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भारतीय संस्कृति के अनुसार दिवाली पर घर की सजावट के लिए टिप्स

दिवाली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशियों का प्रतीक भी है।

by Mahak Singh
Oct 21, 2024, 07:57 am IST
in भारत
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दिवाली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशियों का प्रतीक भी है। भारतीय संस्कृति में दिवाली पर घर की सजावट का खास महत्व होता है, क्योंकि इसे मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के स्वागत के लिए शुभ माना जाता है। आइए जानें भारतीय परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार दिवाली पर घर को सजाने के कुछ खास और पारंपरिक उपाय।

मुख्य द्वार की सजावट

भारतीय संस्कृति में मुख्य द्वार को घर का प्रवेश द्वार माना जाता है, जहां से शुभता और समृद्धि का आगमन होता है। इसलिए, दिवाली पर मुख्य द्वार को खास तरीके से सजाने की परंपरा है। तोरण (या बंदनवार) का इस्तेमाल द्वार पर करना बेहद शुभ माना जाता है। गेंदे के फूलों, आम के पत्तों और अशोक के पत्तों से बने तोरण घर में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं। साथ ही, दरवाजे के दोनों ओर मिट्टी के दीयों को जलाकर रखें, जिससे लक्ष्मी का आगमन घर में होता है।

दीयों और मोमबत्तियों का महत्व

भारतीय संस्कृति में दीपों का दिवाली से गहरा संबंध है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, इसलिए मिट्टी के दीयों से घर को सजाना शुभ माना जाता है। दीये न केवल रोशनी फैलाते हैं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और शांति भी लाते हैं। इन दीयों को घर के प्रवेश द्वार, खिड़कियों, आंगन और बालकनी में सजाएं। मिट्टी के दीयों के साथ-साथ अब बाजार में रंग-बिरंगी मोमबत्तियां और बिजली की रोशनी भी उपलब्ध है, लेकिन मिट्टी के दीयों की पारंपरिक चमक और महत्व कुछ अलग ही होता है।

रंगोली

दिवाली पर घर के आंगन या प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाना हमारी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। रंगोली न केवल सजावट का हिस्सा है, बल्कि इसे शुभ और मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए भी आवश्यक माना जाता है। आप घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत कर सकते हैं। रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों, फूलों की पंखुड़ियों और हल्दी-कुमकुम का उपयोग करें, जिससे घर में शांति और सौहार्द बना रहे।

फूलों से घर को सजाएं

भारतीय संस्कृति में फूलों को पवित्र और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। दिवाली के दौरान घर को ताजे फूलों से सजाना बेहद शुभ होता है। गेंदे के फूलों और गुलाब की मालाओं का उपयोग मुख्य द्वार, खिड़कियों और घर के अंदर सजावट के लिए करें। इसके अलावा, घर के पूजा स्थान पर फूलों का उपयोग करना धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है। इससे घर का वातावरण सुगंधित और पवित्र रहता है।

लक्ष्मी पूजन के लिए सजावट

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। लक्ष्मी पूजन के लिए पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया जाता है। पूजा की थाली को दीपक, कुमकुम, हल्दी, फूल, चावल और सुपारी से सजाएं। चांदी या पीतल की थाली का उपयोग करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, मां लक्ष्मी की मूर्ति के पास स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, क्योंकि यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक है।

इको-फ्रेंडली सजावट

भारतीय संस्कृति में प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए, अगर आप दिवाली पर सजावट के लिए कुछ नया और पारंपरिक करना चाहते हैं, तो इको-फ्रेंडली सजावट का विकल्प चुनें। घर को मिट्टी के दीयों, बांस की टोकरियों, और प्राकृतिक वस्त्रों से सजाएं। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि पारंपरिक सजावट का आनंद भी मिलता है।

सफाई

भारतीय मान्यताओं के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी माता केवल साफ-सुथरे और स्वच्छ घरों में ही प्रवेश करती हैं। इसलिए, दिवाली से पहले घर की अच्छे से सफाई करना अनिवार्य होता है। घर के पुराने फर्नीचर, पर्दों और कालीनों को साफ करें, और बेकार चीजों को हटा दें। सफाई के बाद घर के हर कोने में गंगाजल या पवित्र जल का छिड़काव करें, जिससे शुद्धता और सकारात्मकता बनी रहे।

पारंपरिक सजावट के सामान

भारतीय संस्कृति में पारंपरिक सजावट के सामान का बहुत महत्व होता है। आप घर के आंगन या कमरे को सजाने के लिए पीतल या चांदी के शो-पीस, जैसे दीपक, घंटी, या गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, आप दीवारों पर पारंपरिक वॉल हैंगिंग या स्वास्तिक चिन्ह लगा सकते हैं, जिससे घर में शुभता और समृद्धि बनी रहे।

 

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