्व का व्यापक दृष्टिकोण जैसे विषयों पर मंथन हुआ। प्रसिद्ध डाटा साइंटिस्ट एस. नरेंद्रन ने युवाओं से कहा कि भारतीय कैसे बनना है, यह सीख लिया तो भारत आने वाले समय में एक बार फिर से विश्व गुरु बन जाएगा। इसे दुनिया की कोई शक्ति रोक नहीं सकती। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) के महत्व को समझाते हुए कहा कि 11 वर्ष के बाद विश्व के 67 प्रतिशत एआई इंजीनियर भारतीय होंगे।
2035 में दुनिया की कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में भारत की हिस्सेदारी 11 ट्रिलियन डॉलर होगी। उन्होंने कहा कि 1,100 वर्ष पहले विश्व में 55 प्रतिशत सनातनी थे तथा 62 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा संस्कृत थी। ऐसे में ए.आई. तकनीक से भारत वापस उसी स्तर पर पहुंचेगा। समापन के बाद लोग अपने-अपने घरों की ओर इस संदेश के साथ निकले कि हमारा हर कर्म हिंदू समाज की प्रगति के लिए होगा।
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