भारत में देव स्थानों के साथ लगातार भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। कहने को संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए पंथनिरपेक्ष और प्रत्येक धर्म, रिलीजन, मजहब, पंथ के समाज के लिए समानता का अधिकार एवं व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही गई है, किंतु व्यवहार में ऐसा बिल्कुल हो नहीं रहा, जिसके कि विरोध में अब खुलकर विश्व हिंदू परिषद संगठन अपना विरोध दर्ज करने के लिए सड़कों पर उतरने जा रहा है।
दरअसल, विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने आंध्र प्रदेश सरकार से कहा है कि वह तिरुपति बालाजी सहित राज्य के सभी मंदिरों को हिंदू समाज को सौंप दे। मंदिरों के प्रबंधन में सरकारों, राजनीतिक व्यक्तियों तथा गैर हिंदुओं का कोई काम नहीं है।
डॉ जैन का कहना है “हिंदुओं के महान तीर्थ तिरुपति बालाजी मंदिर से मिलने वाले महाप्रसाद की पवित्रता के संबंध में जिस प्रकार के समाचार आए उससे संपूर्ण विश्व का हिंदूसमाज आक्रोशित है। आस्थाओं की सुरक्षा तो दूर मंदिरों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। आंध्र प्रदेश में कई मंदिरों व हिंदू कार्यक्रमों पर जिहादियों के द्वारा आक्रमण किए गए परंतु दुर्भाग्य से अपराधियों पर अभी तक कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गई है। हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ करने के ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण समाचार कई स्थानों से मिले हैं। इनमें से अधिकांश मंदिरों का संचालन सरकारों के द्वारा ही किया जाता है। हमारी आस्थाओं का तभी सम्मान हो सकता है जब इनका संचालन स्वयं हिंदू समाज के द्वारा किया जाएगा।”
विहिप के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा, “सरकार द्वारा नियंत्रित तिरुपति बालाजी सहित अनेक अन्य मंदिरों में हिंदुओं के द्वारा अत्यंत श्रद्धा भाव से अर्पित की गई देव राशि के सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा दुरुपयोग की अब तक कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इतना ही नहीं हिंदुओं का धर्मांतरण करने या हिंदू समाज को नष्ट करने का प्रयास कर रही संस्थाओं को इस पवित्र राशि से अनुदान देने के समाचार भी मिलते रहे हैं। हिंदू समाज के पैसे का उपयोग हिंदू धर्म को नष्ट करने वालों के पोषण के लिए किए जाने से हिंदू समाज बहुत व्यथित है। तिरुपति बालाजी सहित सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिरों के प्रबंधन में कई गैर हिंदुओं की नियुक्ति करके हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ भी किया गया है।”
डॉ. जैन ने कहा कि “सरकारों द्वारा मंदिरों का नियंत्रण न केवल असंवैधानिक है अपितु हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ भी है। माननीय न्यायपालिका ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि सरकारों को मंदिरों के संचालन और उनकी संपत्तियों की व्यवस्था से अलग रहना चाहिए। सरकारों द्वारा मंदिरों पर नियंत्रण संविधान की धारा 12, 25 वह 26 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है।”
विहिप का आरोप है कि मंदिरों पर कब्जा करने वाली सरकारें औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त हैं। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को लूटा, अपमानित किया और नष्ट किया। अंग्रेजों ने चतुराई पूर्वक उन पर नियंत्रण स्थापित किया और उन्हें निरंतर लूटने की प्रक्रिया स्थापित कर दी। सनातन को समाप्त करने का संकल्प लेने वाली सेकुलर राजनीतिक पार्टियां सनातनियों के मंदिरों की आय व संपत्ति को लूट कर अपने घर भी भरती हैं और सनातन विरोधी एजेंडा को पूरा करने का प्रयास भी करती हैं। “हिंदू संपत्ति का हिंदू कार्यों के लिए ही उपयोग” होना चाहिए। हिंदुओं के कल्याण और महान हिंदू संस्कृति के उत्थान के कई कार्य इन मंदिरों की आय से होने चाहिए थे जिनकी अब तक सर्वथा उपेक्षा की जाती रही है।
इसके साथ साथ ही विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों को संचालन करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। अल्पसंख्यकों को तो अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है परंतु हिंदू समाज को यह संविधान सम्मत अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा है? जबकि, हिंदू समाज अपने लाखों मंदिरों का कुशलतापूर्वक संचालन कर रहा है? सामाजिक व राष्ट्रीय आपदा के समय इन मंदिरों का योगदान हमेशा बहुत महत्वपूर्ण रहा है। हिंदू समाज की सशक्त आवाज है कि मंदिरों का “सरकारीकरण नहीं समाजीकरण” होना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद की आंध्र प्रदेश सरकार से हिंदू समाज की ये हैं मांग –
1. तिरुपति बालाजी सहित समस्त हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करके हिंदू संतों व भक्तों को एक निश्चित व्यवस्था के अंतर्गत सौंप दे। इस व्यवस्था का प्रारूप पूज्य संतों ने कई वर्षों के मनन और चिंतन के बाद निर्धारित किया है।
2. तब तक, हिंदू मंदिरों के प्रबंधन व संचालन में नियुक्त अनास्थावान लोगों / गैर हिंदुओं को अविलंब हटाया जाए और यह आदेश दिया जाए कि किसी भी गैर हिंदू व राजनेताओं को मंदिर के संचालन में कभी नियुक्त नहीं किया जाएगा।
3. हिंदू मंदिरों के पास भोजन, प्रसाद या पूजा सामग्री की कोई दुकान गैर हिंदू की ना हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए।
4. हिंदू मंदिरों व कार्यक्रमों पर हमला करने वाले जेहादियों व अन्य अपराधियों पर कठोरतम कार्यवाही होनी चाहिए जिससे भविष्य में कोई हिंदुओं पर हमला करने की सोच भी ना सके।
विहिप ने यह भी कहा कि हिन्दू समाज इन विषयों को लेकर आक्रोशित है और यदि ये मांगें नहीं मांनी गईं तो अपना संकल्प व्यक्त करने के लिए आंध्र प्रदेश का हिंदू समाज आगामी 5 जनवरी 2025 को विजयवाड़ा में विशाल संख्या में प्रदर्शन करेगा। इसके बाद भी अगर हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त नहीं किया गया और हिंदू समाज की मांगे स्वीकार नहीं की गईं तो एक व्यापक जन आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा।
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