कर्णावती: भावनगर में गुजरात हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर एक आवासीय कॉलोनी में बनी मस्जिद को गिराने के लिए गुजरात हाउसिंग बोर्ड द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देने वाली रिट याचिका को हाईकोर्ट ने सख्ती से खारिज कर दिया है। भावनगर के भरत नगर में मेमन कॉलोनी को गुजरात हाउसिंग बोर्ड ने नोटिस फटकारा था। इस नोटिस के खिलाफ मस्जिद के कब्जाधारियों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की थी।
याचिका में बताया गया था कि 1980 में कम आय रखने वाले लोगों के लिए बनाई गई इस मस्जिद के वह सभी कब्जेदार है। साल 1989 में आवासीय कॉलोनी के लोगों की सहमति से मस्जिद बनाई गई थी। क्योंकि कॉलोनी में नमाज अदा करने के लिए अन्य कोई स्थान नहीं था। मस्जिद के सभी कर और बिजली बिल का भुगतान भी कर दिया गया है। जिसके चलते गुजरात हाउसिंग बोर्ड की तरफ से मस्जिद के विध्वंस के लिए दी गई नोटिस को रद्द कर देना चाहिए। इसके साथ-साथ मस्जिद के निर्माण कार्य को कानूनी तौर पर रेग्युलराइज भी कर देना चाहिए।
इस याचिका के खिलाफ हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए गुजरात हाउसिंग बोर्ड के वकील ने कहा कि जिस स्थान पर मस्जिद बनाई गई है वह जमीन हाउसिंग बोर्ड के स्वामित्व वाली जमीन है। जिसके चलते यह मस्जिद गैरकानूनी है। यह आवासीय कॉलोनी गुजरात हाउसिंग बोर्ड की तरफ से ही बनाई गई है और उसकी जमीन लीज होल्ड के अधिकार के तौर पर दी गई है। जिसके चलते कानूनी तौर पर गुजरात हाउसिंग बोर्ड ही इस जमीन का स्वामित्व रखता है। हाउसिंग बोर्ड ने लीज एग्रीमेंट के जरिए ही कॉलोनी के सभी मकान स्थानीय लोगों को रहने के लिए दिए हुए हैं।
इसलिए कॉलोनी में आवासीय हेतु को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं दी जा सकती। जब मस्जिद का निर्माण कार्य ही गैरकानूनी तरीके से हुआ है तो उसे कानूनी तौर पर रेग्युलराइज नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षकार को सुनने के बाद तल्ख रुख के साथ मस्जिद के विध्वंस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर कहां की आवासीय कॉलोनी में धार्मिक स्थान के गैरकानूनी निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं दी जा सकती।
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