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LeT के जिहादियों से मिलकर फंसा Zakir Naik, Lahore की बादशाही मस्जिद में हजारों के सामने खुली इस्लामी कट्टरपंथी की पोल

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WEB DESK

नाइक लाहौर स्थित मशहूर बादशाही मस्जिद में भाषण देने गया था। उस मौके पर हजारों मुसलमान इकट्ठे थे। इसी भीड़ के सामने उसने इस्लामी तकरीरें कीं और मजहबी उन्माद को भड़काने वाली बातें कहीं। इस मौके पर वहां लश्करे-तैयबा का कमांडर मुजम्मिल इकबाल हाशमी अपने साथियों मुहम्मद हारिस तथा फैसल नदीम को लेकर आया था। कार्यक्रम के दौरान जाकिर इन आतंकवादियों से ऐसे मिला जैसे बरसों की पहचान हो।


दुनियाभर में बदनाम इस्लामी कट्टरपंथी जाकिर नाइक इन दिनों पाकिस्तान की सरकार के खास बुलावे पर जिन्ना के देश में जिहादी जहर घोलता फिर रहा है। उसकी बातें किसी भी सभ्य समाज की मान्यताओं से परे और बेसिरपैर की होती हैं, लेकिन अपने ​पश्चिमी—मुस्लिम बाने और बातों से वह कट्टर मजहबी तत्वों को बहुत रिझाता है। यही जाकिर नाइक भारत का भगोड़ा अपराधी है, इसलिए मलेशिया में राजनीतिक शरण पाए हुए है। लेकिन पिछले दिनों लाहौर में इसने जो किया उससे इसके राज से पर्दा हट गया और साबित हो गया कि पाकिस्तान में पोसे जा रहे जिहादी गुट लश्करे-तैयबा से इसके सूत्र जुड़े हैं।

हुआ यूं कि जाकिर नाइक लाहौर स्थित मशहूर बादशाही मस्जिद में भाषण देने गया था। उस मौके पर हजारों मुसलमान इकट्ठे थे। इसी भीड़ के सामने उसने इस्लामी तकरीरें कीं और मजहबी उन्माद को भड़काने वाली बातें कहीं। इस मौके पर वहां लश्करे-तैयबा का कमांडर मुजम्मिल इकबाल हाशमी अपने साथियों मुहम्मद हारिस तथा फैसल नदीम को लेकर आया था। कार्यक्रम के दौरान जाकिर इन आतंकवादियों से ऐसे मिला जैसे बरसों की पहचान हो।

लश्कर के उक्त तीनों आतंकवादी अमेरिका द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी’ के तौर पर लेबल किए हुए हैं। 2008 में अमेरिकी प्रशासन ने इन तीनों का नाम अपनी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में शामिल किया था। हैरानी की बात नहीं कि इनमें से दो आतंकवादियों, फैसल नदीम तथा मुजम्मिल हाशमी ने लाहौर में हुए उस कार्यक्रम का खूब प्रचार किया, इसके लिए इंटरनेट पर अभियान चलाया।

जाकिर जैसे व्यक्ति को किसी समझदार देश का प्रधानमंत्री अपने दफ्तर में बुलाकर मिले तो उस देश की सोच शीशे सी साफ हो जाती है

हैरानी की बात यह भी नहीं है कि अपने इस दौरे की शुरुआत में जाकिर जिन्ना के देश के प्रधानमंत्री से मिल चुका है। जाकिर जैसे व्यक्ति को किसी समझदार देश का प्रधानमंत्री अपने दफ्तर में बुलाकर मिले तो उस देश की सोच शीशे सी साफ हो जाती है। जाकिर इस्लाम को लेकर अपनी कट्टर सोच के लिए दुनिया भर में बदनाम है। जाकिर 2 अक्तूबर से आगे करीब 25 दिन के अपने दौरे में कई जगह भाषण दे चुका है और कई जगह अभी जाने वाला है। हालांकि कई स्थानों पर उसके भाषणों से पाकिस्तानी तक रुष्ट हुए हैं और उसकी ‘अक्ल’ पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन वह कितना खतरनाक और जहरबुझा है उसकी असलियत उसके लश्करे तैयबा के आतंकवादियों से मिलने के बाद से और साफ हो गई है।

जिन्ना के देश की ‘आंख के तारे’ जाकिर को ‘राज्य अतिथि’ मानकर आवभगत की जाती है। सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन लाहौर में जाकिर ने जो ये किया है उसे लेकर कई देशों के रक्षा विशेषज्ञों को चिंता पैदा हुई है। भारत तो पहले ही भगोड़े अपराधी जाकिर को पाकिस्तान बुलाकर भाषण दिलाने के वहां की सरकार के फैसले की भर्त्सना कर चुका है।

इस जाकिर को भारत सरकार द्वारा भगोड़े अपराधी की सूची में 2016 में रखा गया था। भारत की ओर से उस पर उन्मादी उकसावे वाली तकरीरें देने, धन शोधन तथा आतंकवाद फैलाने के आरोप लगाए गए हैं। इसी जाकिर की जिहादी तकरीरों के झांसे में आकर जुलाई 2016 में ढाका में हुए आतंकवादी हमले के अपराधियों में से एक आतंकवादी बना था। यह बात उसी ने पुलिस को बताई थी। भारत ने इस जाकिर नाइक पर आतंकवाद निरोधी व कुछ दूसरी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन तब यह भगोड़ा सऊदी अरब भाग गया जहां से वह मलेशिया जाकर सरकारी पनाह पाए हुए है।

इसी भगोड़े अपराधी ने एक गैर सरकारी संगठन बनाया हुआ है, इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के नाम से, लेकिन पड़ताल करने पर उसे घोटालों का अड्डा पाया गया था। जाकिर नाइक इतना बड़ा फरेबी है कि इसने अनेक नकली कंपनियां बनाकर वित्तीय धांधलियों का रास्ता बनाया हुआ है।

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