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‘हिंदू मंदिरों और मठों को करें मुक्त’

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WEB DESK

गत 9 अक्तूबर को संबलपुर (ओडिशा) में विश्व हिंदू परिषद ओडिशा (पश्चिम) प्रांत ने एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इसमें आठ जिलों के हिंदुओं ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मठ, मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। इसके बाद विहिप के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से भेंट कर राज्यपाल और राष्ट्रपति के नाम से ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में अनुरोध किया गया है कि राज्य सरकार से आग्रह है कि वह जल्दी से जल्दी सभी हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए और उन्हें हिंदू समाज को वापस करे। इस अवसर पर विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य स्वामी जीवनमुक्तानंद जी महाराज ने तिरुपति मंदिर के प्रसादम में पशु चर्बी के इस्तेमाल को ‘असहनीय और घृणित कृत्य’ करार दिया और कहा कि इससे पूरा हिंदू समाज व्यथित और आहत है।

इस तरह के मुद्दे इसलिए सामने आते हैं, क्योंकि हिंदू मंदिर और अन्य हिंदू धार्मिक संस्थान हिंदू समाज द्वारा संचालित नहीं होते, बल्कि सरकारी नियंत्रण में हैं। इसलिए हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए। विहिप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजकुमार बड़पंडा ने कहा कि हमारे देश में अक्सर कहा जाता है कि संविधान सर्वोच्च है, लेकिन दुर्भाग्य से विभिन्न सरकारों ने हिंदू समाज के मुख्य मंदिरों पर कब्जा कर लिया है।

सरकारों का काम संविधान की रक्षा करना है, लेकिन वे अक्सर इसकी भावना को कमजोर कर रही हैं। वे अपने स्वार्थ के लिए मंदिरों पर नियंत्रण करके संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 का उल्लंघन कर रही हैं। आजादी के 77 साल बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों का प्रबंधन करने की अनुमति नहीं है, जबकि अल्पसंख्यकों को अपने मजहबी संस्थान चलाने की अनुमति है।

रामलीला के मंच से पर्यावरण संरक्षण का संदेश

नवरात्र के अवसर पर सिरसा (हरियाणा) में श्री रामा क्लब द्वारा आयोजित रामलीला इस बार काफी चर्चा में रही। रामलीला के दौरान एक दिन वहां उपस्थित दर्शकों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी दी गई। सामाजिक संगठन ‘पर्यावरण प्रेरणा’ के संस्थापक रमेश गोयल ने पानी की कमी के कारणों के बारे में बताया।

उन्होंने बताया कि पानी की कमी के कारण आस्ट्रेलिया में पांच वर्ष के अंदर 1.60 लाख ऊंटों को गोली मार दी गई, वहीं दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में अप्रैल, 2018 से लोगों को राशन की दुकानों से   पानी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत के लातूर व चेन्नै में पानी की घोर कमी है।

इस वर्ष गर्मियों में बेंगलूरु में पानी की ऐसी कमी हुई कि मुख्यमंत्री आवास में भी टैंकर से पानी पहुंचाया गया। इसलिए उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे पानी की कीमत समझें और एक-एक बंूद की बचत करें। हाथ में साबुन लगाते समय, ब्रश करते समय, बर्तन धोते समय नल को बंद रखें।

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