मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रिकॉल अर्जी खारिज कर दी है। मुस्लिम पक्ष की ओर से यह रिकॉल अर्जी दाखिल की गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद सभी 18 मुकदमे एक साथ निचली अदालत में सुने जाएंगे। इसके पूर्व 16 अक्टूबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस रिकॉल अर्जी पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 18 मुकदमों को एक साथ सुने जाने का आदेश उच्च न्यायालय ने पारित किया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष में रिकॉल एप्लीकेशन दायर किया था। इसकी सुनवाई पूर्ण हो जाने के पश्चात उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने आज मुस्लिम पक्ष की रिकॉल एप्लीकेशन को खारिज कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि रिकॉल एप्लीकेशन दाखिल करने के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से उच्च न्यायालय में कहा गया था कि सभी मुकदमों की सुनवाई अलग-अलग होनी चाहिए जबकि हिंदू पक्ष की तरफ से उच्च न्यायालय में कहा गया कि मुस्लिम पक्ष मामले को उलझाने की कोशिश कर रहा है। 1 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के मामले में कहा था कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर सभी 18 मुकदमे एक साथ सुने जाएंगे। हिंदू पक्ष की ओर से यह दावा किया गया है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया, मस्जिद का नहीं है। यह ढाई एकड़ भूमि श्री कृष्ण जन्म भूमि के गर्भ गृह की है जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि 60 वर्ष पहले एक समझौते के तहत ढाई एकड़ भूमि मस्जिद को दी गई थी।
टिप्पणियाँ