ट्रेन से यात्री का सामान चोरी : अब रेलवे को करना होगा 4.7 लाख रुपये का भुगतान, जानिए कैसे मिला पीड़ित को मुआवजा
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ट्रेन से यात्री का सामान चोरी : अब रेलवे को करना होगा 4.7 लाख रुपये का भुगतान, जानिए कैसे मिला पीड़ित को मुआवजा

- यात्री के वकील ने यह तर्क दिया कि चोरी रेलवे की लापरवाही के कारण हुई क्योंकि टीटीई और रेलवे पुलिस ने रिजर्व्ड कोच में अनधिकृत लोगों को प्रवेश करने दिया था।

by SHIVAM DIXIT
Oct 17, 2024, 05:06 pm IST
in भारत, दिल्ली
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नई दिल्ली । राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने रेलवे को एक यात्री को 4.7 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला 2017 का है, जब दुर्ग के निवासी दिलीप कुमार चतुर्वेदी का अमरकंटक एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान लाखों रुपये का सामान चोरी हो गया था। आयोग ने रेलवे अधिकारियों की लापरवाही और यात्री को मिलने वाली सुविधाओं में कमी को दोषी मानते हुए यह निर्णय दिया है।

क्या है पूरा मामला?

दिलीप कुमार चतुर्वेदी, जो दुर्ग के निवासी हैं, 9 मई 2017 को अपने परिवार के साथ अमरकंटक एक्सप्रेस में कटनी से दुर्ग जा रहे थे। उन्होंने स्लीपर कोच में यात्रा की, लेकिन रात लगभग 2:30 बजे उनके 9.3 लाख रुपये की कीमत के सामान और नकदी की चोरी हो गई। इस घटना के बाद, उन्होंने रेलवे पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई और दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग में मामला दायर किया।

आयोग का फैसला और रेलवे की प्रतिक्रिया

दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जीएम, दुर्ग स्टेशन मास्टर और बिलासपुर जीआरपी थाना प्रभारी को चतुर्वेदी द्वारा दावा की गई राशि चुकाने का आदेश दिया था। हालांकि, रेलवे ने इस फैसले को राज्य उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी, जहां जिला आयोग का आदेश रद्द कर दिया गया। इसके बाद, दिलीप कुमार चतुर्वेदी ने NCDRC का रुख किया।

NCDRC ने सुनवाई के दौरान पाया कि चतुर्वेदी ने अपने सामान की सुरक्षा के लिए उचित सावधानी बरती थी। उन्होंने सामान को चेन से बांधकर सुरक्षित किया था, लेकिन फिर भी चोरी हो गई। यात्री के वकील ने यह तर्क दिया कि चोरी रेलवे की लापरवाही के कारण हुई क्योंकि टीटीई और रेलवे पुलिस ने रिजर्व्ड कोच में अनधिकृत लोगों को प्रवेश करने दिया था।

रेलवे की धारा 100 का तर्क अस्वीकार

रेलवे ने अपनी दलील में रेलवे एक्ट की धारा 100 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि यदि यात्री ने अपना सामान बुक नहीं किया और उसके पास रसीद नहीं है, तो रेलवे प्रशासन चोरी के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकता। हालांकि, NCDRC ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और कहा कि रेलवे आरक्षित कोच में यात्री और उनके सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने में असफल रहा।

NCDRC के जस्टिस सुदीप अहलुवालिया और जस्टिस रोहित कुमार सिंह की बेंच ने कहा कि रेलवे की लापरवाही के कारण यात्री को सुविधाओं में कमी हुई और इस चोरी के लिए रेलवे जिम्मेदार है। आयोग ने यात्री को 4.7 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश जारी किए।

महत्वपूर्ण निष्कर्ष

NCDRC ने इस फैसले के जरिए स्पष्ट किया है कि रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, विशेष रूप से आरक्षित कोच में। टीटीई और रेलवे पुलिस का कर्तव्य है कि वे अनधिकृत लोगों को प्रवेश करने से रोकें और यात्रियों के सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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