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स्कूलों में हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?

Published by
Mahak Singh

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूलों में हिजाब पहनने के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले ने न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को उठाया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार और स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

न्यायालय का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षा संस्थानों को अपने ड्रेस कोड और अनुशासन से संबंधित नीतियों को लागू करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना एक धार्मिक प्रथा है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि इसे हर स्थान पर स्वीकार किया जाए। इस संदर्भ में, न्यायालय ने यह विचार किया कि स्कूलों में अनुशासन बनाए रखना और शैक्षणिक माहौल को सुरक्षित रखना जरूरी है।

धार्मिक स्वतंत्रता बनाम शिक्षा का अधिकार

फैसले में न्यायालय ने धार्मिक स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। छात्रों को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि वे उस वातावरण का सम्मान करें जिसमें वे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसने यह स्पष्ट किया कि धार्मिक प्रथाएं एक सीमा तक ही मान्य हैं, खासकर जब वे शिक्षा के उद्देश्यों में बाधा डालती हैं।

हरिद्वार में विवाद का जन्म

हाल ही में हरिद्वार के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में बुर्का और हिजाब पहनकर मुस्लिम छात्राओं के प्रवेश ने एक बार फिर से विवाद खड़ा कर दिया है।

इसकी भी चर्चा हो रही है कि क्या उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में भी इस्लामीकरण की बयार बहने लगी है और वह भी हरिद्वार जैसे सनातन तीर्थ स्थली में ?

जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय परिसर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें मुस्लिम छात्राएं, हिजाब और बुर्का पहने हुए परिसर में दिखाई दे रही हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय में कई मुस्लिम छात्राएं अध्ययनरत हैं। पहले ये सामान्य छात्राओं की तरह ही परिधान में विद्यालय आती थीं किंतु अचानक कुछ दिनों से ये सभी छात्राएं या तो बुर्के में या फिर हिजाब पहने हुए कॉलेज में आने लगी हैं और क्लासरूम में भी बुर्का और हिजाब पहनकर बैठती हैं।

ऐसा क्यों हुआ? छिड़ी बहस

“पाञ्चजन्य” ने इस बारे में विश्वविद्यालय प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए कुलपति से वार्ता की और उक्त वीडियो के बारे में जानकारी साझा की। इस पर कुलपति डा. दिनेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि ये विषय उनके संज्ञान में आया है। इस बारे में कुलसचिव और संबंधित एचओडी से बैठक कर एक महिला चेंजिंग रूम बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि छात्राएं बुर्का आदि बदलकर अपने क्लास रूम में जाएं।

बहरहाल ये छात्राएं यहां इतिहास और अन्य विषय तो पढ़ने आ रही हैं, लेकिन क्या वे साथ ही साथ वे इस्लामिक संस्कृति को भी इस संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रवेश कराने में सफल हो गई है ? ये बात हरिद्वार में चर्चा का विषय बन गई है।

उल्लेखनीय ये भी है कि गंगा नगरी हरिद्वार के आसपास डेमोग्राफी चेंज की घटना भी सामने आई है, जिसको लेकर सोशल मीडिया और अन्य मीडिया में लगातार खबरें चल रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा हिजाब और बुर्के पर प्रतिबंध के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश दिया कि क्लास में बुर्का अथवा हिजाब पहन कर बैठने की इजाजत नहीं दी जा सकती। विद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियों की भी अनुमति नहीं दी जाएगी।

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