अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल द्वारा वक़्फ़ का मुद्दा उठाए जाने के पीछे एक लम्बी व गहरी राजनीति हैं। वर्तमान में बदरुद्दीन अजमल अपने राजनितिक जीवन के सबसे निम्नतर स्तर को प्राप्त कर चुके हैं। विगत 2024 लोकसभा चुनाव में बदरुद्दीन अजमल अपना खुद का चुनाव इस देश में सबसे अधिक मतों से हारे हैं। बदरुद्दीन अजमल, धुबरी लोकसभा सीट, जिसका उन्होंने 2009 , 2014 , 2019 में लगातार तीन बार अच्छे मतों के अंतर से चुनाव जीतकर प्रतिनिधित्तव किया, उसी सीट पर उनकी करारी पराजय उनकी इस हताशा को बयान करती है। धुबरी बदरुद्दीन अजमल का गढ़ माना जाता था। कांग्रेस पार्टी के रकीबुल हुसैन ने बदरुद्दीन अजमल को 10 लाख से भी अधिक मतों से हराया। बदरुद्दीन अजमल की जमानत भी मुश्किल से बची। पार्टी अध्यक्ष की करारी शिकश्त से पार्टी के भविष्य पर ही ग्रहण लगता दिख रहा है। रकीबुल हुसैन का बढ़ता कद बदरुद्दीन अजमल के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा हैं। रकीबुल हुसैन ने अपने विधानसभा की सीट सामगुरी में असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्लकुमार महंत को भी पटखनी देने का करिश्मा किया है।
धुबरी लोकसभा सीट कई मायनो में महत्वपूर्ण है। विगत तीन लोकसभा चुनावों में इस सीट पर देश में सबसे ज्यादा मतदान देखा गया है। 2014 में 88.36, 2019 में 90.66 और 2024 में 92.08 प्रतिशत का मतदान कई पहलुओं को परिलक्षित करता है। 2014 लोकसभा में अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के 3 सांसद तक चुने गए थे। वर्तमान में असम विधानसभा में पार्टी के 16 विधायक हैं जबकि 2011 विधानसभा में इस पार्टी के सर्वाधिक 18 विधायक चुने गए थे।
इस पार्टी का 2024 लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन अत्यंत ही कमजोर रहा। बदरुद्दीन अजमल धुबरी लोकसभा क्षेत्र के 11 विधानसभा की सीटों में किसी पर भी बढ़त नहीं बना सके। अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 2024 में तीन लोकसभा सीटों पर असम के अंदर चुनाव लड़ा, मगर किसी भी विधानसभा सीट पर बढ़त नहीं बनाना, आने वाले दिनों में पार्टी के लिए बुरे दिनों का घोतक है। बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ने तीन लोकसभा की सीट धुबरी, नौगॉव वो करीमगंज की सीटों पर चुनाव लड़ा। इन तीन सीटों में 25 मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा की सीटें हैं। इसके बावजूद किसी भी विधानसभा सीट पर अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की बढ़त नहीं बना पाने का निहितार्थ बदरुद्दीन अजमल अच्छे से समझ रहे हैं।
बदरुद्दीन अजमल द्वारा अपनी विलुप्त होती राजनीतिक जमीन को बनाये रखने वास्ते उनके द्वारा वक्फ के मुद्दे को उठाया जा रहा है। उनके विधायकों को भी 2026 के असम विधानसभा चुनाव में अपनी जीत की संभावना धूमिल नज़र आ रही है। उनके विधायक अब दूसरी पार्टी की ओर रुख करते नज़र आ रहे हैं।
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