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डेविड हेडली ना देने वाला अमेरिका किस मुंह से करेगा विकास यादव की मांग : अभी भी US की शरण में छुपे कई आतंकी

Published by
SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । अमेरिका और भारत के बीच एक नया राजनयिक विवाद उत्पन्न होने की संभावना है। अमेरिकी न्याय विभाग ने हाल ही में भारत सरकार के एक पूर्व अधिकारी विकास यादव पर सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। इस घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ने की आशंका है।

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए इन आरोपों से भारत की कूटनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है, खासकर अगर अमेरिका विकास यादव के प्रत्यर्पण की मांग करता है। हालांकि, अभी तक अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर यादव के प्रत्यर्पण की कोई मांग नहीं की है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो भारत भी पलटकर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद सईद गिलानी के प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है, जिसने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

डेविड हेडली और मुंबई हमलों में उसकी भूमिका

डेविड हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी है, और वह एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी है जिसने 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश रचने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। हेडली ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साथ मिलकर भारत में हमलों की योजना बनाई थी। उसने 2006-2008 के दौरान भारत में आकर विभिन्न ठिकानों की रेकी की और अपने पाकिस्तानी आकाओं को जानकारी प्रदान की।

2009 में शिकागो में गिरफ्तारी के बाद, हेडली ने अमेरिकी सरकार के साथ एक समझौता किया, जिसमें उसने अपने अपराधों को स्वीकार किया और अमेरिका को लश्कर-ए-तैयबा और हमलों की साजिश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। इसके बदले में अमेरिका ने उसे मृत्युदंड नहीं देने और भारत को प्रत्यर्पित न करने का वादा किया।

हेडली के प्रत्यर्पण पर भारत-अमेरिका के बीच विवाद

भारत ने कई बार हेडली के प्रत्यर्पण की मांग की है ताकि उसे भारतीय अदालतों में सजा दी जा सके। हालांकि, हेडली के अमेरिकी नागरिक होने और अमेरिका के साथ हुए समझौते के कारण, अमेरिका ने भारत की प्रत्यर्पण की मांग पर कोई सहमति नहीं दी। इसके बजाय, हेडली को अमेरिका की एक अदालत ने 35 साल की सजा सुनाई, जिसे वह अमेरिका की जेल में काट रहा है।

अमेरिकी शरण में आतंकवादी

हेडली के अलावा भी कई आतंकवादी अमेरिकी संरक्षण में हैं। तहव्वुर हुसैन राणा, जो मुंबई हमलों में शामिल था, उसे भी भारत प्रत्यर्पित करने की कानूनी प्रक्रिया अभी जारी है। इसके अलावा, पूर्व रॉ अधिकारी रबिंदर सिंह भी अमेरिकी शरण में हैं, जो 2004 में सीआईए में शामिल होने के बाद भारत से फरार हो गए थे।

गुरपतवंत सिंह पन्नू और सिख अलगाववाद

गुरपतवंत सिंह पन्नू, जो सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) नामक आतंकी संगठन का संस्थापक है, जो एक प्रमुख खालिस्तान समर्थक है। भारत सरकार ने SFJ और पन्नू दोनों को आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में प्रतिबंधित कर रखा है। पन्नू, जो वर्तमान में अमेरिका में निवास कर रहा है, भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों को संचालित करता है। पन्नू के खिलाफ भारत में कई मामले दर्ज हैं और उसे आतंकवादी घोषित किया जा चुका है।

अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया

किसी व्यक्ति के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तभी शुरू हो सकती है जब अदालत द्वारा उसे दोषी ठहराया जाए। हालांकि, अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा अभियोग चलाने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति दोषी है। यदि अमेरिका यादव के प्रत्यर्पण की मांग करता है, तो यह मामला दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। भारत भी इस मामले में पलटकर हेडली और अन्य आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है, जो लंबे समय से अमेरिकी शरण में हैं।

भारत और अमेरिका के बीच इस मामले को लेकर उत्पन्न हो रहा विवाद, भविष्य में दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। विकास यादव के प्रत्यर्पण की संभावना और डेविड हेडली के मामले में भारत की लगातार मांग के चलते दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर गंभीर वार्ता की संभावना बनी हुई है।

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